EOW की संगीन धाराओं में नामजद नावेद शिकोह की बढ़ी मुश्किलें, NBW जारी, गिरफ़्तारी संम्भव !

हाल हीं में सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार प्रधान ने उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जलेबी बनाने वाले, अण्डा बेचने वाले और साइकिल स्टैंड के ठेकेदार एवं टैम्पो चलाने वाले तक मान्यता पा गए हैं। दुर्भाग्य है कि असली पत्रकारिता करने वाले तक इस महामारी पर चुप रहते हैं। इनका नेक्सस इतना ताकतवर हो गया है कि वास्तविक पत्रकार भी इन्हें बुद्धिमान और शक्तिशाली होने का प्रमाण-पत्र देने लगे हैं।

जालसाजी, धोखाधड़ी और फर्जी शपथ पत्र से बना नावेद मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार के शीर्षक से भड़ास4जर्नलिस्ट पर खबर लगते ही खलबली मचने के साथ अनेक सवाल उठे वहीं फर्जीवाड़े में वांछित नावेद ने कानूनी नोटिस जारी करते हुए मुक़दमेबाज़ी की आड़ में डराने की कोशिश भी की लेकिन सच लिखने और साक्ष्यों के साथ पोल खोलने की भड़ास की मुहीम चलती रही। कानूनी सवालों का साक्ष्यो के साथ जवाब मिला तो सबकी हवा निकल गयी लेकिन उस हवा में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारो को दी जाने वाली राज्य मुख्यालय की मान्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया और प्रदेश के।लगभग 200 मान्यता प्राप्त पत्रकारो के विरूद्ध संगीन धाराओं में दर्ज मुक़दमे की लंबी सूची भी प्राप्त हुई है जिसका खुलासा भड़ास सूचना निदेशक के सम्मुख किया जायेग।

अभी हाल हीं में सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार प्रधान ने उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जलेबी बनाने वाले, अण्डा बेचने वाले और साइकिल स्टैंड के ठेकेदार एवं टैम्पो चलाने वाले तक मान्यता पा गए हैं। दुर्भाग्य है कि असली पत्रकारिता करने वाले तक इस महामारी पर चुप रहते हैं। इनका नेक्सस इतना ताकतवर हो गया है कि वास्तविक पत्रकार भी इन्हें बुद्धिमान और शक्तिशाली होने का प्रमाण-पत्र देने लगे हैं।

नावेद शिकोह की मान्यता के संबंध में शासन प्रशासन को लिखे अनेक शिकायती पत्रों की वास्तविक जांच किये बिना ही दबा दिया जाता है, उर्दू संगठन के सरपरस्त इदरीसी द्वारा अनेक शिकायती पत्रो के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और सूचना निदेशक को मुख्यमंत्री कार्यालय एवं सचिवालय परिसर पर मंडराते खतरे से आगाह करते हुए ऐसे पत्रकारों के संबंध में की गई तमाम शिकायतों को नावेद द्वारा विज्ञापन के जरिए कमाई गई अकूत संपत्ति के दम पर दबा दिया जाता है या फिर उनको गायब करा दिया जाता है ।

दर्जनों अखबार को खरीदने बेचने में लाखों करोड़ो रूपये नावेद द्वारा कमाये गए जिसका खुलासा जिलाधिकारी कार्यालय या LIU विभाग से किया जा सकता है और अपने इन्ही दर्जनों अखबार के चलते सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में नावेद का सिक्का चलता है, पोल पट्टी खुलते देखकर अभी हाल हीं में नावेद द्वारा आनन फानन में अखबारों को दूसरों के नाम ट्रांसफर करने के साथ अपनी पुरानी पारंगत नाटक की दुनिया मे नए परिवेश में दखल कर दिया है, वो दौर चला गया जब अदाकार, नाटककारऔर कलाकारों के लिए जीवन व्यापन का आर्थिक संकट हुआ करता था, नाटकों में संवाद शैली और अभिनय में पारंगत नावेद को नाटक के मंच का सही इस्तेमाल वर्तमान में डिबेट शो में देखने को।मिलता है लेकिन धोखाधड़ी, जालसाज़ी से बनी इमारत टिकती नही है और गिर ही जाती है।

EOW की जांच रफ़्तार पकड़ चुकी है और मुकदमे में नामित होने के बाद मुश्किलें अब रुकती नहीं दिख रही है। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए भ्रामक समाचार पत्र चलाने के कारण लखनऊ की अदालत द्वारा गैर जमानती अधिपत्र जारी किया गया है।
जालसाज़ी, फर्ज़ीवाड़े जैसी संगीन धाराओं में नावेद शिकोह के खिलाफ दिल्ली में मुक़दमें दर्ज होने की।खबरों को गलत बताने वालों ने EOW की नोटिस जारी होने की जिलाधिकारी कार्यालय, लखनऊ द्वारा पुष्टि की जा सकती है। EOW द्वारा दर्ज मुक़दमे की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ेगी और भी अनेक मामलो में नावेद शिकोह की असलियत सामने आएगी। नावेद शिकोह द्वारा अपने पैतृक निवास मक़बरा गोलागंज से अखबारों के व्यवसाय किया जाता रहा हैं लेकिन सरकारी मकान फर्जी शपथ पत्र के आधार पर कैसे प्राप्त किया गया है इसकी भी दबी जांच खुलने वाली है और स्वतंत्र पत्रकार की मान्यता में फ़र्ज़ी शपथ देकर मान्यता करवा कर सरकारी आवास आवंटित कराए जाने पर संगीन धाराओं में कानूनी कार्यवाही जी जानी चाहिए। कानून के जानकारों की माने तो लखनऊ की अदालत द्वारा जारी एनबीडब्ल्यू में नावेद शिकोह की जनवरी माह में गरफ्तारी भी संभव है ।

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