‘इंडिया टुडे’ और आजतक चैनल की वेबसाइट ने केंद्र सरकार खिलाफ लोगों में फैलाई झूठी खबर

मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए मीडिया ने एक नया झूठ गढ़ा है, इसके मुताबिक केंद्र सरकार एक ऐसा कानून लाने जा रही है, जिसके बाद बैंक अपने जमाकर्ताओं की रकम जब चाहें जब्त कर सकते हैं। ये झूठ सबसे पहले मोदी विरोधी पत्रिका ‘इंडिया टुडे’ और आजतक चैनल की वेबसाइट के जरिए फैलाया गया। इसके अलावा भी कुछ अखबारों और वेबसाइटों ने इस झूठ को फैलाने में अपना हिस्सा बंटाया। खबर में दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने “लोगों की जेब और घर में रखे पैसे पर हल्ला बोला और अब उसकी नज़र बैंक में रखी आपकी रकम पर है।” इस भाषा से ही आप समझ सकते हैं कि खबर लिखने वाले का एजेंडा क्या है। आगे इसमें दावा किया गया है कि “फाइनेंशियल रेजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस यानी एफआरडीआई बिल-2017 का ड्राफ्ट तैयार है और इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। अगर ये बिल पास हो गया तो आपके बैंक में जमा पैसे पर आपका हक खत्म होने का खतरा पैदा हो जाएगा। क्योंकि बैंक दिवालिया हो गया तो हो सकता है कि उस बैंक में जमा आपकी लाखों की रकम आप खुद ही नहीं निकाल सकें।” अब हम आपको बताते हैं कि सच क्या है?

क्या है FRDI बिल?

इस बिल और इसके बारे में फैलाई जा रही खबरों की सच्चाई क्या है ये हम आपको आगे बताएंगे, उससे पहले यह जान लीजिए कि ये खबर खास तौर पर गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गढ़ी गई है। इंडिया टुडे और आजतक ने लोगों में भ्रम फैलाने की नीयत से इसे पोस्ट किया है और इसे फैलाने की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी के लोग संभाल रहे हैं। दरअसल ये बिल बैंकिंग क्षेत्र में लगातार हो रही धांधलियों को खत्म करने की नीयत से लाया गया है। यह बात ज्यादातर लोगों को नहीं पता होगी कि हम बैंक में जो भी पैसा जमा करते हैं उस पर सिर्फ 1 लाख रुपये तक की वापसी की गारंटी सरकार लेती है। अगर आपने किसी बैंक में 5 लाख रुपये जमा कर रखे हैं और वो बैंक डूब गया तो आपको सिर्फ 1 लाख ही वापस मिलेगा। बाकी रकम निकलवाना लगभग नामुमकिन होता है। नए बिल में एक लाख रुपये पर गारंटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही ऐसा इंतजाम किया गया है कि एक लाख के ऊपर के बाकी रकम भी दिलवाई जा सके। अगर बैंक डूबा तो पहले उसके शेयर, फिर बड़े बॉन्ड जब्त होंगे। आम लोगों की जमा रकम का नंबर सबसे आखिरी होगा। यानी आम जमाकर्ताओं के लुटने का खतरा न के बराबर होगा। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव ने इस बारे में औपचारिक स्पष्टीकरण भी जारी किया है। उन्होंने कहा है कि जमाकर्ता के मूलधन पर सरकार की गारंटी भी रहेगी।

बिल की जरूरत क्यों?

दरअसल बैंकिंग क्षेत्र बड़े बदलाव से गुजर रहा है। कांग्रेस के दौर में खस्ताहाल हो चुके सरकारी बैंकों की हालत सुधारना एक बड़ी चुनौती है। सरकार और रिजर्व बैंक नहीं चाहते कि अब किसी बैंक के डूबने और उसमें लाखों लोगों की जमापूंजी स्वाहा होने की नौबत आए। पिछले कुछ साल में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक, सांगली कोऑपरेटिव बैंक, यूनाइटेड वेस्टर्न, बैंक ऑफ राजस्थान और भारत ओवरसीज बैंक जैसे कई मामले सामने आ चुके हैं। ये हैरानी की बात है कि कांग्रेस पार्टी को चुनावी फायदा पहुंचाने की नीयत से मीडिया के एक वर्ग ने जानबूझकर अफवाह फैलाने की कोशिश की। वैसे भी ये सिर्फ ड्राफ्ट है, बिल नहीं। यानी अभी इस पर संसद में बहस होनी बाकी है। संसद में पास होने के बाद ही इसे कानून की शक्ल मिलेगी। नीचे देखिए कैसे कुछ मीडिया समूहों ने इस मामले में फर्जी खबर उड़ाने की कोशिश की।

 

आप देख सकते हैं कि कैसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए काम करने वाले लोग इस झूठी खबर को सोशल मीडिया पर फैलाने में जुटे हैं।

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