पत्रकारिता को मत कोसिये, मालिकों और मालिकनुमा पत्रकारों को रगडिये अखिलेश जी
कमलेश श्रीवास्तव
अखिलेश यादव मीडिया को गरिया रहे हैं बिल्कुल फटकारिये लेकिन आप अपनी भडास पत्रकारों नहीं संस्थानों के मालिक और मालिकनुमा पत्रकारों पर निकाल लीजिये । अ पने शासन काल पर नजर डालियेगा तो एक बडे और नम्बर वन का दावा करने वाले हिन्दी अखबार के मालिक राज्यसभा के टिकट के लिए आपके चरणों में लहालोट थे तो दूसरे दो बडे हिन्दी अखबारों के सम्पादकों को आपके साथ हर हफ्ते चाय पीने का शौक था इसके लिए उन्होंने वाकायदा अपने ब्यूरो को डयूटी पर लगा रखा था। इसके बाद सोशल मीडिया पर इन सम्पादकों के आपके साथ मुस्कराते फोटो बरसते और सहयोगियों के लाइक्स तैरते थे। हालांकि आपके जाने के बाद योगी जी ने चाय पीना तो दूर इन लोगों से मिलना भी पसंद नहीं किया।
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एक समय था जब आपको छींक आती थी तो वह भी ब्रेकिंग होती थी इतना ही नहीं आपको कितनी बार आई और कितनी बार आपने दबाई सब वायसओवर स्क्रीन पर चलता था। यशभारती देते समय आपने सबका साथ सबका विकास खूब किया। भाजपाई पत्रकार और भाजपाई नेता सबको यशभारती बांटा। भ्रष्टाचार में शिष्टाचार भी आपने खूब निभाया। आज के डिप्टी सीएम और तत्कालीन मेयर भी सैफई में ठुमके और झुमके देखने गये।
भौकाल दिखाने वाले फोटो खिंचाने वालों और अपने रिश्तेदारों को मान्यता दिलाने वाले, सरकारी मकान लेने वाले और सरकारी मकान का भी किराया कम करवाने वालों को रगडिये जमकर हम आपके साथ हैं लेकिन उन पत्रकारों को नहीं जो आपकी कवरेज करते हैं जो पत्रकारिता जीते हैं।सरकारों के आने जाने के असर से दूर ऐसे पत्रकार पत्रकारिता की पूंजी हैं। माफ कीजियेगा पत्रकारिता पर आपका कोई अहसान नहीं इसलिए इसे कोसने का हक भी नहीं।
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