दलित पत्रकार से मारपीट के मामले में पुलिस कमिश्नरऔर जिलाधिकारी लखनऊ को कमीशन ने भेजा नोटिस
पत्रकार से ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में मौजूद टीबी अस्पताल के डॉक्टरों ने पत्रकार को बन्धक बनाकर की थी पिटाई। 10 नवम्बर 2022 को हुई थी घटना, पुलिस ने डाक्टरों की मिलीभगत से पत्रकार के खिलाफ ही उल्टा केस दर्ज कर दिया था।
लखनऊ में दलित पत्रकार सत्य प्रकाश भारती से मारपीट के मामले में पुलिस कमिश्नर लखनऊ और जिलाधिकारी लखनऊ को कमीशन ने नोटिस भेजा है।पत्रकार सत्य प्रकाश भारती को बन्धक बनाकर टीबी अस्पताल में मारपीट के मामले में एससी एसटी आयोग ने सख्ती दिखाते हुए पुलिस कमिश्नर लखनऊ और जिलाधिकारी लखनऊ को ये नोटिस भेजा है। पत्रकार से ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में मौजूद टीबी अस्पताल के डॉक्टरों ने पत्रकार को बन्धक बनाकर की थी पिटाई। 10 नवम्बर 2022 को हुई थी घटना, पुलिस ने डाक्टरों की मिलीभगत से पत्रकार के खिलाफ ही उल्टा केस दर्ज कर दिया था।
पत्रकार ने पूर्व एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा को बन्धक बनाकर पिटाई करने की दी थी जानकारी। पत्रकार ने थाने में सबसे पहले दी थी तहरीर इसके बावजूद ठाकुरगंज पुलिस ने मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। ठाकुरगंज पुलिस ने डाक्टरों को शह देकर पत्रकार के ही खिलाफ उल्टा मुकदमा दर्ज किया था। टीबी अस्पताल में बड़े पैमाने पर डॉक्टरों का भ्र्ष्टाचार ऊजागर करने पत्रकार को डाक्टरों घेर कर मारपीट किया था, पत्रकार ने पुलिस के उच्चाधिकारियों पर भी गम्भीर आरोप लगाये थे। पुलिस पर घटना के दिन सीसीटीवी न बरामद करने के भीआरोप लगे हैं। आपको बतादे कि टीबी अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना कैद हुई थी ,ठाकुरगंज पुलिस ने बिना जांच ही पत्रकार के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया था।
जानिए क्या है पूरा मामला?
यूपी के लखनऊ के ठाकुरगंज में टीबी का अस्पताल स्थित है। इस अस्पताल में टीबी के इलाज के साथ ही डेंगू और महिलाओं के लिए प्रसव सुविधा भी उपलब्ध है। अस्पताल परिसर में ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी बनाया गया है। इस अस्पताल में यूपी के विभिन्न जिलों से इलाज कराने के लिए लोग आते हैं।
जन औषधी केंद्र पर हर वह दवा मौजूद है जो टीबी अस्पताल के डॉक्टर विभिन्न जिलों से पहुँचने वाले मरीजों को लिखते हैं। टीबी अस्पताल में डॉक्टर द्वारा मोहम्मद अलीम को लिखी गई दवा प्राईवेट मेडिकल स्टोर पर 340 में मिलती है। जबकि यही दवा जन औषधी केंद्र पर मात्र 160 रुपये में उपलब्ध है।
एक अन्य दवा जिसकी बाजार में कीमत 190 रुपए है, वह मात्र 60 रुपये में जन औषधी केंद्र पर उपलब्ध है। प्राईवेट मेडिकल स्टोर पर एक सीरप की कीमत 125 रुपये है। जबकि, जन औषधी केंद्र पर यह मात्र 38 रुपये में उपलब्ध है।
डॉक्टरों द्वारा टीबी अस्पताल परिसर में ही जन औषधी केंद्र होने के बाद उन्हें निजी मेडिकल स्टोर पर भेजना भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
महंगी दवाएं लिखते हैं डॉक्टर
महंगी दवाएं खरीदने के लिए बेचना पड़ा मकान
शबनम बताती हैं, “हम दोनों ही घर मे अकेले हैं। हमारी कोई संतान नहीं है। मेरी एक छोटी गुमटी थी। जिससे हम दोनों का पेट पलता था। पति की बीमारी के बाद दुकान बंद करनी पड़ी। देखने वाला कोई नहीं था। ईलाज के लिए टीबी अस्पताल लाते हैं। ईलाज काफी महंगा है। डॉक्टर ज्यादातर दवाएं बाहर की ही लिखते हैं। इन दवाओं को खरीदने और बेहतर ईलाज के लिए मुझे अपना मकान बेचना पड़ा।”
डॉक्टरों का वीडियो हो चुका है वायरल
ठाकुरगंज टीबी अस्पताल के एक सर्जन का फरवरी 2022 में वीडियो वायरल हुआ था। सर्जन ने मरीज को देखने के बाद पर्चे पर कुछ दवाएं लिखीं और मरीज को पारा स्थित अपनी क्लीनिक पर बुलाया था। मरीज ने वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया। सीएमएस आनन्द बोध को इसकी जानकारी हुई। लेकिन सीएमएस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी। मरीज ने डाक्टर की पूरी करतूत का वीडियो जिलाधिकारी और स्वास्थ्य महानिदेशक को भेजा था। जिसके बाद मामले में जांच बैठी और डॉक्टर का उन्नाव तबादला कर दिया गया था। टीबी अस्पताल के एक अन्य चिकित्सक पर मरीजों से अभद्रता के भी आरोप लगे हैं।
क्या बोले जिम्मेदार?
इस मामले में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह का कहना है कि, “पूरे मामले की जांच के आदेश निदेशक एस. के. सिंह को दिए गए हैं। आख्या आने के बाद दोषी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
केस -1
उन्नाव से लखनऊ के टीबी अस्पताल इलाज कराने आये 80 वर्षीय बुजुर्ग रईस पुरुष वार्ड में भर्ती हैं। रईस बताते हैं, “मुझे टीबी को लेकर काफी समस्या थी। टीबी अस्पताल के डॉक्टर ईलाज अच्छा कर रहे हैं,” रईस दवा की थैली दिखाते हुए बताते हैं कि, “टीबी के इलाज में काफी पैसा खर्च हो रहा है। डॉक्टर बाहर के निजी मेडिकल स्टोरों से दवाएं लिखते हैं। यह दवाएं काफी महंगी आती हैं। एक सप्ताह में लगभग 1500 रुपये दवा के लिए खर्च करने पड़ते हैं।”
केस-2
उन्नाव के ही बांगरमऊ से आये राधेश्याम बताते हैं कि, “मेरा टीबी का इलाज चल रहा है। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। डॉक्टर बाहर की दवाएं लिखते हैं, जोकि काफी महंगी पड़ती हैं। मैं बाहर से 1050 रुपये की दवा खरीद कर लाया हूँ।”
केस-3
लखनऊ के काकोरी से आए चंदन बताते हैं कि, “मैं अपने पिता का इलाज कराने के लिए आया हूँ। जांच में टीबी निकला है, जिसकी दवा चल रही है। इंजेक्शन तो अस्पताल में ही उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन अधिकतर दवाएं बाहर से ही खरीदनी पड़ती है। मैं कुल 1400 रुपए की दवा खरीदकर लाया हूँ।”
पीड़ित पत्रकार- 8400170567