बिजली विभाग में था मीटर रीडर अब बनगया यूट्यूबर पत्रकार, पावर हाउस कर्मचारी ने मारपीट और काम करवाने का दवाब बनाने को लेकर कराया मुकदमा दर्ज

ताजा मामला पारा कोतवाली अंतर्गत FCI उपकेंद्र के शकुंतला मिश्रा पावर हाउस का है जहां पर नीरज वर्मा नाम का व्यक्ति अपने सहयोगी के साथ बिजली विभाग में जमकर पत्रकारिता का धौंस जमाता है। जबकि इस व्यक्ति को न तो समाचार लिखना आता है और न ही चैनल में कैमरे के सामने बोलना आता है। बिना डिग्री के पत्रकार बनकर घूमना और अधिकारियों के साथ साथ आम जनता को चूना लगाना इनका पेशा बन गया है। इसी कड़ी में बीते शनिवार को FCI अंतर्गत शकुंतला मिश्रा पावर हाउस के एक कर्मचारी ने मारपीट और काम करवाने का दवाब बनाने को लेकर नीरज के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है।

राजधानी लखनऊ में पत्रकारिता की आड़ में कई दिग्गज पत्रकारों की मान्यता सूचना विभाग निरस्त कर चुका है। वहीं दूसरी ओर शहर के कोने कोने में झोलाछाप पत्रकार पैदा हो चुके हैं। जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। लेकिन आज के समय में पत्रकार बनना सबसे आसान हो चुका है। क्योंकि इसके लिए डिग्री चाहिए नहीं और कौन देखने आता है। इसी कारण क्षेत्र में अधिकारियों से लेकर जनता तक को अपनी धौंस जमा कर अपना मतलब सिद्ध कर रहे हैं।

ताजा मामला पारा कोतवाली अंतर्गत FCI उपकेंद्र के शकुंतला मिश्रा पावर हाउस का है जहां पर नीरज वर्मा नाम का व्यक्ति अपने सहयोगी के साथ बिजली विभाग में जमकर पत्रकारिता का धौंस जमाता है। जबकि इस व्यक्ति को न तो समाचार लिखना आता है और न ही चैनल में कैमरे के सामने बोलना आता है। बिना डिग्री के पत्रकार बनकर घूमना और अधिकारियों के साथ साथ आम जनता को चूना लगाना इनका पेशा बन गया है।

इसी कड़ी में बीते शनिवार को FCI अंतर्गत शकुंतला मिश्रा पावर हाउस के एक कर्मचारी ने मारपीट और काम करवाने का दवाब बनाने को लेकर नीरज के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है।

जानकारी मुताबिक नीरज वर्मा पहले बिजली विभाग में मीटर रीडर था जो मौजूदा समय में पत्रकारिता का चोला ओढ़कर पत्रकार बनकर अधिकारियों पर दवाब बनाता है और जनता से काम करवाने के नाम पर उनसे पैसे वसूलता है। आपको बता दें कि पहले भी इस व्यक्ति के खिलाफ पारा कोतवाली में बिजली विभाग  मुकदमा दर्ज करवा चुका है।

सूचना विभाग के रिकॉर्ड में भी नहीं है नीरज का नाम

 

मुख्यालय हो या जिला सूचना विभाग कहीं पर भी नीरज को पत्रकार का दर्जा प्राप्त नहीं है। फिर भी पत्रकारिता का दामन इसलिए थामे है ताकि रोजी रोटी चलती रहे। ऐसे ही झोलाछाप पत्रकारों के कारण वास्तविक पत्रकार को भी अधिकारी शक की नजर से देखते हैं। इसी कारण वर्तमान समय में ऐसे लोगों के कारण पत्रकारिता का स्तर गिर रहा है।

 

आखिर राम सिंह से क्यों उलझते हैं ये झोलाछाप पत्रकार

ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण हर बार, बार बार राम सिंह से ही हर कोई क्यों उलझता है? इस विषय पर भी विभाग के उच्च अधिकारियों को सोचना चाहिए।

TG 2 लाइनमैन राम सिंह का भी विवादों से पुराना नाता है। अधिकारियों तक बात पहुंचती नहीं है और मामले को खुद करते हैं मैनेज। इसी वजह से जब काम नहीं होता तो राम सिंह से सब मिलते जाते हैं। जिसके बाद राम सिंह पुलिस का सहारा लेकर खुद को बचाने के चक्कर में पत्रकारों या अन्य को अपना शिकार बना लेता हैं।

लंबे समय से कृष्णा नगर डिवीजन के उपकेंद्र सरोसा भरोसा और बाद में FCI में तैनात यह कर्मचारी सबसे बयाने मोल लेता आ रहा है और अधिकारी भी इसका जमकर सहयोग कर रहे हैं। वरना क्या मजाल एक लाइनमैन पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करवाए। क्या काम करवाने को लेकर दवाब केवल राम सिंह पर ही बनाया जाता है। बीते महीनों में राम सिंह ने ही भ्रष्टचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर मुकदमा दर्ज करवा कर उन्हे शांत कर दिया। अगर ठीक से जांच हो जाए तो राम सिंह पर भी गाज गिर सकती है। लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं करेंगे।

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