दैनिक विश्ववार्ता अखबार मुश्किल में, सेलरी के लाले पड़े, आशीष बाजपेयी नई राह की तलाश में

लखनऊ से प्रकाशित दैनिक ‘विश्ववार्ता’ में किसी भी क्षण ताला लग सकता है. अखबार की माली हालत इतनी ख़राब हो गई है कि न तो यहां कार्यरत कर्मचारियों को वेतन मिल पा रहा है और न ही कार्यालय का किराया प्रबंधन द्वारा भवन स्वामी को दिया गया है. कई कई महीने से सैलरी न मिल पाने से कर्मचारियों में आक्रोश देखा जा रहा है. बहुत सारे लोग अखबार छोड़ गए और कइयों को निकाल दिया गया है. अखबार निकल तो रहा है लेकिन वेंटिलेटर पर है और उसकी अंतिम सांसें बाकी हैं.

आशीष बाजपेयी, जो इस अखबार के संचालन के पीछे के मुख्य चेहरे हैं, खुद भी मुश्किल में चल रहे हैं. दैनिक जागरण में कार्यरत आशीष बाजपेयी का सीतापुर से तबादला आगरा कर दिया गया है. आशीष ने आगरा जाने की जगह मेडिकल लीव ले ली है. माना जा रहा है कि वे जागरण से विदाई ले लेंगे. आशीष अखबार को पटरी पर लाने के लिए कई किस्म के प्रयास करने में जुटे हैं लेकिन सफल नहीं हो पा रहे हैं. बहुत सारे कर्जों से घिरे आशीष के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे हैं. अशोक पांडेय के नेतृत्व में रीलांच किए गए विश्ववार्ता अखबार के लिए भड़ास ने पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि यह खेल ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है क्योंकि अशोक पांडेय का सारा ध्यान खुद के लाभ पर होता है, बैनर व ब्रांड के लिए वे कम काम करते हैं. हुआ भी वही. अखबार गर्त में चला गया लेकिन अशोक पांडेय ने एक अच्छा खासा वक्त ठीकठाक सेलरी और पद पर गुजार लिया.

अशोक पांडेय को संपादकीय निदेशक बनाकर यहां लाया गया था और उन्होंने लंबे लंबे सपने दिखाए थे लेकिन लग रहा है कि अब वही खुद इस अखबार के डूबने का कारण बनेंगे. हां, इस प्रक्रिया में निजी तौर पर अशोक पांडेय एंड टीम ने अपना अपना अच्छा खासा उल्लू सीधा कर लिया है. अखबार के लिए ज्ञान स्वामी ने जमकर मेहनत की. विज्ञापन मैनेज करने के मोर्चे से लेकर विभिन्न अवसरों पर संकट मोचक तक की भूमिका निभाई लेकिन उनकी मेहनत भी जाया चली गई. इस अखबार के लिए यह कहा जाए तो ठीक न होगा कि यहां खाने वाले तो बहुत सारे रहे, लेकिन कमाने वाले बेहद कम थे. आर्थिक मोर्चे पर पिट जाने से अखबार का दिवाला निकल गया. फिलहाल आशीष बाजपेयी लखनऊ में नए आफिस से लेकर नए लोगों तक की तलाश में जुटे हैं जिससे बेपटरी हो चुके अखबार और खुद के करियर को फिर से नई धार दी जा सके.

लखनऊ से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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