प्रभात त्रिपाठी ने दिलीप सिन्हा के खिलाफ़ दर्ज कराया FIR

समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।

प्रिय साथियो आज चुप्पी तोड़ना बहुत जरूरी हो गया हैं।क्योकि समाज में उस चेहरे को लाना जरूरी हैं जो मॉ की इज्जत को चन्द कुछ लफ्जो में तार तार कर देता है। समाज में पत्रकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वो भी अगर पत्रकार 60 की दहलीज पार कर ले तो उसे और तजुरबे वाला वरिष्ठ पत्रकार कहा जाता है लेकिन राजधानी लखनऊ में अपने को वरिष्ठ पत्रकार कहने वाला दिलीप सिन्हा ने एक ऐसा कृत्य किया जिसे क्या माफी योग्य समझा जाना चाहिये।

माँ की गाली, जिस मॉ ने अपनी कोख से मुझे पैदा किया उसकी इज्जत तार तार होते एक बेटा कैसे सुन सकता लेकिन मैने आपा नही खोया।इसका फैसला कानूनी प्रक्रिया और समाज के ऊपर छोड़ दिया। माँ जगत की जननी है। क्या दिलीप सिन्हा की मॉ नही है?

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दिलीप सिन्हा के इस कृत्य से मेरा मानसिक स्थित और मन बहुत पीड़ा में है।मेरे जीवन के 35 साल की पत्रकारिता में ऐसा दिन कभी नहीं आया। मेरी पीड़ा कल तमाम पत्रकार साथियो ने जन्म दिन मनाकर मुझे थोड़ा सा उस पीड़ा से उबारने का काम किया। मै उन सभी का हृदय से आभार ब्यक्त करता हॅू। मेरी माँ के साथ-साथ उसके लिये भी अपशबदो का इस्तेमाल किया जो मेरे लिये 1985 में पिता के निधन के बाद मेरे जीवन में पिता से वढ़कर थे। श्रद्देय मुलायम सिंह यादव।

उनके लिये भी अपशब्दों का प्रयोग किया। मुझे बहुत पीड़ा है मॉ की गाली और मेरे श्रद्देय नेता जी के लिये अपशब्द बोलने के लिये। पीड़ा शायद मेरे मरने के बाद ही समाप्त होगी। गालीबाज पत्रकार दिलीप सिन्हा के इस कृत्य पर में फैंसला आप सब के ऊपर छोड़ता हॅू। घन्यवाद मेरे सभी भाई व बहने।

आपका भाई

प्रभात त्रिपाठी

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