पैसा न देना पड़े इस लिए छुपे छुपे फिर रहे विनीत मौर्या
जनसंदेश टाइम्स लखनऊ से नौकरी छोड़ चुके कर्मचारियों को वेतन देने में प्रबंधन आनाकानी कर रहा है। कभी छोटी-मोटी कंपनी में एमआर रहे और अब जनसंदेश टाइम्स लखनऊ के प्रबंधक विनीत मौर्या पूर्व कर्मचारियों का फोन तक नहीं उठाते हैं। दूसरे अखबरों में पहुंच चुके ये कर्मचारी जब अवकाश पर लखनऊ आते हैं तो बकाया वसूलने जनसंदेश के कार्ययाल में जीएम मिलने की कोशिश करते हैं। कार्यालय में मौजूद होने के बावजदू वह पूर्व कर्मचारियों से नहीं मिलते। सूत्र बताते हैं कि बकायेदारों के तकादे से बचने के लिए बंद हो चुके जनसंदेश चैनल के दफ्तर में वह छिपकर बैठते हैं, ताकि पैसा मांगने वाला बंदा उनका खाली चैम्बर देखकर वापस लौट जाए। एचआर विभाग के बंदे सुजीत के पास भी कोई ठोस जवाब नहीं होता है। उसकी भी मजबूरी है, क्योंकि विनीत मौर्या ने सारे अधिकार अपने पास रख रख्ो हैं। अकाउंट विभाग हो या फिर अन्य विभाग। बिना उनके इशारे पर एक पैसे का भुगतान नहीं किया जाता है।
पिछले दिनों बकाया भुगतान को लेकर लखनऊ कार्यालय में एक पूर्व कर्मचारी ने जमकर हंगामा काटा था, तब विनीत मौर्या ने पूर्व कर्मचारियों के बकाया भुगतान के नाम पर कथित मालिकान रितेश अग्रवाल और अनुराग कुशवाहा से मोटी रकम हड़प ली। इसके बावजूद कर्मचारियों का बकाया वेतन नहीं दिया जा रहा है। अब पूर्व कर्मचारियों ने दीपावली के दिनों पर अवकाश पर लखनऊ पहंुचने पर प्रबंधन के घ्ोराव का मन बना रहे हैं। यदि इसके बावजूद बकाया वेतन नहीं दिया गया तो पूर्व कर्मचारी श्रम विभाग की शरण में भी जा सकते हैं। वैसे भी इन दिनों जनसंदेश टाइम्स के लखनऊ संस्करण में संपादक सुभाष राय और पूर्व फीचर संपादक हरे प्रकाश उपाध्याय के बीच बकाये वेतन को लेकर शीतयुद्ध चल रहा है। दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। हरे प्रकाश उपाध्याय को मीडिया जगत से मिल रहे समर्थन से सुभाष राय की छवि भी धूमिल हो रही है।