मीडिया नियंत्रित हुआ तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा : PCI
नई दिल्ली : भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के नए अध्यक्ष चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र में नियंत्रित मीडिया की बजाय गैर जिम्मेदार मीडिया होना ज्यादा बेहतर है। उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता में शीर्ष पर रहेगा।
पीसीआई अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है कि लोग इतने बुद्धिमान हैं कि अगर मीडिया गैर जिम्मेदाराना काम करता है तो वे उसे जज कर सकें लेकिन अगर मीडिया को नियंत्रित किया जाएगा तो लोकतंत्र का अस्तित्व नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा, ‘दरअसल, आत्म नियमन सर्वश्रेष्ठ बात है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि नियंत्रित मीडिया होने के बजाय गैर जिम्मेदाराना मीडिया होना ज्यादा बेहतर है। क्योंकि ऐसे में लोग ख्याल रखते हैं और उसे समझने को लेकर पर्याप्त बुद्धिमान हैं लेकिन नियंत्रित मीडिया से लोकतंत्र का अस्तित्व नहीं रह सकता।’ प्रसाद ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह अपनी निजी राय रख रहे हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि प्रेस परिषद की राय हो, जो हमेशा सामूहिक रूप से फैसले करेगी।
प्रसाद ने कहा, ‘यह एक व्यक्ति की राय है। लोगों को यह समझना चाहिए कि यह (पीसीआई) एक बहुसदस्यीय निकाय है। मेरी राय परिषद की राय नहीं है।’ उन्होंने कहा कि प्रेस परिषद में बड़ी संख्या में विद्वान लोग हैं और ‘उनकी राय का बड़ा वजन होना चाहिए।’
प्रसाद ने जोर देकर कहा, ‘प्रेस की स्वतंत्रता के बिना आप कुछ नहीं जानते।’ उन्होंने कहा कि उनका मूल मंत्र प्रेस की स्वतंत्रता होगा। प्रसाद ने पीसीआई अध्यक्ष के तौर पर न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू का स्थान लिया है। प्रसाद 14 जुलाई 2014 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और प्रेस परिषद की ओर से नामित व्यक्ति एस एन सिन्हा की सदस्यता वाली समिति द्वारा मनोनीत किये जाने के बाद उन्हें पीसीआई अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
प्रसाद को 8 फरवरी 2010 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया था। वह नवंबर 1994 से विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश रहे। प्रसाद के कार्यालय की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार, ‘परिषद को प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए। ऐसा करते वक्त परिषद संवैधानिक सिद्धांतों से निर्देशित होगी।’