भोजपुरी फिल्मों के नायक निर्माता और खलनायक दुबे परिवार से क्यों डरता है योगी सरकार का सूचना विभाग
भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक और प्रोड्यूसर शशि नाथ दुबे के नाम से एवं उनकी पत्नी और बेटे के नाम से अनेक समाचार पत्र दिखते हैं। इन समाचार पत्रों का मुख्य उद्देश्य केवल विभिन्न विभागों से विज्ञापन प्राप्त करना और फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर मान्यता प्राप्त कर शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों के समीप चापलूसी करते रहना ही है ।
एस. पंडित
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा पत्रकारों को राज्य मुख्यालय मान्यता का दर्जा दिए जाने हेतु नियमावली और मार्गदर्शिका बनाई गई है परंतु उन मार्गदर्शिका और नियमों को दरकिनार करते हुए भोजपुरी फिल्मों के नायक और प्रोड्यूसर को मान्यता प्राप्त पत्रकार बना कर शासन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के सम्मुख उपस्थित होने का जो गेट पास दिया है उसके चलते इस नायक और खलनायक की जोड़ी ने भोजपुरी फिल्में बनाने का न सिर्फ बड़ा व्यवसाय खड़ा किया है बल्कि पूरे परिवार के नाम से लगभग एक दर्जन के करीब समाचार पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर दिखाकर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से लाखों रुपए का विज्ञापन प्राप्त किया है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार का प्रमुख कारण ऐसे ही समाचार पत्र हैं जिनके द्वारा फर्जी प्रसार संख्या दिखाकर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से लाखो रुपए का विज्ञापन तो प्राप्त किया परंतु सरकारी योजनाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने का कोई कार्य नहीं किया गया परंतु योगी सरकार के अत्यंत करीबी शुभचिंतक निदेशक महोदय के कार्यालय में आए दिन इस तरह के चापलूस घेराबंदी किये रहते हैं जिन पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है।
भारत सरकार के समाचार पत्र के पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक और प्रोड्यूसर शशि नाथ दुबे के नाम से एवं उनकी पत्नी और बेटे के नाम से अनेक समाचार पत्र दिखते हैं। इन समाचार पत्रों का मुख्य उद्देश्य केवल विभिन्न विभागों से विज्ञापन प्राप्त करना और फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर मान्यता प्राप्त कर शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों के समीप चापलूसी करते रहना ही है ।
शशी नाथ दुबे के विरुद्ध थाना इन्दिरा नगर द्वारा आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया है और माननीय उच्च न्यायालय के सम्मुख योजित याचिका में शशि नाथ दुबे द्वारा स्वयं को परवाज़ फिल्म का प्रोड्यूसर बताया गया है। मा. उच्च न्यायालय के आदेश के अवलोकन से प्रमाणित है कि शशि नाथ दुबे परवाज फिल्म के प्रोड्यूसर है और भेाजपुरी फिल्मों के नाम पर सरकार से धनराशि ली जाती है एवं अपने परिवार के समाचार पत्र को विज्ञापन दिलाने का कार्य किया जाता है।
भोजपुरी फिल्म में व्यापक स्तर पर शासन प्रशासन से वित्तीय अनुदान लेकर जिस तरीके का फर्जीवाड़ा किया जा रहा है उसके चलते शशिकांत दुबे पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ परंतु उच्च न्यायालय द्वारा फौरी तौर पर राहत मिली है लेकिन सरकारी विभागों में टैक्स की जो हेरा फेरी की गई है उससे राहत मिल पाना आसान नहीं लगता।
उच्च पदस्थ सूत्रों से ज्ञात है कि शशि नाथ दुबे की पत्नी के स्वामित्व के समाचार पत्र डेट लाइन के साप्ताहिक और दैनिक संस्करण में कोई भी विज्ञापन नहीं छूटता। राज्य मुख्यालय मान्यता पत्रकार का कार्ड मिल जाने के कारण लोकभवन में सूचना निदेशक और प्रमुख सचिव सूचना से विज्ञापन लेने का निरंतर कार्य किया जाता है जो मान्यता प्राप्त पत्रकारों की नियमावली के विरुद्ध है। परंतु जेबे गरम से अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी देखी जा रही है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता कयोंकि शशि नाथ दुबे के समाचार पत्रों के संबंध में मांगी गई जानकारी के जवाब में सिर्फ टेंडर विज्ञापन की धनराशि के बारे में सूचना अवगत कराते हुए पर डिस्प्ले विज्ञापन के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई जो प्रमाणित करता है कि खेल तो लंबा है ही लेकिन इसके तार कुछ अधिकारियों के घर तक जुड़े हुए हैं।