वाह रे संवाददाता समिति !

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता संवाददाता समिति के नये स्वरुप की नयी शुरुआत ।।

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता संवाददाता समिति के सफलतापूर्वक दो चुनाव संपन्न हुए । दोनों ही चुनाव में चुने गए सभी पदाधिकारियों को बहुत बहुत बधाइयां । आरोप प्रत्यारोपों के चलते एक बात स्पष्ट है की चुनाव हुए और हम सब लोगों को एक दुसरे से मिलने का मौका भी मिला, आपस में विचारों का आदान प्रदान भी हुआ, श्याद खुशकिस्मत हुआ तो दो दो दावतें भी खाने को मिलेगी. ज़्यादातर लोगो के ज़ेहन और ज़ुबान पर एक सवाल अब क्या होगा, मुख्यमंत्री के साथ तस्वीर किस गुट की होगी, बड़े बड़े समाचार पत्र और चैनल भी इस चुनाव के चलते गुटबाज़ी का शिकार दिखे , निष्पक्ष पत्रकारिता की बात करने वाले समाचार पत्रों और चैनल के संपादक, ब्यूरो भी एक दुसरे की ख़बरों पर प्रतिबन्ध करने के लिए लामबंध दिखे , दुकानदार पटरी ऑटो चालक एसोसिएशन की खबरे तक छप जाती है लेकिन इस चुनाव की खबरे गुटबाज़ी का शिकार हो गयी ।।। वाह रे संवाददाता समिति।।।
क्या है ये संवाददाता समिति, क्या है प्रोलोभन, क्या मिलेगा लाभ, क्यों सिर्फ सैकड़ों की तादाद के जमावड़े की इस समिति के समाज के चौथा स्तम्भ, बुद्धिजीवी कहे जाने वाला वर्ग एक निरही लाचार हाथ जोड़ कर वोट मांगता नज़र आया । वोट दे दो वोट दे दो यहाँ तक तो ठीक था लेकिन एक दुसरे के गिरेबां में भी झांकता नज़र आ रहा है और सड़को चौराहों पर एक दुसरे को गरियाता भी पाया गया । क्या गरिमा है लेखनी की ।।।।वाह रे संवाददाता समिति !
श्याद ये विश्व का एकमात्र चुनाव होगा जिसमें संस्था का कोई विधिक पंजीकरण नहो और न ही किसी विभाग या सरकार द्वारा कभी इसको मान्य किया गया हों सिर्फ कई सालों पहले इसके दो पदाधिकारीयों को पत्रकार मान्यता समिति में लिया जाता रहा था ।।। दस्तावेजो में यही प्रमाण नज़र आता है लेकिन गुटबाज़ी और मारामारी देखकर लगता है कुछ तो है कुछ तो और है जो दिखता नही लेकिन मिलता है ।।।।।वाह रे संवाददाता समिति ।।।
चुनाव दो दो हुए लेकिन किसी भी चुनाव में कोई भी एजेंडा नही था, कोई संविधान नहीं था समिति की कोई नियमावली नही थी, बस एक होड़ थी चुनाव चुनाव और हो गया चुनाव,,, वाह रे मान्यता समिति !
अंग्रेज़ो के ज़माने से चली आ रही divide and rule पालिसी का उचित लाभ कौन कौन उठाएगा ये तो वक़्त बताएगा लेकिन एक बात उभर कर सामने है नौकरशाह को इसका लाभ ज़रूर मिलेगा और पत्रकारों के गिरते स्तर में चुनावी नेतागीरी का तमगा भी चमकेगा । वाह रे मान्यता समिति !
वरिष्ठों, गरिष्ठो और मठाधीशो के पत्रकार कोटे में सरकारी बंगले भी है, कन्धों पर बड़े बड़े बैनरो में काम के तमगे भी है और तो और बड़े बड़े नौकरशाहों से मधुर संबंधों के चलते पीने पिलाने और सुख सुविधाओ का भी आभाव नहीं रहता फिर भी चुनाव में हाथ बंधे नज़र आये। कुछ तो है कही तो है ! वह रे मान्यता समिति ।।।।।
सही मायनों में देखा जाये तो इस समिति की सबसे ज़्यादा ज़रुरत है छोटे समाचार पत्रों में काम कर रहे छोटे पत्रकारों को जिनको आप मठाधीशों द्वारा कभी फ़र्ज़ी कभी ब्लैकमेलर कभी ठेले वाला कभी चाय वाला कभी चार पृष्ठ वाला कभी साईकिल वाला कहा जाता रहा है। क्या साईकिल से चलना गुनाह है, क्या चाय बेचने वाले को अख़बार में लिखने का हक़ नहीं है हा ये ज़रूर है आपके ब्रांडेड कपडे की हम तुलना नहीं कर सकते हो सकता है अपने पसीने से आपके महंगे और विदेशी परफ्यूम की तुलना नहीं कर सकते लेकिन आपने तो सालों से किसी समाचार पत्र में काम नहीं किया समाचार लिखना तो दूर आपका कोई लेख भी हमे कही नज़र नहीं आया सिर्फ आपकी मठाधीशी और नेतागीरी ।।।वाह रे मान्यता समिति !
आइये आज हम मान्यता प्राप्त पत्रकार और कलम के सच्चे सिपाही एक होकर उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के असली और सच्ची समिति का गठन करे। हमारी समिति न 100 रूपये वाली, न 10 रुपये वाली न ही विधानसभा प्रेस रूम वाली और न ही मीडिया सेंटर एनेक्से वाली केवल उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नाम से जानी जायेगी ।। आइये सदस्य बने साथ मिले साथ चले और पत्रकार एकता की एक नयी मिसाल बनाये ।।।।
एक नयी सोच और एक नयी पहल ।।।हमारी आपकी, हम सबकी –उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नए स्वरुप और सुझावों के लिए जर्रूर अपने सुझाव दे। kamran

मोहम्मद कामरान के फेसबुक वाल से 

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