फिर बदमिजाज हुए जनसंदेश के प्रधान संपादक डा. सुभाष राय

jansandeshआज सोमवार को लगभग शाम के 7 बजे जनसंदेश टाइम्स के सीईओ आरपी सिंह लखनऊ संस्करण के जीएम विनीत मौर्य और प्रधान संपादक डा. सुभाष राय के मध्य कार्यालय के कुछ मुद्दों को लेकर मीटिंग चल रही थी जिसके दौरान प्रधान संपादक डा. सुभाष राय एकाएक सीईओ आरपी सिंह और जीएम विनीत मौर्या पर भड़क गए। बहुत ही बदजुबानी के साथ चीखते हुए सीईओ और जीएम से तकरीबन के साथ आधे घंटे तक लड़ते रहे लेकिन जीएम विनीत मौर्या और सीईओ आरपी सिंह ने अपने बड़े आदमियत का परिचय देते हुए शांत भाव से उनकी बदमिजाजी को बर्दाश्त करते रहे। ऐसाा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। इसके पहले भी मैनेजमेंट से सिर्फ अहम के नाम पर डा. सुभाष राय कार्यालय परिसर में हमेशा भिड़ते रहे हैं। उनकी इसी बदमिजाजी की वजह से संस्थान में उनको लेकर कर्मचारियों में काफी समय से रोष व्याप्त है। आज का झगड़ा किस मुद्दे पर हुआ इसकी पूरी जानकारी नहीं है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कानपुर एडीशन से प्रिंट लाइन से डा. सुभाष राय का नाम हट जाने से वह खासे नाराज थे। सुभाष राय अब तक कई मैनेजमेंटों से लड़ चुके हैं और मैनेजमेंट ही नहीं अपने कर्मचारियों को भी वह आड़े हाथ लिए रहते हैं। इस समय कर्मचारी संस्थान में सैलरी न मिलने की वजह से खासे परेशान चल रहे हैं लेकिन प्रधान संपादक डा. सुभाष राय कभी इन मुद्दों पर मैनेजमेंट से बात नहीं करते, वह शायद इसलिए नहीं करते क्योंकि वह अपनी सैलरी तो ले लेते हैं और जानबूझकर संस्थान के बाकी कर्मचारियों की सैलरी को रुकवाए रहते हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि संस्थान कभी निर्विवाद रूप से कार्य न करे और प्रगति के पथ पर अग्रसर न हो। ऐसा माना जा रहा है कि सैलरी के मुद्दे पर ही सीईओ आरपी सिंह और जीएम विनीत मौर्या ने उनसे बात करने की शुरुआत की थी लेकिन डा. सुभाष राय ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाई। इनकी इस बेरुखी से सीईओ आरपी सिंह और जीएम विनीत मौर्या खासे नाराज रहे। उन्होंने भी इस बात को माना कि डा. सुभाष राय संस्थान के हितों को दरकिनार करते हुए और संस्थान के कर्मचारियों के हितों को वह दरकिनार करते हुए सिर्फ अपने अभिमान को आगे रखना चाहते हैं। जिससे संस्थान बहुत पीछे जा रहा है। आज के झगड़े को लेकर जब हमने सीईओ आरपी सिंह को फोन करके पूछा तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि देखिए ऐसा कोई बात नहीं हुई है अगर हुई भी है तो मैं उसे अन्यथा नहीं लेता, मैं हमेशा संस्थान के प्रगति के लिए कार्य करता रहा हूं और आगे भी इसी तत्परता के साथ करता रहूंगा इसमें किसी को बाधा नहीं बनने दूंगा।
इसी मुद्दे पर डा. सुभाष राय को मैं फोन लगाता रहा लेकिन उनका फोन नेटवर्क से बाहर बताता रहा। इस मुद्दे पर जीएम विनीत मौर्या से भी बात नहीं हो सकी है लेकिन इतना तय है कि अब आने वाले समय में जनसंदेश में डा. सुभाष राय की स्थितियां बहुत अच्छी नहीं दिख रही हैं। ऐसा लग रहा है कि संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों की बददुआएं डा. सुभाष राय को लग गई हैं और अब संस्थान का हर कर्मचारी उनसे नाखुश दिख रहा है।

bj

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