जनता कर्फ्यू: राजदीप पूछ रहा पुलिस तो नहीं होगी घरों के बाहर? नमाज पर हुआ चुप, रामनवमी पर झूठ

कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज शाम आठ बजे देशवासियों के नाम सन्देश दिया जिसमें उन्होंने घर से बाहर ना निकल पाने की स्थिति में गरीब कामगारों की सैलेरी जारी रखने से लेकर नवरात्रि को लेकर सन्देश दिए। लेकिन इस सब में पीएम मोदी के भाषण का सबसे महत्वपूर्ण पहलू था- जनता कर्फ्यू!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 मार्च को सुबह 7 से रात नौ बजे तक‍ जनता कर्फ्यू कि बात कही। पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन माँग रहा हूँ। यह समर्थन जनता-कर्फ्यू लगाने के लिए था।

इस भाषण के बाद हर किसी ने अपनी-अपनी तरह से इस पर प्रतिक्रिया दी। सबसे आश्चर्यजनक यह देखना था कि ट्विटर पर अक्सर सरकार विरोधी एजेंडा और हिंदुत्व विरोधी अभियानों को लेकर सक्रीय होने वाले कुछ चुनिन्दा लोगों ने भी प्रधानमंत्री मोदी की इस माँग का समर्थन किया। लेकिन कुछ लोग अपनी घृणा की विचारधारा में इतना गहरा उतर चुके हैं कि वो कोरोना जैसी महामारी के बीच भी अपनी घृणा और सरकार विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए जगह बना ले रहे हैं। इन्हीं में से एक नाम है इण्डिया टुडे समूह के तथाकथित पत्रकार राजदीप सरदेसाई का। ये वही राजदीप सरदेसाई है जिसे कुछ दिन पहले ही NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने ‘दुकानदार’ कहकर सम्बोधित किया था।

राजदीप ने जनता कर्फ्यू के आह्वाहन का मजाक बनाते हुए फ़ौरन बयान दिया कि क्या जनता कर्फ्यू के दिन पुलिस उसके घर के आगे मौजूद रहेगी? दरअसल, स्पष्ट सी बात यह है कि राजदीप जैसे लोग सदियों से चली आ रही सत्ता की गुलामी के कारण स्वयं को इतना ज्यादा सुरक्षित महसूस करने लगे हैं कि कोरोना जैसी किसी महामारी का भी ये लोग उपहास बनाते नजर आते हैं।

यह वही सभ्रांत मीडिया गिरोह है, जिसने 2014 से ही निरंतर मोदी सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए लाई हर योजना का उपहास किया है और नतीजा यही रहा कि राजदीप हर समय थूक आसमान में उछालते ही नजर आए और वो कहाँ जाकर गिरा यह बताने की ज़रूरत नहीं है।

एक ओर जब प्रधानमंत्री मोदी जनता कर्फ्यू को उन लोगों के लिए समर्पित कर रहे हैं, जो कोरोना की वैश्विक त्रासदी के बीच भी बेहद समर्पण के साथ और सेवा भाव से लोगों का उपचार कर रहे हैं और उनकी जरूरतों का ध्यान रख रहे हैं, वहीं राजदीप सरदेसाई को यहाँ जनता कर्फ्यू एक खतरा नजर आता है। हालात तो यह हो चुके हैं कि राजदीप सरदेसाई इस जनता कर्फ्यू के विरोध में 22 मार्च को बदहवास हालात में सड़क पर दौड़ न लगाने लगें कि देखो मोदी ने कहा लेकिन कोरोना मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ये ऐसा ही है जैसे मोदी अगर जहर को प्रतिबंधित कर दें तो राजदीप जैसे ही कुछ गिने-चुने लोग ख़ुशी-ख़ुशी जहर पीना स्वीकार कर लें।

अयोध्या में रामनवमी के आयोजन को लेकर प्रपंच

यही नहीं रामनवमी पर राजदीप जैसे ही प्रपंचकारियों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ पर पूरी चर्चा करने कि हिम्मत रखने वाले इसी राजदीप ने रामनवमी के आयोजन को लेकर भी बहस छेड़ी और इसे रामनवमी बनाम शाहीन बाग़ जैसे मुहावरों में ढालने की कोशिश भी की।

शो के दौरान जब राजदीप सरदेसाई से भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने जुमे की नमाज को लेकर सवाल किया तो राजदीप ने यह कहकर टाल दिया कि इसे शाहीन बाग़ बनाम रामनवमी मत बनाइए। आखिरी बार जब राजदीप सरदेसाई कोई मुद्दा अपनी इस धूर्त हंसी के साथ क्लोज नहीं कर पाए थे, तब वो अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर में लोगों से घूँसा खा रहे थे। ख़ास बात यह है कि पुलिस वहाँ पर भी मौजूद नहीं थी।

इन्हीं कुछ सोशल मीडिया से उपजे हुए लिबरल वर्ग ने हाल ही में अयोध्या में रामनवमी को लेकर भी जमकर प्रोपेगंडा किया और आज राजदीप सरदेसाई भी उसी प्रोपेगंडा को दोहराते हुए देखे गए हैं। दरअसल, राणा अयूब जैसे इन्टरनेट विचारकों ने ट्विटर पर इस खबर को खूब तत्परता से फैलाया कि कोरोना के आतंक के बावजूद अयोध्या में 25 मार्च से 2 अप्रैल के बीच रामनवमी के मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस फर्जी खबर का खंडन खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 मार्च को ही यह स्पष्ट कर दिया था कि 20 मार्च को ही इस बारे में सभी अधिकारियों से बातचीत के बाद कोई फैसला लिया जाएगा।

लेकिन राणा अयूब, ध्रुव राठी और राजदीप जैसे सर से पाँव तक घृणा और सत्ता विरोधी अभियान में जुटे लोगों को अपनी विश्वसनीयता से फर्क पड़ना बंद हो चुका है और राजदीप जैसे लोग इसे शर्म के बजाए विशेषाधिकार समझकर इसका खुलकर ‘उपयोग’ करते जा रहे हैं।

फिलहाल आवश्यक यह है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 22 मार्च को आयोजित किए जा रहे जनता-कर्फ्यू का हिस्सा बनें और एक-दूसरे को एहसास दिलाएँ कि इस वैश्विक आपातकाल की घड़ी में सभी लोग अपने वैचारिक विरोधाभाषों से दूर होकर एक दूसरे के साथ हैं। वास्तव में ‘वर्क फ्रॉम होम’ और लॉकडाउन जैसी स्थिति का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव समाज के सबसे निचले वर्ग पर पड़ता है।

इसी बात को समझते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आज के अपने भाषण में इन्हीं कुछ बिन्दुओं से देशवासियों को अवगत करवाया और कहा कि जनता कर्फ्यू के दिन दूसरों की सेवा कर रहे लोगों का 22 मार्च की शाम को 5 बजकर 5 मिनट तक करतल ध्‍वनि के साथ आभार करें। ‘सेवा परमो धर्म’ के हमारे संस्कारों को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाव व्यक्त करने होंगे। आप स्वयं सोचिए, देश के प्रधानमंत्री से ऐसा संदेश सुनने के बाद भी क्या किसी प्रकार की आपसी घृणा के लिए जगह शेष रह जाती है?

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button