मेपल्स ग्रुप ने प्रदेश में खड़ी की फर्जी पत्रकारों की फौज

logob
गत्ï डेढ़ वर्ष पहले लखनऊ शहर से एक साप्ताहिक अखबार अस्तित्व में आया जिसका नाम मेपल्स टाइम्स रखा गया था। यह उन्हीं लोगों का अखबार था जिन्होंने मेपल्स ग्रुप के नाम पर फर्जी तरीके से जमीनों के आवंटन खरीद-फरोख्त का धंधा करते हैं। जमीनों के इसी बिजनेस में जब मालिकान का गिरेबां सरकारी संस्थानों के हाथों में पहुंचा तो उन्हें ऐसा लगा कि चलो एक अखबार निकालते हैं और ऐसा करके हम अपने द्वारा किये गये सारी काली करतूतों को बेखौफ अंजाम देते रहेंगे। पूरे एक वर्ष तक अखबार चला बावजूद इसके उनकी काली करतूतों पर पर्दा पडऩे के बजाय वह जस के तस अपने अस्तित्व बनाए रहीं। अखबार खुलने से उनकी काली करतूतों से उनको छुटकारा तो नहीं मिला लेकिन इतना जरूर हुआ कि जमीन के खरीद-फरोख्त की काली करतूतों में गले तक डूबे मेपल्स ग्रुप के मालिकान से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में फैले उनके छोटे-से छोटे कर्मचारी तक अपने आपको पत्रकार बताने लगे। एकाएक प्रदेश में पत्रकारों की भीड़ सी दिखने लगी। यह वही पत्रकार थे जिनका पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं बस मेपल्स ग्रुप ने मेपल्स टाइम्स नाम से अखबार छापा और इन सबको पत्रकार बनने का लाइसेंस मिल गया। अखबार खुलने के बावजूद भी जब इनकी काली हकीकत पर परदा नहीं पड़ पाया तो अंततोगत्वा इन्होंने अपना अखबार बंद कर दिया, लेकिन प्रदेश को मेपल्स ग्रुप ने फर्जी पत्रकारों की एक बड़ी भीड़ तोहफे के तौर पर दे दी। इन फर्जी पत्रकारों की वजह से जो वास्तविक मीडिया कर्मी हैं उनका मान-सम्मान हर तरफ तार-तार होता दिखाई दे रहा है। इसके खिलाफ हमारे वास्तविक मीडिया कर्मी को एक होकर आवाज उठानी चाहिए और साथ ही ऐसी संस्थाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए जो अपनी काली करतूतों को छिपाने के लिए अखबार का झांसा देकर फर्जी पत्रकारों की फौज खड़ी करते हैं। अब समय आ गया है कि ऐसे सारे ग्रुप जो फर्जी पत्रकारों को अस्तित्व में लाते हैं उनके खिलाफ एकजुटता के साथ कार्रवाई हो।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button