जिनको फाँसी से बचा लाई मोदी सरकार, उनको मरने देना चाहता था AAP से कुर्सी पाया जफरुल इस्लाम: कॉन्ग्रेस और चमचे पत्रकारों ने भी की थी देश-विरोधी लॉबिंग

पूर्व अधिकारियों की वापसी के बाद उन नेताओं, कथित बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और यूट्यूबरों के पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिन्होंने इन पूर्व अधिकारियों को दी गई मौत की सजा का समर्थन किया था। भारत सरकार द्वारा इन पूर्व अधिकारियों के पक्ष में कूटनीतिक प्रयास करने पर उन्होंने भारत सरकार और पीएम मोदी पर निशाना भी साधा था। इसके साथ ही कुछ लोगों ने इन पूर्व अधिकारियों को वापस नहीं लाने पर पीएम मोदी को असक्षम बताया था।

मोदी विरोधी कॉन्ग्रेस, जुबैर, रवीशप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार हस्तक्षेप के बाद आखिरकार कतर ने भारत के 8 पूर्व नौसेना अधिकारियों को रिहा कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार (12 फरवरी 2024) को तड़के इसकी जानकारी दी। वहीं, कतर से लौटकर आए पूर्व अधिकारियों ने भी पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है। दरअसल, कतर ने इन पूर्व अधिकारियों को इजरायल के लिए जासूसी के झूठे आरोप में मौत की सजा दी थी।

पूर्व अधिकारियों की वापसी के बाद उन नेताओं, कथित बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और पत्रकारों के पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिन्होंने इन पूर्व अधिकारियों को दी गई मौत की सजा का समर्थन किया था। भारत सरकार द्वारा इन पूर्व अधिकारियों के पक्ष में कूटनीतिक प्रयास करने पर उन्होंने भारत सरकार और पीएम मोदी पर निशाना भी साधा था। इसके साथ ही कुछ लोगों ने इन पूर्व अधिकारियों को वापस नहीं लाने पर पीएम मोदी को असक्षम बताया था।

कतर द्वारा भारत के पूर्व अधिकारियों को दी गई मौत की सजा का जफरुल इस्लाम खान ने समर्थन किया था। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम ने सोशल मीडिया X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था, “अगर ये पूर्व नौसेना अधिकारी सचमुच इजराइल के लिए जासूसी करते हैं तो कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। भारत को उनके बचाव में कूदने से पहले ठीक से जाँच करनी चाहिए।”

जफरुल इस्लाम मिल्ली गैजेट नाम के मीडिया संस्थान के संस्थापक है। ये वही संस्थान है, जिसने गोधरा में रामभक्तों को ट्रेन में ज़िंदा जलाए जाने वाली घटना का भी समर्थन किया था। इतना ही नहीं, जफरुल ने अप्रैल 2021 में ट्वीट कर कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के समुदाय विशेष ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के लोग एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे।

जब इन अधिकारियों को मौत की सजा मिली थी तो प्रोपेगेंडा वेबसाइट AltNews चलाने वाले मोहम्मद जुबैर ने एक्स पर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट करके पीएम मोदी का मजाक उड़ाने की कोशिश की थी। ये वही जुबैर है, जिसने भाजपा के पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ अभियान चलाया था, जिसके बाद देश भर में हिंसा हुई थी। जुबैर ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री ने कतर को अपना दूसरा घर बताया था।

यूट्यूबर साक्षी जोशी ने भी कतर द्वारा पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा देने पर यूट्यूबर साक्षी जोशी ने भी पीएम मोदी पर सवाल उठाया था। कॉन्ग्रेस समर्थक पूर्व पत्रकार साक्षी जोशी ने इस मामले पर 27 अक्टूबर 2023 को 10 मिनट का वीडियो बनाया और इसे ’56 इंच की विफलता’ कहा था। इन भारतीयों की रिहाई पर उन्होंने अभी तक अपनी खुशी व्यक्त नहीं की है। यही हाल प्रज्ञा मिश्रा यादव नाम की यूट्यूबर का है।

वहीं, पत्रकार से यूट्यूबर बने रवीश कुमार ने भी इस मामले पर पीएम मोदी और भारत सरकार पर निशाना साधते हुए एक वीडियो बनाया था। हालाँकि, इन पूर्व अधिकारियों की रिहाई के बाद रवीश कुमार ‘सदमे’ से उबर नहीं पाए होंगे। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उन्होंने रिहाई को लेकर कोई बयान पोस्ट नहीं किया है।

कुछ ऐसा ही हाल कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश का था। जयराम ने 6 अप्रैल 2023 को बयान जारी कर इन पूर्व अधिकारियों को वापस लाने में भारत सरकार की ‘अक्षमता’ पर सवाल उठाया था। एक्स पर एक पोस्ट में बयान को साझा करते हुए जयराम ने लिखा था, “एक ऐसा देश जिसके साथ मोदानी (पीएम मोदी और अडानी को लेकर अपमानजनक शब्द) के विशेष संबंध हैं। इस रिश्ते से अब तक पूर्व सैनिकों को मदद क्यों नहीं मिली?”

पीएम मोदी के विरोध में डूबे इन यूट्यूबर्स और नेताओं ने इन पूर्व अधिकारियों की सजा को अपनी प्रोपेगेंडा और राजनीति के लिए इस्तेमाल किया था। वहीं, जफरूल इस्लाम जैसे लोग इसलिए इन पूर्व अधिकारियों की मौत की सजा को जायज ठहरा रहे थे, क्योंकि उन पर इजरायल के लिए जासूसी का आरोप लगाया गया। बता दें कि अधिकांश मुस्लिम देश फिलिस्तीन को लेकर इजरायल से नफरत करते हैं।

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