जालसाजी, फर्जीवाड़े की बुनियाद पर टिका है नटवरलाल व हॉकर से पत्रकार बने राजेन्द्र गौतम के जुड़वा समाचार पत्र का लाखों का कारोबार

योगी सरकार की शान में सूचना विभाग के अधिकारियों के सामने शायरी की महफिल सजाने वालों की पत्रिकाओं को लाखों का विज्ञापन मात्र वाह वाही करने पर ही मिल गया ऐसे में जुड़वा समाचार पत्र द्वारा जो खेल रचा गया उसने अब तक के भ्रष्टाचार और घोटालों के तमाम रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।

विज्ञापन एवं भुगतान संबंधित पत्रावली सूचना विभाग से हुई गायब, साजिश या बचाने की कोशिश ?

 

विवादित जमीन पर दिखावे के लिए लगा प्रिंटिंग प्रेस

एस. पण्डित

उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जन जनसंपर्क विभाग में समाचार पत्रों का भी अजीबो-गरीब खेल है, लाखों करोड़ों के विज्ञापन ऐसे समाचार पत्र पत्रिकाओं को दिए जाते हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर समाचार पत्रों द्वारा लाखों का विज्ञापन लिया जाना कोई नई बात नहीं है लेकिन मासिक पत्रिका जो सूचना विभाग में नियमित भी नहीं है उनको लाखों का विज्ञापन सिर्फ इसलिए दे दिया गया कि उनके प्रतिनिधियों द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा सरकार को 80 में 80 सीट दिए जाने का फर्जी आंकड़ों का प्रचार प्रसार जमकर किया गया।

दिव्य संदेश और तिजारत के अखबार के अघोषित मालिक नटवरलाल…

योगी सरकार की शान में सूचना विभाग के अधिकारियों के सामने शायरी की महफिल सजाने वालों की पत्रिकाओं को लाखों का विज्ञापन मात्र वाह वाही करने पर ही मिल गया ऐसे में जुड़वा समाचार पत्र द्वारा जो खेल रचा गया उसने अब तक के भ्रष्टाचार और घोटालों के तमाम रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है।

तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश नाम के जुड़वा समाचार पत्र की दास्तान जब लिखी जाएगी तो जालसाजी और फर्जीवाड़े के अनेक काले कारनामे सामने आएंगे। राजेंद्र गौतम हॉकर से पत्रकार तो बन गए लेकिन मात्र 4 सालों में कई करोड़ों रुपए की संपत्ति उनके परिवार के नाम कहां से आ गई इस बात का न तो कोई प्रमाण दिखता है और न ही कोई ऐसा पुश्तैनी खजाने का सूत्र जिससे गोमती नगर में करोड़ों का मकान, डालीबाग में करोड़ों का कार्यालय और समाचार पत्र के प्रकाशन हेतु इंदिरा नगर में करोड़ों का मकान और जुड़वा समाचार पत्र की छपाई हेतु जिस विवादित जमीन पर मशीन दिखाई गई है उस जमीन की कीमत भी करोड़ों में है।

FIR की कापी…………..

राजेंद्र गौतम द्वारा अपने जुड़वा समाचार पत्र तिजारत और निष्पक्ष दिव्य संदेश की छपाई हेतु जिस भूखंड पर मशीन लगाई गई है उस विवादित भूमि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने पर अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं और तो और मशीन भी सिर्फ दिखाने के लिए लगाई गई है वहां पहुंचकर आस पड़ोस के लोगों से बातचीत करने पर पता चलता है की मशीन न तो चलती है और ना ही यहां पर कोई छपाई का काम किया जाता है फिर इन जुड़वा समाचार पत्रों की प्रसार संख्या लगभग 70000 फर्जी दिखाकर लाखों करोड़ों का विज्ञापन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से लिया जाता है।

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इन समाचार पत्रों की छपाई कहां होती है इस बात का खुलासा आगामी अंकों में किया जाएगा लेकिन महत्वपूर्ण एवं विचारणीय प्रश्न यह है कि जुड़वा समाचार पत्रों के संपादक और समाचार संपादक दोनों एक ही हैं और लखनऊ शहर से दोनों समाचार पत्र एक ही समय पर प्रकाशित किए जाते हैं ऐसे में किन प्रावधान और नियमों के तहत इन समाचार पत्रों को लाखों करोड़ों का विज्ञापन दिया गया यह भी जांच का विषय है।

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भड़ास द्वारा राजेन्द्र गौतम और उनके सहयोगिगो के संबंध में लगातार खुलासा किए जाने पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से जानकारी प्राप्त करने पर जुड़वा समाचार पत्रों के फर्जीवाड़े और जालसाजी के संबंध में अनेक खुलासे हुए हैं। हॉकर से पत्रकार बने राजेन्द्र गौतम के इन जुड़वा समाचार पत्रों के संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायत प्रेषित की गई लेकिन कार्यवाही क्या हुई और किसके द्वारा शिकायती पत्र को दबा दिया गया यह गंभीर जांच का विषय है।

फिलहाल मुख्यमंत्री कार्यालय को जो शिकायती पत्र प्रेषित किया गया है उसके संबंध में भड़ास को जानकारी प्राप्त हुई है वो सभी पाठकों के लिए निम्नवत प्रेषित है जिसके अवलोकन मात्र से ही ज्ञात होता है कि चुनाव से पूर्व जुड़वा समाचार पत्रों को 36 लख रुपए का विज्ञापन दिया गया जो अत्यंत गंभीर, विचारनीयऔर जांच का विषय है, आखिर इन जुड़वा समाचार पत्रों में ऐसा क्या खास है कि सूचना विभाग द्वारा विज्ञापन एजेंसी विज्ञापन जारी कराया जाता है तो विज्ञापन एजेंसी जुड़वा समाचार पत्रों के नाम तीन-तीन प्रष्ठों के अनेक आदेश जारी करके लाखों का विज्ञापन दे दिया जाता है जबकि इन जुड़वा समाचार पत्रों की कोई भी प्रकाशन किसी भी बुक स्टॉल या कहीं पर भी दिखाई नही देता।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों में राजेन्द्र गौतम के परिवार द्वारा संचालित जुड़वा समाचार पत्रों का इतना डर और खौफ है कि इससे संबंधित कई पत्रावलियों को गायब बताया जा रहा है जिसका संज्ञान लेकर भड़ास द्वारा फर्जीवाड़े और जालसाजी पर उचित कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए सूचना निदेशक को अवगत कराया गया है।

फर्जी मान्यता प्राप्त पत्रकार बने लोकसभा चुनाव में भाजपा के पतन का मुख्य कारण

भड़ास द्वारा बहुत जल्द फर्जी प्रिंटिंग मशीन, विवादित भूमि के साथ जीएसटी चोरी के जुड़वा समाचार पत्र के संबंध में बड़ा खुलासा किया जाएगा।

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