छात्रा रेप केस की जांच ट्रांसफर होने पर भारी रोष ‘बार एसोसिएशन ने लिखा UP के DGP को पत्र’

बार एसोसिएशन मथुरा ने एमबीए की छात्रा से बलात्‍कार करने के मामले में आरोपी पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु के भाई की एप्‍लीकेशन पर जांच को गैर जनपद स्‍थानांतरित कर दिये जाने के खिलाफ पुलिस महानिदेशक लखनऊ को एक प्रार्थनापत्र भेजा है।
बार के अध्‍यक्ष विजयपाल सिंह तोमर के हस्‍तक्षरयुक्‍त इस पत्र में डीजीपी उत्‍तर प्रदेश से अनुरोध किया गया है कि वह कमलकांत उपमन्‍यु के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 506 के केस की विवेचना को पुन: मथुरा जनपद स्‍थानांतरित कर आरोपी की गिरफ्तारी सुनिश्‍चित करें।
उल्‍लेखनीय है कि उत्‍तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बनर्जी ने सेवा निवृत होने से मात्र एक सप्‍ताह पूर्व आरोपी कमलकांत उपमन्‍यु के भाई त्रिभुवन उपमन्‍यु के प्रार्थना पत्र पर बलात्‍कार जैसे संगीन अपराध की विवेचना मथुरा से फिराजाबाद जनपद स्‍थानांतरित कर दी थी जो न सिर्फ नियम विरुद्ध है बल्‍कि ऐसे मामलों में सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिये गये आदेश-निर्देशों का खुला उल्‍लंघन है।
इस संबंध में आज जब ‘लीजेण्‍ड न्‍यूज़’ ने इस मामले के नये विवेचक और फिरोजाबाद की क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्‍पेक्‍टर सत्‍यपाल सिंह से उनके सीयूजी नंबर 9412861327 पर बात की तो उन्‍होंने विवेचना खुद को सौंपे जाने की पुष्‍टि करते हुए यह भी स्‍वीकार किया कि बलात्‍कार जैसे संगीन आरोप की जांच सामान्‍यत: इस तरह तब्‍दील नहीं की जाती। उन्‍होंने कहा कि मैं अपनी जिम्‍मेदारी पूरी निष्‍पक्षता के साथ और ईमानदारी पूर्वक निभाऊंगा तथा तथ्‍यों का ध्‍यान रखूंगा।
गौरतलब है कि पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु के खिलाफ दर्ज बलात्‍कार और जान से मारने की धमकी देने के इस मामले की जांच इससे पहले मथुरा में ही तैनात महिला सब इंस्‍पेक्‍टर रीना द्वारा की जा रही थी। उप निरीक्षक रीना ने ही पीड़िता से 161 के बयान लिए थे और उन्‍होंने ही मैडिकल कराने के उपरांत कोर्ट में 164 के बयान कराकर कमलकांत उपमन्‍यु के खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल करके 82 की कार्यवाही कराई थी।
यह मामला पीड़िता द्वारा 3 दिसंबर को प्रार्थना पत्र देने पर एसएसपी मंजिल सैनी ने जांच के उपरांत 6 दिसंबर को थाना हाईवे में दर्ज कराया था, बावजूद इसके आरोपी कमलकांत की गिरफ्तारी नहीं की गई और उसे पीड़िता व उसके परिवार पर समझौते के लिए दबाव बनाने का पूरा मौका दिया गया।
यही नहीं, एसएसपी मंजिल सैनी से पर्याप्‍त सहयोग मिलने के कारण ही बलात्‍कार जैसे संगीन केस की विवेचना को आरोपी कमलकांत गैर जनपद स्‍थानांतरित कराने में सफल रहा।
आश्‍चर्य की बात यह है कि जिस तारीख यानि 22 दिसंबर को इस केस की विवेचना फिरोजाबाद स्‍थानांतरित किये जाने के आदेश तत्‍कालीन डीजीपी उत्‍तर प्रदेश आनंद लाल बनर्जी के हस्‍ताक्षर से हुए हैं, उस तारीख में आनंद लाल बनर्जी गंभीर अस्‍वस्‍थ्‍य बताये गये और उपचार के लिए हॉस्‍पीटल में एडमिट थे। ऐसे में उनके द्वारा विवेचना स्‍थानांतरित करना किसी बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करता है।
जाहिर है कि इस मामले में मथुरा की एसएसपी से लेकर तत्‍कालीन डीजीपी आनंद लाल बनर्जी की भूमिका से सूबे के पुलिस महकमे की छवि काफी धूमिल हुई है और आमजन के बीच इस आशय का संदेश भी गया है कि हाईप्रोफाइल मामलों में पुलिस की भूमिका कुछ और रहती है जबकि जनसमान्‍य के लिए कुछ और। कमलकांत उपमन्‍यु जैसे शासन व प्रशासन के लाइजनर्स, नियम-कानून तथा आदेश-निर्देशों की धज्‍जियां उड़ाकर किस तरह समूची व्‍यवस्‍था का मजाक उड़ाते प्रतीत होते हैं और आम आदमी छोटे से छोटे मामलों में प्रताड़ित किया जाता है।
बार एसोसिएशन ने डीजीपी को लिखे पत्र में इस आशय की चेतावनी भी दी है कि यदि समय रहते इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जाती और विवेचना को निष्‍पक्ष तरीके से निस्‍तारित करने में बाधा उत्‍पन्‍न की जाती है तो शीघ्र ही अधिवक्‍तागण इसे उच्‍च न्‍यायालय तक ले जाने को बाध्‍य होंगे क्‍योंकि इस तरह आरोपी के भाई की एप्‍लीकेशन पर संगीन अपराध की विवेचना गैर जनपद स्‍थानांतरित की जा सकती है तो यह अधिकार सभी मामलों में आरोपी अथवा उसके परिजनों को दिया जाना चाहिए ताकि कानून सबके लिए समान होने की बात केवल सुनाई न दे, बल्‍कि दिखाई भी दे।

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