Anoop Gupta : भ्रष्टाचार आन, सत्ता मौन… मीडिया की भूमिका सत्ता और जनता के बीच सेतु का काम करती आयी है। देश की सरकारें भी मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण मानती रही हैं। मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित खबरों के आधार पर ही आसाराम बापू और सुब्रत राय सहारा जैसे सलाखों के पीछे हैं तो यूपी में भी अमरमणि त्रिपाठी, मुख्तार अंसारी और अतीक जैसे खूंखार नेता सलाखों के पीछे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। यदि बात भ्रष्ट नौकरशाहों की हो तो अखण्ड प्रताप सिंह जैसे वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी भी सलाखों के पीछे नजर आते हैं।
जहां तक राष्ट्रीय हिन्दी पत्रिका ‘दृष्टांत’ की बात हो तो यह पत्रिका भी पिछले कई वर्षों से भ्रष्ट नौकरशाहों का दस्तावेज सहित खुलासा करती आ रही है। विडम्बना यह है कि यूपी की मौजूदा सरकार ऐसे तथाकथित भ्रष्ट नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई के मूड में नजर नहीं आती। इस पत्रिका ने एक शीर्ष आई.ए.एस. अधिकारी नवनीत सहगल के खिलाफ तमाम दस्तावेजों के साथ कई बार खुलासा किया। अखिलेश सरकार ने मामले को संज्ञान में तो लिया लेकिन कार्रवाई शून्य रही। इतना ही नहीं, इस अधिकारी को अखिलेश सरकार में महत्वपूर्ण पद पर बिठाया गया है। जाहिर है अखिलेश सरकार भी अरबों के घोटाले को अंजाम देने वाले इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के मूड में नजर नहीं आती। ‘दृष्टांत’ पत्रिका एक बार फिर तमाम दस्तावेजी सुबूतों के आधार पर नवनीत सहगल से जुडे भ्रष्टाचार का खुलासा करने जा रही है।
‘दृष्टांत’ मैग्जीन के संपादक अनूप गुप्ता के फेसबुक वॉल से.