जी ग्रुप के चेयरमैन और बेटे के खिलाफ जालसाजी का जुर्म दर्ज
जी-समूह के चेयरमैन और एस्सेल ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रमोटर सुभाष चंद्रा और उनके बेटे जी-समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर पुनीत गोयनका समेत तीन आरोपियों के खिलाफ तमनार पुलिस ने जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
आरोपियों ने न सिर्फ जिंदल पॉवर लिमिटेड के एक अफसर को षडयंत्रपूर्वक फर्जी दस्तावेज के सहारे बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की थी, बल्कि अपने टीवी चैनल के जरिए आधारहीन खबर का प्रसारण कर उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाया था। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अपराध दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की तमनार पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार डीके भार्गव जिंदल पॉवर लिमिटेड में अफसर हैं। कोर्ट में धारा 156 (3) के तहत दायर परिवाद में श्री भार्गव ने बताया था कि पिछले वर्ष जी-समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और उनके बेटे पुनीत गोयनका ने टपरंगा गांव की एक महिला के साथ मिलकर उन्हें बदनाम करने और झूठे मामले में फंसाकर जेल भेजने के लिए साजिश रची थी। फर्जी कागजात के आधार पर आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2001 में महिला का गैंगरेप किया गया और कुछ कागजात पर महिला के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान लिए गए। वर्ष 2010 में महिला के साथ दोबारा बलात्कार का आरोप भी लगाया गया। महिला ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस मामले में रिट पीटिशन दायर कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे एसपी रायगढ़ के पास जाकर शिकायत दर्ज कराने की हिदायत दी थी। पुलिस के पास जाने के बजाय महिला मामले को टालती रही। इस मामले को श्री चंद्रा और श्री गोयनका ने अपने टीवी चैनलों पर इस झूठी कहानी के साथ महिला और उनके अधिवक्ता का इंटरव्यू बार-बार प्रसारित किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रसारण रोका
5 मार्च 2015 को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद जी न्यूज ने इस झूठी कहानी का प्रसारण रोका। हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने मामले की जांच की और जांच में महिला द्वारा लगाए गए आरोप निराधार पाए गए।
इस झूठे मामले को सही साबित करने के लिए कोर्ट में फर्जी दस्तावेज और झूठे शपथपत्र प्रस्तुत किए गए थे। मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी,घरघोड़ा के आदेश पर तमनार पुलिस ने श्री चंद्रा, श्री गोयनका और बलात्कार का झूठा आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 463, 465, 469, 471, 193, 182/211 एवं 120 बी के तहत जुर्म दर्ज कर लिया है।
7 साल तक की सजा संभव
कोर्ट के आदेश पर जिन धाराओं में अपराध दर्ज किया गया है, उनमें सात वर्ष तक की सजा हो सकती है। ये धाराएं मुख्यतः जालसाजी, झूठे दस्तावेज तैयार करने, किसी की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने की साजिश, कोर्ट में फर्जी सबूत प्रस्तुत करने और किसी के खिलाफ साजिश रचने से संबंधित हैं। सजा के साथ ही आरोपियों के खिलाफ कोर्ट जुर्माना भी लगा सकता है।