लखनऊ के थाने में इटावा के पत्रकार की मौत
लखनऊ। राजधानी में एक बार फिर पुलिस की बर्बरता सामने आर्ई है। बताया जा रहा है कि सरोजनीनगर थानाध्यक्ष की पिटाई से पत्रकार व लेखक राजीव चतुर्वेदी की मौत हो गई। थाने में मौत के बाद पुलिस चुपचाप पिछले दरवाजे से ले जाकर पत्रकार को सीएचसी में भर्ती करवा दिया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जब ड्राइवर अपने मालिक को तलाशते हुए थाने पहुंचा तो उसे टरका दिया गया। उसने अपने मालिक राजीव के मोबाइल पर कॉल की तो पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है।
मूलरूप से इटावा के रहने वाले पत्रकार व ब्लागर राजीव चतुर्वेदी कृष्णलोक कालोनी के बगल में अपने निजी मकान में रहते थे। बताया जा रहा है कि मौजूदा वक्त राजीव आधार गु्रप प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड नाम से प्लास्टिक की फैक्ट्री चलाते थे। मंगलवार को वह अपने चालक के साथ सरोजनीनगर थाना गए थे। चालक सलाही के मुताबिक राजीव थाने के भीतर चले गये। उसके बाद उनका कोई सुराग नहीं लगा।
मंगलवार को राजीव अपने ड्राइवर सलाही के साथ हजरतगंज गए थे। उसके बाद उन्होंने सरोजनीनगर थाना चलने की बात कही। सलाही की मानें तो दोपहर करीब दो बजे उसने सरोजिनीनगर थाना के बाहर उन्हें उतार दिया। वह भीतर चले गये और सलाही पड़ोस में मौजूद मंदिर के किनारे गाड़ी खड़ी करके चाय के होटल पर बैैठ गया। तीन बजे तक राजीव बाहर नहीं निकले तो उसने उनके मोबाइल पर फोन मिलाया लेकिन फोन नहीं मिला। इस पर उसने राजीव की परिचित राजभवन में रहने वाली सविता सिंह से सम्पर्क किया। फिर उन्होंने भी राजीव के मोबाइल पर फोन मिलाया।
सलाही के मुताबिक राजीव के मोबाइल को किसी ने उठाया और बताया कि सामुदायिक केंद्र में उनका शव रखा है। उन्हें पुलिस ने भर्ती कराया है। यह सुनते ही सलाही सामुदायिक केंद्र पहुंचा तो देखा कि राजीव का शव पड़ा हुआ था। राजीव के जूते और बेल्ट गायब थे। आशंका जताई जा रही है कि राजीव को पुलिस ने हवालात में बंद कर दिया था क्योंकि पुलिस आरोपी को जब हवालात में बंद करती है तो पहले जूते और बेल्ट निकलवा देती है।
बताया जा रहा है कि बागपत के अग्रवाल मंडी का रहने वाला कारोबारी बिहारीलाल गुप्ता ने राजीव के खिलाफ 31 अक्टूबर को 25 लाख रुपए गबन का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करार्ई थी। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस बाबत ही उन्हें बुलाया था। उनके साथ पूछताछ के बहाने सख्ती गई।
एसओ सरोजनीनगर सुधीर कुमार का कहना है कि राजीव चतुर्वेदी को थाने नहीं बुलाया गया था। वह सड़क पर पड़े तड़प रहे थे। पुलिस की मदद से उन्हें सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असल वजह ज्ञात हो सकेगी।
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