फेक न्यूज़ मामले में नंबर वन है एनडीटीवी और उसके पत्रकार, इस खबर में देखिए इसकी मिसाल:

कुछ दिन पहले एनडीटीवी ने फेक न्यूज़ यानी फर्जी खबरों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसमें बताया गया था कि किस तरह से फर्जी खबरों के कारण लोगों का भरोसा अखबारों और चैनलों में कम होता जा रहा है। यह अलग बात कि खुद एनडीटीवी पर 2002 के गुजरात दंगों से लेकर मौजूदा मोदी सरकार तक कई झूठी और भ्रामक खबरें गढ़ने का आरोप है। सिर्फ फेक न्यूज़ ही नहीं, एनडीटीवी पर खबरों के जरिए आतंकवादियों की मदद जैसे गंभीर आरोप हैं। इस मामले में उसे एक दिन की पाबंदी की सज़ा भी सुनाई जा चुकी है। फिलहाल फेक न्यूज़ के खिलाफ ताजा अभियान को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि खुद एनडीटीवी के पत्रकार इस बात का ध्यान रखेंगे। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा। चैनल के मोदी विरोधी पत्रकार आए दिन बीजेपी और मोदी के खिलाफ बेसिर-पैर की खबरें सोशल मीडिया के जरिए उड़ाते रहते हैं। देखिए ऐसी ही कुछ मिसाल:

बीजेपी दुनिया की चौथी भ्रष्ट पार्टी!

एनडीटीवी के पत्रकार नदीम अहमद काज़मी ने अपने फेसबुक पेज पर खबर पोस्ट की कि सीएनएन के सर्वे में पाया गया है कि बीजेपी दुनिया की चौथी सबसे भ्रष्ट राजनीतिक पार्टी है। किसी प्रोपोगेंडा वेबसाइट की यह खबर पूरी तरह फर्जी है और सीएनएन ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया है। नदीम अहमद एनडीटीवी के साथ कई साल से जुड़े हुए हैं। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले बीजेपी और उसके नेताओं से अपनी घृणा के लिए जाने जाते हैं। चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक में वो इसे खुलकर जताते भी हैं। इसके लिए झूठी खबरें दिखाने और शेयर करने से भी उन्हें गुरेज नहीं है। उनके इस फर्जी खबर फैलाओ अभियान को कहीं न कहीं चैनल के मैनेजमेंट का भी समर्थन मिला हुआ है। 

अमित शाह की संपत्ति 300% बढ़ी!

पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी बढ़ोतरी की फर्जी खबर को भी एनडीटीवी के पत्रकारों ने जमकर फैलाया था। इस खबर को छापने वाले टाइम्स ऑफ इंडिया और डीएनए अखबारों ने भले ही वापस ले लिया हो एनडीटीवी के तमाम सीनियर पत्रकार कहां मानने वाले थे। उन्होंने न सिर्फ इसके झूठे लिंक शेयर किए, बल्कि यह आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मीडिया संगठनों को डराकर ये खबर गायब करवा रही है। जबकि यह बात पूरी तरह गलत थी। साफ हो चुका है कि 300 फीसदी बढ़ोतरी की खबर मनगढंत थी। खुद बीजेपी ने भी एक बयान जारी करके बताया था कि 300 फीसदी की बढ़ोतरी पैतृक संपत्ति जुड़ने के कारण हुई है। देखिए इसके बावजूद एनडीटीवी के पत्रकार कैसे इस फर्जी खबर को फैलाने में जुटे रहे।

ये तस्वीर एनडीटीवी के पत्रकार उमाशंकर सिंह के फेसबुक पेज से ली गई है।

उमाशंकर सिंह ही नहीं एनडीटीवी के सबसे बदनाम पत्रकार रवीश कुमार ने तो अपने फेसबुक पेज पर लंबा-चौड़ा लेख लिख मारा। जबकि यही रवीश कुमार फर्जी खबरों और सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर किसी को बदनाम करने की कोशिशों पर विरोध का नाटक करते रहे हैं। देखिए कैसे खुद रवीश कुमार ने एक फर्जी खबर को वैधता दिलाने के लिए क्या-क्या दलीलें दी हैं।

एनडीटीवी के तमाम पत्रकारों का सोशल मीडिया पर बर्ताव बताता है कि वो अपने चैनल के जरिए किस तरह की पत्रकारिता कर रहे हैं। नीचे देखिए ऐसी ही फर्जी खबरों के कुछ उदाहरण जिन्हें एनडीटीवी के पत्रकारों ने फैलाया। चैनल के सबसे सीनियर संपादकों में से एक मनीष कुमार ने आम आदमी पार्टी की प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘जनता का रिपोर्टर’ पर पोस्ट हुई इस फर्जी खबर को शेयर किया। जब उन्हें एक व्यक्ति ने बतााया कि ये जानकारी झूठी है, तो भी उन्होंने इसे हटाने या सफाई देने की जरूरत नहीं समझी।

नीचे कुछ और उदाहरण देखिए।

नीचे की खबर यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त की है, जबकि एनडीटीवी के पत्रकार ऐसी झूठी खबरें प्लांट करने में जुटे थे कि बीजेपी चुनाव में अपराधियों को टिकट दे रही है।

 नीचे आप रवीश कुमार का वो लेख पढ़ सकते हैं जिसमें उन्होंने इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली (EPW) मैगजीन में अडानी समूह के खिलाफ एक फर्जी खबर छापने का समर्थन किया है। खुद मैगजीन के एडिटोरियल बोर्ड ने माना है कि खबर फर्जी थी और उसके कारण संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता का इस्तीफा ले लिया गया, लेकिन रवीश कुमार ने इसके लिए मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया। जबकि सरकार या भाजपा का उस मामले से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था।

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