भोजपुरी फिल्मों के निर्माता निर्देशक और आपराधिक मामलों में नामित शशि नाथ दुबे का सूचना निदेशक को खुला चैलेंज !
मान्यता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी को गालियां देने वाला भोजपुरी फिल्मों के नाम पर अनाप-शनाप पैसा कमा लिया है जिसके चलते आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है सूचना निदेशक कि, ये खुलेआम इस बात को कहते नजर आता हैं कि चाहे कुछ भी लिख लो चाहे जितना भी प्रमाण सूचना निदेशक के सम्मुख उपलब्ध करा दो मेरे या मेरे परिवार की मान्यता समाप्त करने का उनमें साहस नहीं है।
उत्तर प्रदेश में ठेकेदारों, फिल्म अभिनेता, चाय वाले, अंडे वालों को लोकभवन और मुख्यमंत्री के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले सचिवालय भवन में प्रवेश करने हेतु सबसे सुगम और आसान तरीका है राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार का कार्ड हासिल करना।
जुगाड़ तंत्र हो या अधिकारी कर्मचारियों की जेब गर्म करके यह कार्ड बड़ी आसानी से हासिल किया जा सकता है और इस कार्ड को मिल जाने के उपरांत यही तथाकथित जो स्वयं को पत्रकार और पत्रकारिता के संबंध में बकलोली करते नजर आते हैं वह सूचना निदेशक को भी लोक भवन के प्रांगण में ऊलजलूल एवं ऊंट पटांग व्याख्यान करते नजर आ जाते हैं लेकिन इनकी ताकत इतनी बढ़ती जा रही है कि यह उच्च अधिकारियों और साथी पत्रकारों पर भी टीका टिप्पणी करने से बाज नहीं आते हैं।
मान्यता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी को गालियां देने वाला भोजपुरी फिल्मों के नाम पर अनाप-शनाप पैसा कमा लिया है जिसके चलते आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है सूचना निदेशक कि, ये खुलेआम इस बात को कहते नजर आता हैं कि चाहे कुछ भी लिख लो चाहे जितना भी प्रमाण सूचना निदेशक के सम्मुख उपलब्ध करा दो मेरे या मेरे परिवार की मान्यता समाप्त करने का उनमें साहस नहीं है।
भोजपुरी फिल्मों के नायक निर्माता और खलनायक दुबे परिवार से क्यों डरता है योगी सरकार का सूचना विभाग
बकलोल में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन प्रमाण सहित जिन खबरों को प्रकाशित किया गया है उसके अवलोकन से मान्यता दिए जाने का कोई प्रावधान समझ नहीं आता लेकिन सूचना निदेशक पर कौन सा दबाव उनके परिवार द्वारा बनाया गया है कि न सिर्फ मान्यता बल्कि लाखों रुपए का विज्ञापन इनके समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं को दिया जाता है।
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