सिर्फ, पुरस्कार और जूता वापस करके कुश्ती से सन्यास क्यों ? वापस ही करना है तो पैसा,सरकारी जमीन,सरकारी नौकरी सब वापस करो..!
कुश्ती कॅरिअर लगभग खत्म हो चुका है, नेशनल चैंपियनशिप मे इस डर से खेलने नही जाते हैं कि कहीं कोई नया पहलवान पटक ना दे बेइज्जती ना हो जाए! बड़े मुकबलो मे जहाँ जा रहे है वही पिट रहे हैं जैसे अभी बदरंग पुनिया 10-0 से हारकर आया है, विनेश गई पर लडी नही बीमारी का बहाना बनाकर वापस आ गई, एक ओर थी वो कौन सी फोगट थी सांत्वना पुरुस्कार लेकर आई है... ये हाल है!

तुम्हे कुछ और ही मंजूर था,कम समय मे राजनीति करनी थी,खुद को राजनीति का चौधराइन बनने के ख्वाब पाल बैठे,औऱ भूत सवार लेकर चले थे,की सबको झुका देंगे।
गलतफहमी पाल ली,अब रुहासे मुंह लटका हुआ चेहरा खुद झुक गया,पापों का घड़ा फूटना ही था…
चलिये अच्छा हुआ आपने quit कर लिया ।
कुश्ती कॅरिअर लगभग खत्म हो चुका है, नेशनल चैंपियनशिप मे इस डर से खेलने नही जाते हैं कि कहीं कोई नया पहलवान पटक ना दे बेइज्जती ना हो जाए! बड़े मुकबलो मे जहाँ जा रहे है वही पिट रहे हैं जैसे अभी बदरंग पुनिया 10-0 से हारकर आया है, विनेश गई पर लडी नही बीमारी का बहाना बनाकर वापस आ गई, एक ओर थी वो कौन सी फोगट थी सांत्वना पुरुस्कार लेकर आई है… ये हाल है!
करने के लिए अब एक ही काम बचा है और वो है राजनीति कम से कम इसे ही गंभीरता से कर लो!
होता जाता तो कुछ है नही बस उंगली कटाकर शहीद बनना चाहती हो तो तुम्हारी मर्जी!

आओ अब चुनाव भी लड़कर देख लो…
तुम्हारा वो हाल होगा जो तुमने सोचा भी नही होगा!
सत्यप्रकाश सैनी के fcebook wall से सभार ………………….

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