हिसार में पत्रकारों पर हमले का मामला: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई

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उच्चतम न्यायालय पत्रकारों के एक समूह द्वारा दायर उस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने के लिए आज सहमत हो गया जिसमें हिसार के बरवाला में ‘स्वयंभू’ धर्मगुरू रामपाल की गिरफ्तारी के लिए पुलिस अभियान के दौरान मीडियाकर्मियों पर कथित हमले की न्यायिक जांच कराने के लिए केंद्र और हरियाणा सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया गया है ।

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर तथा न्यायमूर्ति एके सिकरी की पीठ ने कहा, ‘इसे सोमवार के लिए सूचीबद्ध कीजिए ।’ जैसे ही पत्रकारों की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन ने यह तर्क देना शुरू किया कि हाल में हरियाणा में हमले का मामला पत्रकारों से संबंधित है, न्यायालय ने अपना आदेश दिया। मीडियाकर्मियों के एक समूह द्वारा दायर इस याचिका में ‘चेतावनी दिए बिना और बिना ख्याल रखे’ लाठीचार्ज करने के लिए ‘दोषी पुलिसकर्मियों’ को दंडित करने का आग्रह किया गया है ।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सरकारी अधिकारियों द्वारा ‘प्रेस को कुचलने’ की प्रवृत्ति बढ़ रही है । इसमें प्रभावित पत्रकारों को ‘उचित मुआवजा दिए जाने’ और ऐसे निर्देश तय किए जाने का भी आग्रह किया गया है जिससे मीडिया का स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से काम करना सुनिश्चित हो सके । याचिका में कहा गया है कि हिसार में पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच झड़प के दौरान बिना उकसावे के लाठीचार्ज के शिकार मीडियाकर्मी संविधान की धारा 19 (1) (ए) और प्रेस की स्वतंत्रता के तहत दिए गए मौलिक अधिकार के उल्लंघन पर न्याय मांगने के लिए रिट याचिका दायर कर रहे हैं ।

याचिका में हिसार के अतिरिक्त अन्य जगहों पर हाल में हुई ऐसी घटनाओं का भी जिक्र किया गया जिनमें मीडियाकर्मियों पर हमला किया गया । इसमें कहा गया कि यह आश्चर्यजनक है कि अपने चैनलों और स्थानीय अधिकारियों से उचित मंजूरी होने के बावजूद पुलिस द्वारा बरवाला में सतलोक आश्रम के नजदीक मीडियाकर्मियों को निशाना बनाया गया । याचिका में कहा गया कि एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने पहले तो उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी, लेकिन बाद में लाठीचार्ज कर दिया गया ।

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