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…..तो क्या अजित अंजुम बुरे फंसने वाले हैं !

पटना के जिलाधिकारी (DM) ने साफ किया कि वीडियो में BLO मतदाता सूची पुनरीक्षण के फॉर्म नहीं भर रहे थे, बल्कि वे निर्वाचन क्षेत्र में मृत या एक जगह से दूसरी जगह चले गए मतदाताओं की सूची तैयार कर रहे थे।

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पिछले दिनों प्रोपेगेंडा पत्रकार अजीत अंजुम अपनी सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में सरकारी कामकाजों में बाधा डालते दिखे। इसके बाद अजीत अंजुम पर BLO की तरफ से FIR भी होती है। अजीत अंजुम ने जिस रिपोर्टिंग के दम पर झूठी और भ्रामक खबरें फैलाई थी उसका फैक्ट चैक चुनाव आयोग ने किया था। लेकिन अजीत अंजुम अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे। अब इस पर पटना DM का भी बयान आया है।

प्रोपेगेंडा पत्रकार अजीत अंजुम के बूथ लेवल ऑफिसर पर आरोप लगाने वाले बयान को पटना के जिलाधिकारी ने भी खारिज किया। पटना के DM ने बताया कि वीडियो में BLO मतदाता सूची पुनरीक्षण के फॉर्म नहीं भर रहे थे, बल्कि वे निर्वाचन क्षेत्र में मृत या एक जगह से दूसरी जगह चले गए मतदाताओं की सूची को तैयार कर रहे थे।

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पटना के DM ने यह भी बताया कि वीडियो में जिन शांति देवी और चंद्रप्रकाश शाह के फॉर्म पर हस्ताक्षर किए जाने की बात अजीत अंजुम अपनी रिपोर्टिंग में बता रहे थे, वे दोनों मतदाता मृत पाए गए हैं। BLO दोनों मृत मतदाताओं के फॉर्म पर मृत का निशान लगाकर सत्यापन के तौर पर अपने हस्ताक्षर कर रहे थे।

सरकारी काम में दखलअंदाजी

दिल्ली से बिहार पहुँचे प्रोपेगेंडा पत्रकार अजीत अंजुम बिना किसी इजाजत के कैमरा और माइक लेकर सीधे BLO के ऑफिस में घुसकर सरकारी काम में दखलअंदाजी करते हैं। बलिया के एक मतदान केंद्र पर अजीत अंजुम और उनके सहयोगी जबरन सभागार में घुस जाते है, जहाँ BLO मोहम्मद अंसारुल हक मतदाता सूची के फॉर्म अपलोड कर रहे थे।

प्रोपेगेंडा पत्रकार अजीत अंजुम ने BLO से बूथ में मतदाताओं की संख्या, फॉर्म वितरण और अन्य संवेदनशील जानकारी माँगने की कोशिश की। BLO ने अपनी FIR शिकायत में यह भी कहा कि अंजुम ने मुस्लिम मतदाताओं की गिनती और उनके फॉर्म जमा करने की जानकारी भी माँगी, जो सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश लगती है।

अजीत अंजुम के इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये और सरकारी काम में बाधा डालने के लिए उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है। उन पर BNS 2023 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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