आईपीएस रहे इस बुजुर्ग दलित एक्टिविस्ट को योगी पुलिस ने जेल भेजा!

पहले सभी नागरिकों की समान नागरिकता के लिए, अब सभी गरीबों को जमीन और आजीविका की माँग के लिये 82 वर्षीय दारापुरी जी जेल में डाले गए ! इस अन्याय के खिलाफ हम सब आवाज उठायें !

82 वर्ष के लोकतान्त्रिक जन-बुद्धिजीवी, रैडिकल अंबेडकरवादी योद्धा दारापुरी जी को जेल भेज दिया गया है, उनका अपराध यह था कि वे गोरखपुर कमिश्नरी पर सभी गरीबों दलितों पीड़ितों के लिए न्यूनतम एक एकड़ जमीन की मांग को लेकर आयोजित शांतिपूर्ण कार्यक्रम में वक्ता के बतौर शामिल हुए थे। यह मांग न तो गैर-कानूनी है, न अजूबा है, वरन दलितों-गरीबों के सम्मानजनक आजीविका की जरूरी शर्त है। इस तरह का प्रावधान तेलंगाना में पहले से लागू है जहां जमीन उपलब्ध न होने पर सरकार खरीद कर गरीबों को जमीन देती है।

सबसे शर्मनाक यह है कि गम्भीर पार्किंसन्स बीमारी से ग्रस्त दारापुरी जी पर IPC 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। वहाँ से किसी फ्रांसीसी नागरिक की गिरफ्तारी को लेकर विदेशी हाथ की सनसनी भी पैदा की जा रही है।

पुलिस महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त दारापुरी जी को क्या कानून के राज में अपने विश्वास और देशप्रेम की फिर से परीक्षा देनी होगी ?

यह बेहद पीड़ादायक है कि यह सब उस दारापुरी जी के खिलाफ हो रहा है जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद अय्याशी और अवसरवाद नहीं, गरीबों की सेवा और इंसाफ का रास्ता चुना है, जो डॉ0 अंबेडकर के विजन को विकसित करने और जमीन पर उतारने के संघर्ष में लगे हैं।

दारापुरी जी के साथ प्रतिबद्ध जनपत्रकार डॉ0 सिद्धार्थ रामू तथा अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।

यह साफ है कि इस बर्बर दमन के निशाने पर भले कुछ व्यक्ति दिख रहे हों, असल निशाना गरीबों दलितों की जमीन की न्यायोचित मांग है, इंसाफ और आजीविका के लिए उनका संघर्ष है।

सभी न्यायप्रिय नागरिकों, लोकतान्त्रिक व्यक्तियों/संगठनों को इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा तथा आदरणीय दारापुरी जी, डॉ0 सिद्धार्थ रामू तथा अन्य सभी की रिहाई की आवाज बुलंद करना होगा।

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