नारी शक्ति ने जीता सहारा इंडिया मास कम्यूनिकेशन के खिलाफ लड़ाई

पिछले 24 वर्षों से बतौर उप-संपादक कार्यरत गीता रावत और रमा शुक्ला को 4 जून 2016 को टर्मिनेट कर दिया गया था. जिसे लेकर वे श्रम न्यायालय की शरण में गईं थीं

हारा इंडिया मास कम्यूनिकेशन से बड़ी खबर सामने आई है. यहां पिछले 24 वर्षों से बतौर उप-संपादक कार्यरत गीता रावत और रमा शुक्ला को 4 जून 2016 को टर्मिनेट कर दिया गया था. जिसे लेकर वे श्रम न्यायालय की शरण में गईं थीं.

एक लंबी लड़ाई के बाद श्रम न्यायालय, नोएडा द्वारा 100% बकाया वेतन और सभी परिणामी लाभों के साथ एक महीने के भीतर उनकी बहाली करने का फैसला सुनाया गया है. एक साथ हुए इस टर्मिनेशन में अब दोनों लोगों ने एक साथ यह लड़ाई जीती भी है.

इस सिलसिले में गीता रावत जी कहती हैं, ‘सहारा के खिलाफ ये उनकी बड़ी लड़ाई है. उनके साथ कुछ और लोग भी टर्मिनेट किये गए थे, पर उनका मामला होल्ड पर था. अब उन दोनों की जीत के साथ अन्य लोगों के लिए भी एक रास्ता बन गया है.’

गीता रावत जी की तरफ से एडवोकेट राजू गर्ग ने अदालत में उनका पक्ष रखा था.

हारा मीडिया के खिलाफ बड़ी लड़ाई जीतने वाली दो महिला उप-संपादकों के फैसले की कॉपी आ गई है. किसी मीडिया संस्थान के साथ 24 वर्षों जैसे लंबे अंतराल के बाद यूं टर्मिनेट कर दिया जाना दिलो-दिमाग पर गहरा असर छोड़ता है.

बावजूद इसके गीता रावत और रमा शुक्ला ने जिस बहादुरी और हिम्मत के साथ लंबी लड़ाई लड़ी और जीती वह अपने आप में काबिले तारीफ है. क्योंकि कुछ लड़ाइयां आसान नहीं होती. उस पर किसी महिला का लड़कर जीतना तो बिल्कुल नहीं. गीता और रमा जी अपने जैसी तमाम महिलाओं के लिए यह लड़ाई जीतकर एक मिसाल बनकर उभरी हैं.

श्रम न्यायालय नोएडा द्वारा दिए इस आदेश में दोनों महिला कर्मचारियों को एक महीने के भीतर नौकरी पर बहाल करने के साथ ही 100% बकाया वेतन और सभी परिणामी लाभों को दिए जाने की बात कही गई है.

पढ़े अदालती आदेश को …..

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