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जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में लालू यादव को ‘सुप्रीम झटका’, ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार

याचिका में कहा गया, ‘मौजूदा पूछताछ और जांच दोनों की शुरुआत अवैध है क्योंकि दोनों ही पीसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी के बिना शुरू की गई हैं। इस तरह की मंजूरी के बिना की गई कोई भी पूछताछ/जांच शुरू से ही अमान्य होगी।’

जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झटका लगा है। शुक्रवार को अदालत ने लालू के खिलाफ ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट को सुनवाई तेज करने का निर्देश भी जारी किया। हालांकि, लालू के लिए राहत वाली बात यह रही कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने से उन्हें छूट मिल गई।

29 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस कारण नहीं है। एचसी ने लालू यादव की सीबीआई एफआईआर रद्द करने की याचिका पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। यह मामला 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद के कार्यकाल से जुड़ा है। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के वेस्ट-सेंट्रल जोन में ग्रुप डी नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगा। कहा गया कि नौकरियां लालू के परिवार या सहयोगियों के नाम पर जमीन रजिस्टर करने के बदले में की गई थीं।

लालू ने अपनी याचिका में क्या कहा

लालू यादव ने अपनी याचिका में एफआईआर, 2022, 2023 व 2024 में दाखिल तीन आरोपपत्रों को रद्द करने और उसके बाद के संज्ञान आदेशों को खारिज करने की मांग की थी। यह मामला 18 मई, 2022 को यादव , उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों व अन्य व्यक्तियों के विरूद्ध दर्ज किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अदालत में क्लोजर रिपोर्ट रिपोर्ट दाखिल करने पर सीबीआई की प्रारंभिक पूछताछ और जांच बंद कर दी गई थी। इसके बावजूद 14 साल बाद 2022 में प्राथमिकी दर्ज की गई। याचिका में कहा गया, ‘पिछली जांच और उसकी समापन रिपोर्टों को छिपाकर नई जांच शुरू करना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।’

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