नकल माफियाओं की सरकार के मुखिया ने नकल को लेकर दिया बेतुका बयान, कहा नकल करके सिर्फ बन सकते हैं पत्रकार

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आईवॉच ब्यूरो
लखनऊ। नकल माफियाओं के भगवान के तौर पर सपा की सरकार को शुरू से देखा गया। यह वही सपा सरकार है जो बोर्ड स्कूलों में नकल के लिए इतनी फेमस हुई थी कि कई बार दूसरे स्टेट की सरकारों ने भी अजीबोगरीब कमेंट कर डाले थे। जो भी स्टूडेंट हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की तैयारी कर रहे होते हैं वह पढ़ाई से ज्यादा ईश्वर से इस बात की प्रार्थना करते दिखाई देते हैं कि हे भगवान इस बार सपा की सरकार बनवा दो क्योंकि सबको यह पता है कि सपा सरकार में पढऩे की जरूरत नहीं बावजूद इसके अस्सी प्रतिशत से लेकर 95 प्रतिशत नंबर पाना कोई बड़ी बात नहीं। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार रही हर तरफ नकल माफियाओं का बोलबाला रहा। यह कोई नई बात नहीं है। अगर नया कुछ है तो वह यह है कि एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री का यह बयान कि नकल करके आप आईएएस, पीसीएस या कुछ और नहीं बन सकते सिवाय पत्रकार के। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठïान में बचे हुए लैपटापों के वितरण के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंच से कहा कि ‘नकल करके आईएएस नहीं बन सकते हैं, लेकिन पत्रकार जरूर बन सकते हैंÓ। उनका यह बयान भले ही मजाकिया हो, लेकिन इससे पत्रकार बिरादरी आहत जरूर है। उनके इस बयान की हर जगह निंदा हो रही है।
पत्रकारों का कहना है कि ऊंचे पद पर यदि कोई भी व्यक्ति बैठा हो तो उसके हर जनरल कमेंट के गंभीर अर्थ निकाले जाते हैं। इसलिए अखिलेश को सीएम रहते हुए इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि कहां क्या बोल रहे हैं। उनके इस बयान की जितनी निंदा की जाए कम है।
वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव का कहना है कि सीएम के इस बयान से पत्रकारों की भावनाओं को आघात पहुंचा है। उनको ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। बदायूं कांड पर जून में उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि यदि गूगल सर्च करें तो पाएंगे कि इस तरह की घटना पूरे देश में हो रही है। फिर भी मीडिया चर्चा सिर्फ बदायूं की घटना का कर रही है। जब इस प्रकार की घटना घटती है तो अखबारों में अवश्य छपती है। इस तरह की घटनाएं महज यूपी में ही नहीं घटती हैं, बल्कि पूरे देश में घटती हैं।
इसी प्रकार सीएम ने मीडिया पर सूबे को बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने बदायूं कांड, धर्म-परिवर्तन की खबर और फैजाबाद हत्याकांड पर मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े किए। वहीं, अन्य प्रदेशों की तुलना में यूपी के अपराध को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का भी आरोप लगाया। राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ ने कहा कि सीएम को एक पब्लिक प्लेस पर ऐसा बयान देना बिल्कुल गलत है। यह पत्रकारों पर हमला है। उन्होंने पत्रकारों को नीचा दिखाने का काम किया है। उन्हें ऐसा कुछ भी कहने से बचना चाहिए था।
सीएम के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार योगेश का कहना है कि नकल करके खबरें तो छापी जा सकती हैं, लेकिन पत्रकार नहीं हो सकते हैं। पत्रकारिता एक सहज प्रवृति (इंस्टिक्ट) होती है जो हर किसी के पास नहीं होती है। उन्होंने कहा कि सीएम का यह बयान मीडिया जगत का अपमान है। एक तरफ वह मीडिया के लोगों का सम्मान करते हैं और दूसरी तरफ ऐसी बातें कहकर अपनी झेंप और गलतियां छुपाने की कोशिश करते हैं। राजनेताओं को भी चाहिए कि एक पत्रकार की तरह काम करके देखे। इसके बाद पता चलेगा कि पत्रकार कैसे काम करता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई राजनेता बन जाता है तो उनके बच्चे भी नेता बन जाते हैं। लेकिन, पत्रकार के बच्चे पत्रकार ही हो, यह जरूरी नहीं है। उनके इस बयान की निंदा करता हूं।
7753991111 and 7388791111

 

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