कैसे -कैसे अखबार मालिक बन गए थे ऐसे वैसे सांसद, ये अखबार के मालिक जो सांसद थे(सीरिज 2)

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पीछे से … इन तीनों समूहों की गणना बड़े समाचार पत्र समूहों में होती है। शायद यही कारण है कि इनके मालिक पार्टियों की पूंछ पकड़कर या चोर दरवाजे से राज्य सभा में पहुंच जाते हैं। यह प्रक्रिया पहले से जारी है और आनेवाले दिनों में रुकने वाली नहीं है।..

राज्यसभा में हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया छह साल तक राज्यसभा में रहीं। वैसे, श्रीमती भरतिया कांग्रेस के काफी करीब मानी जाती रहीं हैं, लेकिन उन्हें राज्यसभा में केंद्र सरकार ने नामांकित किया था। आप सबको पता है कि उनके अखबार में कानून का क्या‍ हाल है। कर्मचारियों की क्या दशा है और एक समय ईमानदारी और समझदारी के लिए प्रसिद्ध इनके अखबारों के संपादक राडिया टेप प्रकरण जैसे मामले में लिप्त पाए गए। एक साथ 350 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और जब वे अदालत से जीत कर आए तो उन्हें श्रीमती भरतिया के लोग वाजिब हक तो देना दूर, प्रदर्शन करने की जमीन भी छीन ली। पता नहीं एक समय कर्मचारियों को अपने ही परिवार का सदस्य मानने वाले श्रीमती भरतिया के दिवगंत पिता पर, कर्मचारियों की दशा देखकर क्या गुजर रही होगी।
लेकिन आश्चर्य की बात ये कतई नहीं है। आश्चर्य तो यह है कि राज्यसभा में इन छह वर्षों के दौरान श्रीमती भरतिया कर्मचारियों, मजदूरों, महिलाओं, किसानों के लिए तरह–तरह के सवाल सरकार से पूछती रहीं। हम यहां छह वर्षों में श्रीमती भरतिया द्वारा पूछे गए 1348 सवालों में से कर्मचारियों, मजदूरों, महिलाओं, किसानों से संबंधित उनके द्वारा पूछे गए सवालों का जिक्र, उनकी कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों के संदर्भ में करेंगे। ऐसा इसलिए कि पता चले कि श्रीमती भरतिया की कंपनी सचमुच वही कर रही है, जिस पर वह राज्यसभा में चिंता व्‍यक्‍त कर चुकी हैं।………………………………………………………………. जारी

मजीठिया मंच के फेसबुक वॉल से सभार

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