उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को मिला प्रमाण पत्र

प्रमुख सचिव सूचना ने वितरित किया प्रमाण पत्र, कहा पत्रकार हितों के लिए सरकार प्रतिबद्ध

समारोह में पत्रकार कल्याण कोष, स्वास्थ्य, पेंशन और लघु व मध्यम समाचार पत्रों के आर्थिक संकट की मांग उठाई गई

उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के नव निर्वाचित पदाधिकारियों और सदस्यों को शुक्रवार को जीत का प्रमाण पत्र दिया गया। लोक भवन में आयोजित प्रमाण पत्र वितरण समारोह में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद, निदेशक शिशिर व मुख्य मंत्री के मीडिया सलाहकार रहीस सिंह शामिल हुए। प्रमाण पत्र वितरण समारोह को संबोधित करते हुए प्रमुख सचिव सूचना संजय प्रसाद ने सभी निर्वाचित पदाधिकारी और सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने लंबे समय से लंबित पत्रकारों की विभिन्न समस्यों के निस्तारण का आश्वासन दिया।
प्रमुख सचिव ने कहा की समिति की जो भी अन्य मांगे है उसे सूचीबद्ध कर लिखित रूप से अवगत कराएं। पत्रकारों हितों के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। चुनाव समिति के शरत प्रधान, वीरेन्द्र सक्सेना व सुरेश बहादुर सिंह ने भी सभी निर्वाचित पदाधिकारियों व सदस्यों को बधाई दी।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी और सचिव भारत सिंह ने वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दिए जाने की मांग रखी। पत्रकार कल्याण कोष की माँग के तहत पत्रकारों के स्वास्थ्य कोष की माँग की गई।

चुनाव हुये उत्तर प्रदेश मानयता प्राप्त संवाददाता समिति के और प्रमाण पत्र बांटे गए उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति

बडा खेद है और ताज्जुब होता है कि पत्रकार समाज का चौथा स्तम्भ होता है। और आई ए एस अधिकारी सरकार का अहम अंग होता हँ उसे समझबूझ कर अपने कार्यालय में सरकारी प्रतीको की फोटो शेषन का बचकर प्रयोग करना और करवाना चाहिये था यही नजारा आज लोक भवन में देखने को तब मिला जब एक समिति का फोटो सूट कराया गया।मुख्य मंत्री जी को इसे संज्ञान में लेना चाहिये।
मामला था पत्रकारो के चुनाव बाद प्रमाण पत्र वितरण का। 6 दशक से चली आ रही उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त सवाददाता समिति का जो अपना स्वरूप खो चुकी है.चुनाव हुये उत्तर प्रदेश मानयता प्राप्त संवाददाता समिति का लेकिन आयोग में वैठे काबिल वरिस्ठ पत्रकारो ने निर्वाचन प्रमाण पत्र बॉट डाले दूसरे नाम से। प्रमाण पत्र में साफ लिखा है उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति। दोस्तो चुनाव और जनादेश लिया गया समिति के किसी नाम पर और प्रमाण पत्र किसी और नाम पर।प्रमाण पत्र वितरण पूरी तरह से अबैध और अनेतिक है।क्या सरकार के उच्च आधिकारियो ने घ्यान नहीं दिया इस अनैतिक कार्य में शामिल होकर।नकली समिति नकली प्रमाण पत्र से साबित हो गया है कि पिछले 15 दिनो से पत्रकारो की इस समिति के निर्वाचन में क्या क्या खेल किये गये।प्रमुख सचिव सूचना व सूचना निदेशक को अपनी गरिमा का ध्यान रखना चाहिये था।11 सितम्बर को घोषित उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त सवाददाता समिति का स्वरूप पूरी तरह से नये नियमों के साथ असली हैं।सदस्यता अभियान जारी है।पहला नया निर्वाचन जनवरी 2025 में होगा।ऊपर दिये गये तथ्यो पर घ्यान देना बहुत जरूरी है।सरकार और आधिकारी भी घ्यान दे।

आपका भाई प्रभात त्रिपाठी ।

समिति के सचिव भारत सिंह ने कहा कि लघु व मध्यम समाचार पत्र आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। सरकार उन्हें निमानुसार विज्ञापन जारी कर आर्थिक संकट से उबरने में मदद करें। प्रमाण पत्र वितरण समारोह में मुख्य रूप से समिति के निर्वाचित उपाध्यक्ष आकाश शेखर शर्मा, अविनाशचंद्र मिश्रा, राघवेंद्र त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष, आलोक कुमार त्रिपाठी संयुक्त सचिव विजय कुमार त्रिपाठी, अनिल कुमार सैनी, नीता देवी मिश्रा कार्यकारिणी सदस्य दिलीप सिन्हा, रितेश सिंह, शेखर पंडित, अब्दुल वहीद, नवेद सिकोह, वेद प्रकाश दीक्षित, भूपेंद्र मणि त्रिपाठी, राघवेंद्र प्रताप सिंह, रेनू निगम, सतेंद्र राय उपस्थित थे। इस समारोह में दो निर्वाचित सदस्य शबीबुल हसन और सुयश मिश्रा किसी कारण वश उपस्थित नहीं हो सकें। जिनका प्रमाण पत्र सचिव भारत सिंह को हासिल किया।

कार्यक्रम में चुनाव समिति के सदस्य डॉ. कलानिधि मिश्र, विजय उपाध्याय, डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी, डॉ. नासिर खान, नायला किदवई, आसिफ रज़ा जाफरी, डॉ. अशोक यादव, आलोक द्विवेदी, गंगेश और शाश्वत तिवारी भी उपस्थित थे।

जब चौथी बार हेमंत तिवारी अध्यक्ष चुने गए थे उसे समय ज्ञानेन्द्र शुक्ला ने हेमंत तिवारी के नाम एक खुला खत लिखा था जो आज चर्चा का विषय बन गया है


हे हेमंत तिवारी, आपकी हर जीत पत्रकारिता की हार का सबब बनी है! 

महोदय,

आपको सदैव अग्रज कहकर संबोधित किया लेकिन आपने अग्रज-अनुज के पवित्र रिश्तों को भी तिजारत का हिस्सा बना दिया इसलिए इस संबोधन से परहेज किया है. आपने एक चुनाव एक समिति का पुरजोर समर्थन किया है. लिखा है कि दो चुनाव होने पर आप नहीं लड़ेंगे, पर क्या कभी आपने खुद के अंतर्मन को टटोलने की कोशिश की कि ये दो चुनाव होने की नौबत ही क्यों आई, क्यों आज हर पत्रकार साथी अपनी बिरादरी की हालत व हालात को लेकर बेहद चिंतित है… ये पंक्तियां आप चरितार्थ कर रहे हैं—“ मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है क्या मिरे हक़ में फ़ैसला देगा”

…तो श्रीमान आप स्वयं कभी एकांत में बैठकर चिंतन करेंगे तो पाएंगे कि राजधानी की पत्रकारिता के सरोकार व साख के अवसान में आपने अहम किरदार निभाया है. आप द्वारा ऐनकेन प्रकारेण अपनी जीत सुनिश्चित करने की हॉबी ने अति सम्मानित उप्र मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति को इस कदर कलंकित कर दिया है कि कोई भी पत्रकार इसका हिस्सा बनने से कतराता है. दरअसल, आप महाभारत के शकुनि के मानिंद छल-षड्यंत्र-प्रपंच के महारथी हैं.

कहते हैं कि वस्तुओँ का इस्तेमाल होता है और रिश्तो को संजोया जाता है पर आपने उलट परिपाटी की नींव रखी जहां वस्तुओँ को आपने संजोया और रिश्तों का जमकर इस्तेमाल किया. अपनी स्थिति कमजोर होने पर घड़ियाली आंसू बहाकर इमोशनल कार्ड चलकर आप सामने वाले के जज्बातों पर काबू पा लेने की कला में माहिर हैं. आपको ग्यारह वर्ष पूर्व की उस बैठक की याद होगी जहां आप के कृत्यों की हम सबने भरपूर निंदा की थी लेकिन आपने आंसूओँ के ब्रह्मास्त्र से हमारी संस्कारगत कमजोरियो का फायदा उठाया.

बीते दौर में हुए दो चुनाव में एक में मुझे भी चुनाव अधिकारी बना दिया गया था ये कहा गया कि एका की कोशिशें हो रही हैं पर चूंकि आप द्वारा निर्मित किसी भी चुनावी कमेटी को स्वयं से निर्णय लेने का हक होता ही नहीं है लिहाजा मैंने क्षोभ जताते हुए कमेटी से हटने का ऐलान कर दिया साथ ही दोनों चुनाव में से किसी में भी हिस्सा लेने से इंकार कर दिया. आप हर दफे शपथ व कसमें खाते हुए अंतिम चुनाव लड़ते आए हैं.

बहरहाल, ये पत्र आपके हालिया हृदय परिवर्तन के दांव को देखते हुए लिख रहा हूं तो आपको अवगत करा दूं कि हर कोई इस समिति को आपकी जेबी संस्था के स्वरूप से मुक्त देखना चाहता है ऐसे में मेरे जैसे तमाम साधारण पत्रकार भी मुखर होने को तत्पर हुए. मुझे भलीभांत ज्ञात है कि आप अपने विरुद्ध आने वाले किसी भी शख्स पर साम-दाम-दंड-भेद के अस्त्रों का भरपूर इस्तेमाल करने में माहिर हैं. बिलो द बेल्ट हमला करने-चारित्रिक हनन से लेकर न जाने कितने धूर्त-पाखंडी हथियार आपकी तरकश में मौजूद हैं.

पर श्रीमान आपके संज्ञान में ला देना चाहता हूं कि मैं अपने सभी वरिष्ठों के आशीर्वाद-साथियो के स्नेह- अनुजों की असीमित उर्जा एवं पूर्ण नैतिक बल के साथ हर प्रकार की जांच हर प्रकार के हमले हर प्रकार के आक्षेप-आरोप-प्रत्यारोप का हंसते मुस्कराते डंके की चोट पर सामना करने के लिए तत्पर हूं. मैं ये सब इसलिए लिख पा रहा हूं कि हम अति साधारण लोग भले ही कूटनीति-छलनीति में माहिर न हों लेकिन अपने अंतर्मन की पीड़ा व क्षोभ को व्यक्त करने का साहस दुस्साहस की हद तक अवश्य रखते हैं.

दरअसल आप तिकड़म इस्तेमाल करके दांवपेंच लगाकर जीत तो तय कर लेते आए हैं पर आप की हर जीत पत्रकारिता की हार का सबब बनी है. पत्रकारीय साख व सम्मान रसातल की ओर अग्रसरित होती जा रही है.

आपसे करबद्ध विनम्र निवेदन है कि वरिष्ठों के एतराज-युवा साथियों के आक्रोश के संग ही एकबारगी अपनी आत्मा की आवाज भी सुनें और अपने चंगुल से अब पत्रकारिता की साख-सम्मान-सरोकार को मुक्त करने की दिशा में विचार करें. रही बात मेरी तो मेरे लिए पत्रकारीय सरोकार-साख-सम्मान की हिफाजत के लिए एक नहीं लाखों चुनाव कुर्बान हैं.

ज्ञानेन्द्र शुक्ला

कलमकार, लखनऊ

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