क्या रवीश कुमार धमकियों, गालियों और प्रताड़ना की मार्केटिंग करते हैं?

Anil Jain : सत्ता प्रतिष्ठान विरोधी पत्रकारिता और लेखन करने वाले रवीश कुमार अकेले पत्रकार नहीं हैं। कई पत्रकार हैं जो अपने-अपने स्तर पर पूरी ईमानदारी, निष्ठा, विनम्रता, प्रखरता और मुखरता के साथ कई तरह की जोखिम उठाते और दुश्वारियां झेलते हुए अपना पेशागत दायित्व निभा रहे हैं-अखबारों में, टीवी में, वेब मीडिया में।

ऐसे कई लोग सोशल मीडिया में भी सक्रिय हैं। इनमें से कई को धमकियां मिलती हैं तो कई को गालियां। कई लोग दूसरी तरह से भी प्रताडित किए जाते हैं, लेकिन कोई भी अपने को मिलने वाली धमकियों, गालियों और प्रताड़ना की मार्केटिंग नहीं करता। Aflatoon जी सही कह रहे हैं कि तुत्तुकुडी वेदांत नरसंहार के बाद ndtv बात बदलने का चरम प्रयास कर रही है।

गोलीकांड में मृत शहीदों पर चर्चा न हो इसलिए रवीश कुमार खुद को शहीदाना अंदाज में पेश कर रहे हैं। मौका चुना गया है कंपनी (ndtv) द्वारा अनिल अग्रवाल की हत्यारी कंपनी वेदांत के हक में हुए गोलीकांड के तुरंत बाद का। रवीश कुमार को लगातार धमकियां दी जाती हैं।इन्ही धमकियों को झेलने की वजह से हमारे जैसे बहुत से लोग उनके मुरीद हैं। खुद की लोकप्रियता के जरिए फिलहाल अपनी कंपनी और विशुद्ध पूंजीवादी सोच के मालिक प्रणोय रॉय का बचाव कर रहे हैं। एक खास बात: रवीश के मुरीद होने वाली अफलातून जी की बात से मैं सहमत नहीं हूँ, क्योंकि मैं किसी भी अहंकारी और दोहरे मापदंड वाले व्यक्ति का मुरीद कभी नहीं हो सकता।

Krishna Kalpit : उदय प्रकाश और रवीश कुमार । एक हिंदी का पुरस्कृत विख्यात कवि-कथाकार और दूसरा पुरस्कृत प्रसिद्ध हिंदी न्यूज़-एंकर । दोनों को पिछले कुछ दिनों से जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं । दोनों के कारण अलग अलग हैं । छिटपुट विरोध को छोड़कर इस मामले में अधिकांश हिंदी-दुनिया ख़ामोश है और मज़े में है ।

रवीश कुमार ने हर रोज़ टेलिविज़न पर चिल्ला-चिल्ला कर जानबूझ कर अपनी छवि उग्र मोदी विरोधी की बनाई है। यही कारण है कि वे उग्र हिंदुत्व के समर्थकों के निशाने पर आ गये हैं । रवीश कुमार कोई विचारक नहीं हैं न वे दक्षिणपंथी विचारधारा के आलोचक। वे एक लोकप्रिय एंकर हैं। वे बीजेपी विरोधी नहीं, मोदी विरोधी अधिक लगते हैं।

उदय प्रकाश का मामला दूसरा है। उदय प्रकाश पहले लेखक थे जिन्होंने असहिष्णुता के विरुद्ध साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया था। वे बीच-बीच में बीजेपी और मोदी की तारीफ़ भी करते रहते हैं- नरेंद्र मोदी को उन्होंने प्रखर वक्ता बताया था। लेकिन उनको जो धमकियाँ मिल रही हैं, उनका उनके लेखन से कोई सम्बन्ध नहीं है। धमकी देने वाले बजरी-माफ़िया के लोग हैं, जिन्होंने उनकी किताब पढ़ना तो दूर उनका नाम भी नहीं सुना होगा।

दोनों प्रकरण अब पुलिस के पास हैं। रवीश कुमार ख़ुद को मिल रही धमकियों का प्रचार करते रहे। बहुत मुश्किल से पुलिस के पास गये और शिकायत दर्ज़ करवाई। उदय प्रकाश ने भी अब अपनी सुरक्षा के लिये पुलिस से गुहार लगाई है। यह कहने की शायद कोई ज़रूरत नहीं कि ये दोनों घटनाएँ दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय हैं।

हम भारत सरकार और मध्यप्रदेश शासन से यह अपील करते हैं कि मुस्तैदी के साथ इन मामलों की जाँच करवाई जाये और दोषियों को पकड़ा जाये और उदय प्रकाश और रवीश कुमार और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये आवश्यक कार्यवाही की जाये। दोनों को X, Y या Z सुरक्षा मुहैया करवाई जाये। जब सरकार ने एक ब्लैकमेल के आरोपी टीवी पत्रकार को Y श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है तो उदय प्रकाश और रवीश कुमार को क्यों यह सुरक्षा नहीं दी जा सकती?

वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन और कृष्ण कल्पित की एफबी वॉल से.

 

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