‘पेटीकोट पत्रकारिता’ की पूरी कीमत कांग्रेस से वसूलने की तैयारी में NDTV वाले रवीश कुमार!

रवीश कुमार अपनी ‘पेटीकोट पत्रकारिता’ की पूरी कीमत कांग्रेस से वसूलने की कोशिश में रात-दिन एक किए हुए हैं? रवीश के कारण बिहार कांग्रेस दबाव महसूस कर रही है। कांग्रेस का आलाकमान जहां रवीश के भाई ब्रजेश पांडे को लोकसभा का टिकट देकर अपने प्रति रवीश की वफादारी की पूरी कीमत चुकाना चाहता है, वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस का मानना है कि रवीश के भाई के कारण चुनाव के बीच में फजीहत हो सकती है।

गौरतलब है कि रवीश का सगा बड़ा भाई ब्रजेश पांडे एक महिला के यौन उत्पीड़न और सेक्स रैकेट चलाने के आरोप से गुजर चुका है। बिहार कांग्रेस का मानना है कि रवीश के भाई को टिकट देते ही यह मुद्दा फिर से सोशल मीडिया पर उछल सकता है, जिस कारण पार्टी को नुकसान हो सकता है।

लेकिन सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान हर हाल में रवीश कुमार के भाई को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहता है। जिस तरह गुजरात में अपने एक ‘शूटर’ निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट को कांग्रेसी आलाकमान ने चुनाव लड़ाकर अपने प्रति वपफादारी का ईनाम दिया था, वैसा ही ईनाम इस चुनाव में पत्राकारिता में अपने सबसे बड़ा ‘वफादार’ को भी देना चाहता है।

बिहार कांग्रेस का एक दूसरा तर्क भी है। बिहार कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ”रवीश का भाई ब्रजेश पांडे चंपारण के वाल्मीकिनगर और दूसरे विकल्प के रूप में बेतिया से लोकसभा का टिकट मांग रहे हैं। अभी कांग्रेस और राजद के बीच समझौता होना है। यदि इस समझौते के तहत दरभंगा की सीट राजद के पास चली गई तो फिर भाजपा से कांग्रेस में आए सांसद कीर्ति आजाद को हम कहां से लड़ाएंगे? चार ब्राह्मण बहुल सीट-बेतिया, वाल्मीकिनगर, झंझारपुर और दरभंगा में से दरभंगा जाने पर कीर्ति आजाद भी वाल्मीकिनगर या फिर बेतिया से चुनाव लड़ना चाहते हैं। दरभंगा जब राजद के पास जाएगा तो कीर्ति को चंपारण के वाल्मीकिनगर या बेतिया से लड़ना हमारी मजबूरी है। ऐसे में ब्रजेश पांडे को वहां से टिकट देना कहीं से भी उचित नहीं होगा। आखिर ब्रजेश पांडे से बड़ा चेहरा हैं कीर्ति आजाद, इसलिए प्राथमिकता कीर्ति आजाद को देनी चाहिए। ऐसे में यदि रवीश के भाई को उनकी पसंद के हिसाब से टिकट दे दिया गया तो फिर कीर्ति आजाद जैसे नामी चेहरे को पार्टी में लाने का पफायदा क्या होगा?”

उस सूत्र का कहना है कि रवीश कुमार लगातार कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाए हुए हैं, अब देखते हैं वहां से क्या निर्णय आता है। आखिर में कांग्रेस में फैसला तो दिल्ली से ही होता है।

जानकारी के लिए बता दूं कि रवीश कुमार के बड़े भाई ब्रजेश पांडे को बिहार विधनसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था, लेकिन वह चुनाव हार गये थे। वह बिहार प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। उसके बाद उन पर बिहार के एक पूर्व दलित मंत्री की नाबालिग बेटी ने यौन शोषण, बलात्कार और सेक्स रैकेट चलाने का अरोप लगाया। इस सेक्स रैकैट में राज्य के नेता-नौकरशाह गठबंधन के नाम सामने आए। आरोप लगा कि वीवीआईपी को ये लोग लड़कियां सप्लाई करते थे। बाद में उन्हें गिरफ्तारी से बचाने के लिए कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल, राजीव तनखा जैसे सात बड़े वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोल कर उन्हें गिरफ्तारी से बचा लिया।

बिहार कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि ब्रजेश पांडे को टिकट देने पर सेक्स रैकेट का यह मामला फिर से तूल पकड़ सकता है, जिससे पार्टी की फजीहत होगी। अब देखना है कि रवीश की ‘वफादारी’ का ईनाम कांग्रेस उसके भाई को टिकट देकर देती है या फिर बिहार कांग्रेस के नेताओं की बात सुनती है?

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