हेमंत तिवारी और शिवशरण ने पत्रकारों के चुनाव को लगाया ग्लैमर का तड़का
सचिव पद पर फिर संभालेंगे शिवशरण सिंह !
उत्तर प्रदेश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारिता जगत के सर्वोच्च दर्जे के राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों के चुनाव को लेकर जो रस्सा कस्सी और खींचातानी चल रही है उसका पूरा का पूरा श्रेय अध्यक्ष हेमंत तिवारी और सचिव शिवचरण सिंह को जाता है। इतिहास गवाह है कि पत्रकारों के इन चुनाव के पीछे ना तो कभी मारामारी होती थी और ना ही कोई खींचातानी हालत यह हो गए हैं की तलवारे निकल आई हैं और बंटवारे की सरहद पर सैकड़ो की तादाद के राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार इधर-उधर खेमों में बटें दिखाई दे रहे हैं जबकि जिस समिति के चुनाव हो रहे हैं उसका ना तो कोई पंजीकरण है और ना ही उसकी कोई वैधानिक महत्ता लेकिन इसके पद का ग्लैमर जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मुंबई के बड़े-बड़े क्लब में दिखाई देता है उसको लेकर हर पत्रकार इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाइश पर लगा है।
जहां हेमंत तिवारी द्वारा अध्यक्ष पद हथियाने के बाद मुंबई के अनेक व्यवसाईयों, अखबार मालिकों और राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्तियों को उत्तर प्रदेश के विकास के राह पर लाने का प्रयास किया है और अपने परिवार का एक बड़ा विकास सोशल मीडिया पर आए दिन दर्शाया है उसको देखकर तमाम पत्रकार अध्यक्ष ओढ हेतु लालियत दिखते है लेकिन हेमंत तिवारी का अपना जलवा बना हुआ है।
साल के 365 दिन में 300 दिन हेमंत तिवारी द्वारा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में जिस तरह पांच सितारा होटल से तस्वीर जारी की जाती है उसको देखकर इनके पद की गरिमा का महत्व लगाया जा सकता है, दशकों से हेमंत तिवारी द्वारा किसी भी मीडिया संस्थान में ना तो नौकरी की जा रही है और ना किसी प्रकार से उनका जुड़ाव रहा है लेकिन महीने की लाखों रुपए का खर्च और महंगी शराब की बोतलों के अनेक किस्सों से विधानसभा का प्रेस कक्ष भरा पड़ा है सिर्फ यही नहीं उत्तर प्रदेश के छोटे नेताओं राजभर निषाद या मुंबई से आए बड़े नेता को पूर्वांचल में टिकट दिलाने से लेकर अन्य भूमिका में सक्रिय रूप से कार्यरत रहने की वजह से राजनीतिक दलों में घुसपैठ बन गई है और योगी सरकार के दोनों इंजन अक्सर उनके घर पर देखे जा सकते हैं।
लखनऊ विकास प्राधिकरण से रियायती दरों पर भूखंड पर आलीशान आवास होने के बाद भी बटलर पैलेस में सरकारी आवास पर कब्जा जमाए रखना आसान नहीं था लेकिन पत्रकारों के नेतृत्व और अध्यक्ष पद पर बने रहने के कारण शासन प्रशासन के अधिकारी वर्ग भी कार्यवाही करने से डरते हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि अध्यक्ष पद ना छोड़ना पड़े इसके लिए चाहे पत्रकारों में आपसी बंटवारा मि राजनीति का बड़ा दांव खेला जा रहा है और तोड़फोड़ की राजनीति करते हुए चुनाव को लंबे समय तक खींचने के सारे हथकंडे अपनाए जा रहें है।
अध्यक्ष पद पर बट रही मलाई और रबड़ी से सीख लेकर सचिव गुरु ने भी कम हाथ नही मारा है।अपने कद के अनुरूप सचिव शिव शरण सिंह द्वारा जहां अपने ही परिवार के नाम संचालित अनेक समाचार पत्र मे विज्ञापन के नाम पर करोड़ो की धनराशी का विज्ञापन बटोरा गया है वहीं प्रेस क्लब नाम की संस्था पर अपना झंडा गढ़ दिया है और आने वाले वक्त में प्रेस क्लब की बागडोर पूरी तरीके से अपने हाथों में लेकर लाखों रुपए की अवैध कमाई का जुगाड़ बना लिया है, जुगाड़ पानी पत्रकारों के बीच इस बात की चर्चा है कि सचिव पद पर फिर संभालेंगे शिवशरण सिंह।
उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव पद पर रिकॉर्ड तोड़ो जीत हासिल कर इतिहास रचने वाले शिवशरण से पत्रकारों के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय मिलनसार और आसानी से उपलब्ध सहयोगी अग्रज और एक भाई की भूमिका के रूप में सदैव दिखाई देते हैं और यही कारण है कि सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर लगातार हैट्रिक लगाने के लिए सभी पत्रकार साथियों में शिवचरण सिंह को निर्विरोध सचिव पद पर चुने जाने की अपील जारी की है ।
भारी भरकम मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति बनने के उपरांत ना तो उनके कोई पदाधिकारी कभी पत्रकार साथियों को नजर आया है और ना ही कभी किसी पत्रकार की मुससबत के मौके पर साथ में खड़ा दिखा है, वहीं सचिव पद की भूमिका पर शिवशरण सिंह आसानी से साथी पत्रकारों को दिखते रहते है, मुम्बई दर्शन करने नही निकल जाते है बस अध्यक्ष से बीमारी के बहाने का गुरु मंत्र लेकर कभी कभार बहाना मार देते है लेकिन गुरु चेले की ये जोड़ी को कोई हटाने वाला नही दिखाई दे रहा है।