विज्ञापनों के वितरण में माननीय उच्चतम न्यायालय के कॉमन काज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया निर्णय का अनुपालन नहीं हो रहा है
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन जारी करने में छोटे व मझौले अखबारों के प्रकाशकों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार
मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी को भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य अशोक नवरत्न ने लिखा पत्र
मुख्यमंत्री जी आप से यह भी अनुरोध करना है कि आप अपने बहुमूल्य समय में से कुछ समय समाचार पत्रों के संगठनों से उनकी समस्याओं से अवगत होने के लिए भी निर्धारित करने की कृपा करें । जिससे कि संगठनों के पदाधिकारी गण आपको वस्तुस्थिति से अवगत करा सकें ।
माननीय श्री आदित्यनाथ योगी जी
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
लोक भवन, विधानसभा मार्ग,
लखनऊ ।
परम आदरणीय महाराज जी,
सादर अभिवादन !
आपको पुनः अवगत कराना है कि विगत काफी समय से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन जारी करने में छोटे व मझौले अखबारों के प्रकाशकों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है । विज्ञापनों के वितरण में माननीय उच्चतम न्यायालय के कॉमन काज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में दिनांक 13 मई 2015 को दिए गए निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है । इससे माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय की न्यायिक अवमानना हो रही है । अनेकों बार इस निर्णय की प्रति भेज कर प्रमुख सचिव व निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार सभी समाचार पत्रों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप में विज्ञापन जारी करने का अनुरोध किया जा चुका है । रोजाना चुनिंदा अखबारों को एडवर्टोरियल के नाम पर विज्ञापन जारी किए जा रहे है । जबकि पाठक गण इन एडवर्टोरियल को नहीं पढ़के उस पृष्ठ को पलट देते है । इन एडवर्टोरियल में पहले छपे समाचारों को ही फिर से छाप दिया जाता हैं । विज्ञापनों में सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित कराना चाहिए । पूरे पृष्ठ के विज्ञापन के स्थान पर छोटे छोटे विज्ञापन सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं के जारी कराए जाने से पाठक गण इनको पढ़ने में रुचि लेंगे । किंतु संबंधित अधिकारी गण इस पर ध्यान देना ही नहीं चाहते हैं । इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया के नाम पर विज्ञापन बजट का ज्यादातर धन का अपव्यय हो रहा है । जन साधारण की दृष्टि में प्रिंट मीडिया को ही प्रचार प्रसार का सशक्त और विश्वनीय माध्यम माना जाता है । जो समाचार या विज्ञापन प्रिंट मीडिया में प्रकाशित होगा उसको बदला नहीं जा सकता है । उसका प्रभाव लंबे समय तक होता है । सूचना निदेशालय से विवरण मंगा कर आप देखेंगे तो स्पष्ट हो जायेगा कि कुछ बड़े घरानों के चुनिंदा अखबारों को ही विज्ञापन देकर पोषित किया जा रहा है । छोटे व मझौले अखबारों का उत्पीड़न हो रहा है । छोटे व मझौले अखबारों को बजट यानि धन आवंटन नहीं होने की वजह से काफी लंबे समय से विज्ञापनों के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है । आपको सही स्थिति से बड़े अधिकारी अवगत नहीं कराते हैं । आपकी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं का भली भांति प्रचार प्रसार भी होना चाहिए ।
पूर्व में माननीय स्वर्गीय श्री कल्याण सिंह जी, माननीय स्वर्गीय श्री रामप्रकाश गुप्ता जी व माननीय श्री राजनाथ सिंह जी के मुख्यमंत्रित्व काल में भी सभी समाचार पत्रों को समान रूप से सभी विज्ञापन जारी किए जाते थे । यह सभी मुख्यमंत्री अखबारों के प्रकाशकों, संपादकों व पत्रकारों से बातचीत करते रहते थे । उसी परम्परा के अनुसार आपको भी समय मुलाकात के लिए निर्धारित करना चाहिए ।
आपसे आग्रह है कि आप बिना किसी भेदभाव के समान रूप से सभी समाचार पत्रों को माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालन में विज्ञापन जारी करने का निर्देश देने की अनुकंपा करें ।
यह भी अनुरोध करना है कि आप अपने बहुमूल्य समय में से कुछ समय समाचार पत्रों के संगठनों से उनकी समस्याओं से अवगत होने के लिए भी निर्धारित करने की कृपा करें । जिससे कि संगठनों के पदाधिकारी गण आपको वस्तुस्थिति से अवगत करा सकें ।
भवदीय
(अशोक कुमार नवरत्न)
पूर्व सदस्य
भारतीय प्रेस परिषद
राष्ट्रीय महासचिव
ऑल इंडिया स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन, नई दिल्ली ।