‘The Wire’ की पत्रकार आरफा खानम को लोगों ने समझाया जर्मनी-भारत का फर्क, कहा- हिटलर के विरोध के बाद…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर से करना हमेशा से ही लिबरलों का पसंदीदा टॉपिक रहा है और जो कोई भी ‘सेकुलर लिबरलों’ के इस विचार से असहमत होता है, उसे ‘नाजी एनबलर’ (Nazi enabler) करार दे दिया जाता है। पीएम मोदी ने 2014 के अपने दूसरे कार्यकाल में प्रचंड बहुमत और बड़े जनादेश के साथ वापसी की। इसके बाद से बयानबाजी और भी ज्यादा बढ़ गई है।

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

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द वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने रविवार को ट्विटर पर लिखा, “1930 के नाजी जर्मनी और वर्तमान समय के भारत के बीच क्या अंतर है?”

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

Arijit Datta Ray@Shonkho

In 1930s Germany, you wouldn’t have survived a day after criticizing the Govt.,
In 2020s India, you’re making a living by maligning the Govt.

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एक ट्विटर यूजर ने 1930 के जर्मन और अभी के भारत के बीच का अंतर बताते हुए लिखा, “1930 के जर्मनी में सरकार का विरोध करने के बाद एक दिन भी जिंदा नहीं बचती, जबकि 2020 के भारत में तुम सरकार की छवि को लगातार धूमिल कर रही हो।”

हालाँकि नेटिजन्स ने उनकी जिज्ञासा को शांत करने में भरपूर मदद की। उन्होंने आरफा को न केवल यह बताया कि उनका इस तरह से तुलना करना त्रुटिपूर्ण है, बल्कि उन्होंने वामपंथी पत्रकार को यह भी समझाया कि कैसे भारत नाजी जर्मनी के एकदम विपरीत है।

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

Shashank@LiberalHermes

Correction : They ‘couldn’t’ protest. They got arrested as soon they were seen and taken to killing ghettos. While India is still a very much functioning democracy. The constitution gives you right to protest. It’s foolish to draw similarities between India and Germany.

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शशांक नाम के एक अन्य यूजर ने आरफा की जानकारी को सही करते हुए लिखा कि जर्मनी के लोग विरोध नहीं कर सके। जैसे ही उन्होंने इसका प्रयास किया, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि भारत में अभी भी लोकतंत्र है। संविधान आपको विरोध करने का अधिकार देता है। भारत और जर्मनी के बीच समानताएँ दर्शाना मूर्खता है।

कुछ लोगों ने उन्हें यह भी बताया कि कैसे भारत में मुसलमानों का डर निराधार है।

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

S S Singh@Singh2639

The fact you are able to ask this question,still enjoy freedom & have a great life, that is the difference madam. It will be that way in future as well.

Though some of u may wish it to be otherwise.

Muslims are & will always be safe here & enjoy equal rights.
Have a great day

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वहीं कुछ लोगों ने जर्मनी के यहूदियों की दुर्दशा और सर्वनाश की तुलना भारत के अल्पसंख्यकों से करना अपमानजनक बताया। क्योंकि भारत के अल्पसंख्यक न केवल यहाँ सुरक्षित हैं, बल्कि समान अधिकार का भी लाभ उठा रहे हैं और कभी-कभी तो ये समान अधिकार से भी अधिक लाभ उठा लेते हैं।

Arif Aajakia@arifaajakia

The difference – in Germany of 1930s, opposition and minorities were living in Concentration camps. In India, minorities like you spread hatred on National TV & spend vacations in Paris, not concentration camps.
Nazis believed in violence, so do the protesters of India of 2020. https://twitter.com/khanumarfa/status/1216353306529927168 

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

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एक यूजर ने दोनों के बीच के अंतर बताते हुए लिखा, “1930 के जर्मनी में विपक्ष और अल्पसंख्यक कंसंट्रेशन कैंप में रहते थे, जबकि भारत में आप जैसे अल्पसंख्यक नेशनल टीवी पर नफरत फैलाते हो और पेरिस में छुट्टियाँ मनाते हो, न कि कंसंट्रेशन कैंप में।”

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

Politically Untouchable Hindu@bjplao

आंटी जर्मन तानाशाह से किस बेस पर भारत के चुने हुए लोकप्रिय प्रधानमंत्री की तुलना कर रही हो? आंटी 1930 पर पहुंच गई 1975 याद नहीं? जब पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को जेल में ठूंस दिया, क्या आपने कभी 1975 इमरजेंसी लगाने वाली प्रधानमंत्री की तुलना जर्मनी के तानाशाह से की?

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एक अन्य यूजर ने लिखा, “आंटी जर्मन तानाशाह से किस बेस पर भारत के चुने हुए लोकप्रिय प्रधानमंत्री की तुलना कर रही हो? आंटी 1930 पर पहुँच गई 1975 याद नहीं? जब पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं को जेल में ठूँस दिया, क्या आपने कभी 1975 इमरजेंसी लगाने वाली प्रधानमंत्री की तुलना जर्मनी के तानाशाह से की?”

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

Basant Ladsaria@BasantA49182115

जिस दिन फर्क समझ में आ जाएगा उस दिन सही मायने में पत्रकार बन जाओगी जेहादन बी।

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एक ने लिखा, “जिस दिन फर्क समझ में आ जाएगा उस दिन सही मायने में पत्रकार बन जाओगी जेहादन बी।’ एक अन्य ने लिखा, “मोहतरमा जितनी आलोचना वामी और आप जैसे लोग मौजूदा सरकार की करते हैं और सुरक्षित हैं और मुक्त हैं यह अंतर हैं और मोहतरमा नाजी सरकार तक ना जाएँ इंदिरा गाँधी की आलोचना करने वालों का हश्र याद कर लें।”

Arfa Khanum Sherwani

@khanumarfa

So what’s the difference between 1930s Germany and 2020s India ?
Germans did not protest.

राजीव पटेल@RajivPa64534116

मोहतरमा जितनी आलोचना वामी और आप जैसे लोग मौजूदा सरकार की करते हैं और सुरक्षित हैं और मुक्त हैं यह अंतर हैं और मोहतरमा नाजी सरकार तक ना जाएं इंदिरा गांधी की आलोचना करने वालों का हश्र याद कर लें

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ट्विटर यूजर ने यह भी बताया कि शायद भारत में एकमात्र घटना, जिसकी कुछ हद तक यहूदियों के सर्वनाश से तुलना की जा सकती है, वो है इस्लामियों द्वारा कश्मीरी पंडितों का पलायन। इस्लामियों ने 1990 के दशक में घाटी में रेप किया, हत्या किया और कश्मीरी पंडितों को उनके घर से भगा दिया। या फिर 1984 का वो सिख विरोधी दंगा। जहाँ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इंदिरा गाँधी की हत्या का बदला लेने के लिए सिखों का नरसंहार कर दिया।

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