छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों का गला कसने में “मोदी सरकार” ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी

प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था। इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरण को दाखिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने छोटी व मझोले वर्ग की प्रिंट मीडिया को समाप्त करने की योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है ।

Rising newsprint cost mounts trouble for Covid-hit newspapersश्याम सिंह पंवार
केंद्र सरकार के इशारे पर भारत के समाचार पत्रों के महापंजीयक द्वारा इस वर्ष से प्रकाशकों को विषम परिस्थितियों में डाल दिया गया है। यह कटु सत्य है कि प्रेस सेवा पोर्टल के माध्यम से प्रकाशकों को अपने-अपने समाचार पत्र व पत्रिकाओं को बंद करने का केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कुचक्र रचा गया है। वर्षों से समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के पंजीयन प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए है । अनेकों मामले शीर्षक संबंधी मामले लम्बित है । पंजीयन प्रमाण पत्र में संशोधन के मामले लम्बित है । इन सब प्रकरणों को निस्तारित किए बिना प्रेस सेवा पोर्टल को लागू किया जाना न्याय संगत नहीं है । ज्ञातव्य हो कि प्रेस सेवा पोर्टल में अनेकों ऐसे प्राविधान रखे गए हैं जिन्हें छोटे व मझौले समाचार पत्रों व पत्रिकाओं के प्रकाशकों के द्वारा पूरा किया जाना असंभव है । इससे साफ जाहिर हो रहा है कि केंद्र सरकार ने सिर्फ बड़े अखबारों के लिए यह कार्य योजना बनाई है।
प्रेस सेवा पोर्टल शुरू किए जाने से पूर्व सभी समाचार पत्रों के संगठनों से विचार विमर्श किया जाना चाहिए था । इस वर्ष वार्षिक विवरणी ऑनलाइन दाखिल करने के लिए पहले पंजीकरण करना होगा । फिर मालिक, प्रकाशक, मुद्रक, प्रिंटिंग प्रेस, चार्टर्ड एकाउंटेंट की प्रोफाइल बनाकर अपलोड करनी पड़ेगी । प्रोफाइल के बिना वार्षिक विवरण को दाखिल नहीं कर पाएंगे। साथ ही प्रिंटिंग प्रेस को जीएसटी में पंजीकृत होना चाहिए अन्यथा प्रकाशक वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे । ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने छोटी व मझोले वर्ग की प्रिंट मीडिया को समाप्त करने की योजना को मूर्त रूप देने के लिए प्रेस सेवा पोर्टल की योजना को लागू किया है ।
हम आव्हान करते कि इस प्रेस सेवा पोर्टल का सभी प्रकाशकों को बहिष्कार करना चाहिए । जब तक प्रेस सेवा पोर्टल में वार्षिक विवरण को दाखिल करने में सरलीकरण न कर दिया जाए तब तक किसी हालत में वार्षिक विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाएं । जो प्रपत्र आर एन आई के पास पहले से जमा हैं या आर एन आई द्वारा जारी किए गए हैं उन्हें स्वयं द्वारा सुरक्षित न रख कर फिर से मांग कर प्रकाशकों को परेशान किया जा रहा है। वर्तमान परिदृश्य में सभी प्रकाशकों को एकता के साथ इस सरकारी कुचक्र का कड़ा विरोध करने की जरूरत है अन्यथा छोटे व मझौले अखबारों को सरकार बंद करने की योजना में सफल हो जायेगी । यह प्रेस की आजादी पर अदृश्य हमला है।
इसमें कतई दो राय नहीं कि छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों का गला कसने का काम बिगत 10 वर्षों से निरन्तर किया गया है और अभी भी जारी है।

Loading...
loading...

Related Articles

Back to top button