‘एडिटर्स गिल्ड’ ने लोकसभा में विपक्षी नेताओं को लिखा पत्र, मांगा सपोर्ट

इस पत्र में कहा गया है, ‘इन सभी विधायी उपायों में हमारी सामान्य चिंता यह है कि इन कानूनों को तैयार करने और पारित करने में पर्याप्त हितधारक परामर्श और संसदीय जांच को शामिल नहीं किया गया है। इनमें अस्पष्ट और व्यापक प्रावधान हैं, जिन्हें वैध पत्रकारिता गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। ये प्रावधान विभिन्न सरकारी अधिकारियों और एजेंसियों को व्यापक शक्तियां देते हैं, जो पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता पर दंडात्मक उपायों और बढ़े हुए सरकारी नियंत्रण के कारण संभावित प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं।

EGI‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild Of India) ने लोकसभा में विपक्षी पार्टियों के नेताओं को मीडिया से जुड़ी चिंताओं से अवगत कराते हुए सहयोग की अपील की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के नाम लिखे गए इस पत्र में गिल्ड का कहना है, एडिटर्स गिल्ड देश के वरिष्ठ संपादकों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था है। 1978 में अपनी स्थापना के बाद से प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और उसे बनाए रखने के मिशन में निरंतर तत्पर रही है, जो हमारे लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।

हाल के वर्षों में, हालांकि, इस बुनियादी स्वतंत्रता को कई सरकारी विधायी उपायों के कारण बढ़ते खतरों का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में, ऑनलाइन स्पेस, ब्रॉडकास्ट, प्रिंट और टेलिकॉम क्षेत्र में मीडिया को नियंत्रित और नियंत्रित करने के लिए कई विधायी कदम उठाए गए हैं। इनमें से कुछ को पहले ही संसद में पारित कर दिया गया है, जबकि अन्य विधेयकों के रूप में पेश किए गए हैं।‘

इस पत्र में कहा गया है, ‘इन सभी विधायी उपायों में हमारी सामान्य चिंता यह है कि इन कानूनों को तैयार करने और पारित करने में पर्याप्त हितधारक परामर्श और संसदीय जांच को शामिल नहीं किया गया है। इनमें अस्पष्ट और व्यापक प्रावधान हैं, जिन्हें वैध पत्रकारिता गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। ये प्रावधान विभिन्न सरकारी अधिकारियों और एजेंसियों को व्यापक शक्तियां देते हैं, जो पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता पर दंडात्मक उपायों और बढ़े हुए सरकारी नियंत्रण के कारण संभावित प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं।

इसके साथ ही लेटर में ऑनलाइन स्पेस, प्रसारण क्षेत्र, दूरसंचार और प्रिंट मीडिया को प्रभावित करने वाले हालिया कानूनों का हवाला दिया गया है। लेटर के अंत में कहा गया है कि ‘एडिटर्स गिल्ड’ का अनुरोध है कि इन महत्वपूर्ण मुद्दों को संसद में उठाएं और उन संशोधनों का समर्थन करें जो प्रेस की स्वतंत्रता और सूचना के अधिकार की रक्षा सुनिश्चित करें।

पत्र में गिल्ड की ओर से कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस हमारे लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और इन बुनियादी सिद्धांतों की सुरक्षा के लिए इन विधायी उपायों पर पुनर्विचार करना अनिवार्य है। हमें इस महत्वपूर्ण मामले में आपके समर्थन की अपेक्षा है। हम अपने सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ आपसे मिलकर इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए भी तैयार हैं।‘

गिल्ड द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए इस लेटर को आप यहां पढ़ सकते हैं।

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