पति RTI एक्टिविस्ट और पत्नी का करोड़ों रुपए का मीडिया व्यापार

आरटीआई की बुनियाद पर खड़ा है राजेंद्र गौतम के परिवार का करोड़ों रुपए का मीडिया का व्यापार :: भड़ास द्वारा पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांत और खबरों की असलियत और सच्चाई को सामने लाने के लिए जिस तरह का प्रयास किया जा रहा है उसका असर देखने को मिल रहा है, लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को सूचना विभाग द्वारा विज्ञापन न दिए जाने और एक ही परिवार के अनेक समाचार पत्रों को विज्ञापन देकर कहीं ना कहीं सौतेला व्यवहार किया जा रहा था जिसमे राजेंद्र गौतम के परिवार के जुड़वा समाचार पत्रों की खबरों का सिलसिलेवार खुलासा किया गया एवं गैर कानूनी रूप से दिए गए विज्ञापनों के संबंध में समाचार प्रकाशित किया गया जिसका असर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में देखने को मिला और एक ही परिवार या एक ही प्रकाशन समूह द्वारा संचालित किया जा रहे अनेक समाचार पत्रों को विज्ञापन न देकर लघु एवं मध्य समाचार पत्रों को एक समान और एकरूपता से विज्ञापन दिए जाने का निर्णय लिया गया जिसका असर देखने को भी मिला।

भड़ास की खबर का असर लघु एवं माध्यम समाचार पत्रों ने दी बधाई

आरटीआई का जो हथियार राजेंद्र गौतम ने बनाया था उसी का इस्तेमाल करके राजेंद्र गौतम के परिवार द्वारा संचालित अखबारों के अनेक आश्चर्यजनक खुलासे हो रहे हैं जिससे इस परिवार द्वारा मात्र 5 साल में लाखों करोड़ों रुपए की जो संपत्ति अर्जित की गई है उस संबंध में भी अनेक साक्ष्य संकलित किए गए हैं जिस प्रिंटिंग प्रेस पर जुड़वा समाचार पत्रों की एक लाख प्रकाशित होना बताया जाता है उस प्रिंटिंग प्रेस को जिलाधिकारी कार्यालय में 2021 में रेखा गौतम के स्वामित्व में पंजीकृत कराया गया एवं प्रिंटिंग प्रेस जिस स्थल पर लगी है उस स्थल का भौतिक निरीक्षण और परीक्षण किए जाने पर ज्ञात होता है कि यह मशीन ना तो कभी चलती है और ना ही कभी यहां कोई आता है।

आरटीआई की बुनियाद पर खड़ा है राजेंद्र गौतम के परिवार का करोड़ों रुपए का मीडिया का व्यापार :: भड़ास द्वारा पत्रकारिता के मूलभूत सिद्धांत और खबरों की असलियत और सच्चाई को सामने लाने के लिए जिस तरह का प्रयास किया जा रहा है उसका असर देखने को मिल रहा है, लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों को सूचना विभाग द्वारा विज्ञापन न दिए जाने और एक ही परिवार के अनेक समाचार पत्रों को विज्ञापन देकर कहीं ना कहीं सौतेला व्यवहार किया जा रहा था जिसमे राजेंद्र गौतम के परिवार के जुड़वा समाचार पत्रों की खबरों का सिलसिलेवार खुलासा किया गया एवं गैर कानूनी रूप से दिए गए विज्ञापनों के संबंध में समाचार प्रकाशित किया गया जिसका असर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में देखने को मिला और एक ही परिवार या एक ही प्रकाशन समूह द्वारा संचालित किया जा रहे अनेक समाचार पत्रों को विज्ञापन न देकर लघु एवं मध्य समाचार पत्रों को एक समान और एकरूपता से विज्ञापन दिए जाने का निर्णय लिया गया जिसका असर देखने को भी मिला।

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जहां सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी कोई भी विज्ञापन जुड़वा समाचार पत्र में तत्काल रूप से प्रकाशित किया जाता था और तो और नियम कानून को ताक पर रखकर एजेंसी द्वारा एक ही आर ओ संख्या पर अनेक विज्ञापन जारी किए जाने का खेल पकड़ा गया वहीं एक एजेंसी द्वारा तो एक ही आर ओ पर जुड़वा समाचार पत्रों के नाम अनेक विज्ञापन जारी कर दिए गए।

नियम और कानून की धज्जियां उड़ाता गौतम परिवार के जुड़वा समाचार पत्र की कहानी और दबाव बनाने का तरीका भी बड़ा अनोखा निकला, पति जी बन गए RTI एक्टिविसिट और पत्नी ने संभाला समाचार पत्रों के प्रकाशन का कार्य, भड़ास के पास अनेक ऐसे पत्र उपलब्ध हैं जिनको राजेंद्र गौतम ने हथियार बनाकर विभागों से जानकारी मांगने का कार्य किया गया वहीं इन आरटीआई पत्रों पर अपने ही पते को किस उद्देश्य से अलग-अलग स्थान का दिखाया गया यह सभी भलीभांति जानते और समझते हैं।

आरटीआई को हथियार बनाकर 2018 में राजेंद्र गौतम ने जिन विभागों से सूचना एकत्रित की उनको अपनी ही पत्नी द्वारा संचालित समाचार पत्र में प्रकाशित करके न सिर्फ विभिन्न विभागो पर दबाव बनाया गया बल्कि अनेक ऐसे समाचारों को प्रकाशित और प्रसारित किया गया जिनको बाद में बिल्कुल जड़ से ही हटा दिया गया।

आरटीआई का जो हथियार राजेंद्र गौतम ने बनाया था उसी का इस्तेमाल करके राजेंद्र गौतम के परिवार द्वारा संचालित अखबारों के अनेक आश्चर्यजनक खुलासे हो रहे हैं जिससे इस परिवार द्वारा मात्र 5 साल में लाखों करोड़ों रुपए की जो संपत्ति अर्जित की गई है उस संबंध में भी अनेक साक्ष्य संकलित किए गए हैं जिस प्रिंटिंग प्रेस पर जुड़वा समाचार पत्रों की एक लाख प्रकाशित होना बताया जाता है उस प्रिंटिंग प्रेस को जिलाधिकारी कार्यालय में 2021 में रेखा गौतम के स्वामित्व में पंजीकृत कराया गया एवं प्रिंटिंग प्रेस जिस स्थल पर लगी है उस स्थल का भौतिक निरीक्षण और परीक्षण किए जाने पर ज्ञात होता है कि यह मशीन ना तो कभी चलती है और ना ही कभी यहां कोई आता है।

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आस पड़ोस के लोगों से पूछताछ करने पर यह ज्ञात हुआ कि महीने में कभी कभार कोई आता है और मशीन की साफ सफाई करके चला जाता है। जुड़वा समाचार पत्र द्वारा ना तो इस मशीन पर समाचार पत्रों की छपाई का कार्य किया जाता है और ना ही यह मशीन चलती है और तो और जिस जमीन पर समाचार पत्र की आड़ में मशीन खड़ी करी गई है उसे जमीन को भी विवादित बताया जाता है और इसके संबंध में थाना वजीरगंज लखनऊ में राजेंद्र गौतम की पत्नी रेखा गौतम के नाम मुकदमा भी दर्ज हुआ है जिसकी विवेचना चल रही है। कुल मिलाकर समाचार पत्र के बड़े फर्जी वाले की आड़ में होकर से बने पत्रकार राजेंद्र गौतम की कहानी और उससे जुड़े अनेक तथ्यों का भी खुलासा होना बाकी है जिसको बड़ा द्वारा शीघ्र ही सबके समस्त लाया जाएगा।

भड़ास की मुहीम रंग लाई है और जुड़वा समाचार पत्रों को लगातार मिल रहे विज्ञापन पर रोक लगाई गई है और ऐसे अन्य समाचार पत्र जो एक ही समाचार मालिक या एक ही प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित किया जा रहे हैं उनको सूचना एवं जन संपर्क विभाग द्वारा लगातार विज्ञापन दिया जा रहा है तो उसकी सूचना भड़ास पर सुधिपाठकों द्वारा उपलब्ध कराए जाने पर निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सम्मुख लाया जाएगा जिससे लघु एवं मध्य समाचार पत्रों को एक समान और एकरूपता से विज्ञापन दिए जाने की बात को पूरा किया जा सके।

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