भारत-चीन सीमा विवाद पर ऐसे चलाया जाता था ड्रैगन का प्रोपेगंडा: न्यूज़क्लिक के संपादक को निर्देश देता था कम्युनिस्ट कारोबारी, ऑफिस के रख-रखाव का बहाना बना कर लिए ₹1.5 करोड़

न्यूज़क्लिक, चीन, नेविल रॉयचीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की प्रोपेगेंडा शाखा से जुड़े अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम भारत सहित दुनिया भर में चीन का प्रचार ही नहीं करते बल्कि वो दुनिया का रुख चीन की तरफ मोड़ने का काम भी करते हैं। चीन का प्रचार करने के लिए दुनिया भर के समाचार प्रकाशनों को पैसे की मदद देने वाले सिंघम ने इस संबंध में कुछ न्यूजक्लिक के एडिटर इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ को भी बताया था कि किस एंगल से प्रोपेगंडा फैलाना था।

‘टाइम्स नाउ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूजक्लिक के पुरकायस्थ और सिंघम के बीच भारत-चीन सीमा विवाद को खबरों में कैसे रिपोर्ट करना है इसे लेकर ईमेल के जरिए बात हुई है। इसके अलावा भी भारत में चीन से संबंधित अन्य खबरें कैसे दिखाईं और पब्लिश की जाएँ, इस बारे में दोनों के बीच बातचीत हुई। ‘टाइम्स नाउ’ ने दावा किया है कि उसने उन कुछ ईमेलों को एक्सेस कर लिया है जो उन्होंने एक-दूसरे के भेजे थे।

दरअसल चीन के इशारों पर भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाने वाले वामपंथी मीडिया पोर्टल न्यूजक्लिक का चीनी कनेक्शन का खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। इसमें दावा किया गया है कि न्यूज क्लिक को भारत विरोधी प्रोपेगेंडा चलाने के लिए चीन की तरफ से फंडिंग दी जाती है। इसमें भारत के कई पत्रकारों सहित कई दूसरे लोग भी शामिल हैं।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के पेरोल पर पर काम करने वाले अमेरिकी करोड़पति नेविल रॉय सिंघम और विवादास्पद वामपंथी मीडिया पोर्टल न्यूज़क्लिक की भारत में चीन के नजरिए को बढ़ावा देने के लिए बातचीत हुई। 6 जनवरी, 2021 की शाम 5:09 बजे, सिंघम ने कई व्यक्तियों को एक ईमेल भेजा था। इसमें न्यूज़क्लिक के एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ उन कई रिसीवरों में से एक थे।

दरअसल, चीन अपने नक़्शे में अरुणाचल प्रदेश को चीन के एक हिस्से के तौर पर दिखाता है। कभी-कभी इसे ‘तथाकथित अरुणाचल प्रदेश’ के रूप में संदर्भित भी करता है। चीन भारतीय क्षेत्र पर इस एकतरफा दावे को रेखांकित करने और भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर भारत की संप्रभुता को कमजोर करने के लिए कोशिशें करता आया है।

चीनी एजेंडे को बढ़ावा देने वाले एक विवादास्पद नक्शे के साथ, ईमेल में ये भी कहा गया है, “ये नक्शा चीन के कूटनीतिज्ञों की तरफ से बनाया गया है जहाँ चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है।”

इस ईमेल का एक-दूसरे को भेजा जाना न्यूज़क्लिक जैसे वामपंथी मीडिया पोर्टलों को चीनी की बातों को दोहराने के लिए चीनी निर्देश का एक हिस्से जैसे लगता है। वो भी पूरी तरीके से इस फैक्ट को दरकिनार करते हुए है कि ये राष्ट्रीय हित का उल्लंघन और अतिक्रमण करता है या हमारी घोषित संप्रभु सीमाओं के खिलाफ जाता है।

NYT ने किया भारत तक फैले बड़े चीनी जाल का खुलासा

आरोप है कि न्यूज़क्लिक को विदेशी स्रोतों से बेहिसाब पैसा मिला था। इसके साथ ही वह अन्य आपराधिक कामों के साथ-साथ वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त था। ये बातें इस समाचार पोर्टल पर ईडी के छापे के बाद सामने आई थीं। हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे के बाद यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है।

शनिवार (5 अगस्त) को न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। इसमें एक अमेरिकी व्यवसायी के चीनी सरकार के साथ संबंधों और न्यूज़क्लिक नाम के भारतीय वामपंथी प्रचार आउटलेट के उससे वित्तीय मदद मिलने का खुलासा किया गया था। अमेरिका के इस अखबार के मुताबिक, नेविल रॉय सिंघम नाम का एक करोड़पति चीनी प्रचार को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर (भारत सहित) में कई समाचार प्रकाशनों को फंडिंग कर रहा है।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, “नई दिल्ली में, कॉर्पोरेट फाइलिंग से पता चलता है कि सिंघम के नेटवर्क ने एक न्यूज साइट, न्यूज़क्लिक को वित्तपोषित किया, जिसने अपनी कवरेज को चीनी सरकार के मुद्दों से जोड़ा। अमेरिकी अखबार ने ये भी नोट किया कि एक वीडियो में कहा गया, “चीन का इतिहास श्रमिक वर्गों को प्रेरित करता रहा है।”

न्यूज़ क्लिक को मिली कई करोड़ रुपए की ‘बेहिसाब’ विदेशी फंडिंग

इससे पहले, 9 फरवरी, 2021 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने न्यूज क्लिक के फाउंडर और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के घर पर छापा मारा था। ईडी के सूत्रों के मुताबिक, न्यूज़क्लिक को एक अमेरिकी कंपनी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के तहत 10 करोड़ रुपए मिले थे। दिलचस्प बात यह है कि पुरकायस्थ को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि अमेरिकी कंपनी ने उनकी कंपनी के खाते में पैसे क्यों ट्रांसफर किए हैं। वह इस बात का कोई सबूत नहीं दे सके कि उन्होंने खास कंपनी के लिए क्या काम किया है।

आगे की जांच से पता चला कि एक अन्य अमेरिका बेस्ड कंपनी ने न्यूज़क्लिक को 20 करोड़ रुपए दिए और इसे ‘धन प्रेषण’ के तौर पर दिखाया था। इस कंपनी ने ये भुगतान न्यूज़क्लिक को पीपल्स डिस्पैच नाम के पोर्टल पर कंटेंट अपलोड करने की एवज में किया था।

इसके अलावा, यह भी पता चला कि पुरकायस्थ ने रखरखाव के नाम पर 1.5 करोड़ रुपए भी लिए थे। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने कार्यालय में रखरखाव के लिए नौवीं पास इलेक्ट्रीशियन को काम पर रखा था। उसे जो पैसा दिया गया वो बगैर किसी दस्तावेज के था। इस वजह से पुरकायस्थ इस लेनदेन के बारे में ईडी को बताना मुश्किल पड़ गया।

बाद में, जुलाई 2021 में, ईडी ने बताया कि ‘न्यूज़क्लिक’ के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच से पता चला है कि इस मीडिया आउटलेट के प्रमोटरों को संस्थाओं से लगभग 38 करोड़ रुपए मिले, जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हो सकते हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच कर रहे एक अधिकारी ने खुलासा किया कि न्यूज़क्लिक का नेविल रॉय सिंघम नाम के एक श्रीलंकाई-क्यूबा-आधारित कारोबारी के साथ वित्तीय लेनदेन था। इसने कथित तौर पर 2018 और 2021 के बीच विदेश से पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये दिए थे।

जैसा कि हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स की व्यापक रिपोर्ट में कहा गया है, ईडी अधिकारी, जिन्होंने मीडिया आउटलेट के धन प्रवाह का पता लगाया था, ने यह भी कहा था कि सिंघम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की प्रचार शाखा से जुड़ा है।

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