यूपी में 50 छात्र वाले प्राइमरी स्कूल बंद नहीं होंगे…जो हो गए वो कैंसिल होंगे, किसी टीचर की नहीं जाएगी नौकरी
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा, एक किलोमीटर से अधिक की दूरी पर स्थित किसी स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर को लेकर सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है. बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा है कि प्रदेश में एक किलोमीटर से अधिक की दूरी होने पर किसी भी प्राथमिक विद्यालय का मर्जर नहीं किया जाएगा. यही नहीं अगर किसी स्कूल में 50 से अधिक छात्र हैं, तो उसे भी मर्ज नहीं किया जाएगा.
बेसिक शिक्षा मंत्री ने लखनऊ के लोग भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश में अति न्यून संख्या वाले विद्यालयों की निकटस्थ विद्यालयों के साथ ही पेयरिंग की जा रही है. एक सप्ताह में मर्जर का काम पूरा कर लिया जाएगा.
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि जो विद्यालय मर्ज हो चुके हैं उनको अनपेयर किया जाएगा. साथ ही मर्जर में स्कूलों की जो बिल्डिंग खाली हो रही हैं, उनमें बाल कल्याण विभाग के सहयोग से बाल वाटिका शुरू की जाएगी. जिसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चे पढ़ेंगे. प्रदेश में कोई भी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा, ना ही किसी टीचर का पद समाप्त किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 16 जून 2025 को प्राइमरी स्कूलों के मर्जर का जो फैसला किया था. उसके तहत अब तक 10827 स्कूलों का मर्जर हुआ है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समिति 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने मर्जर के आदेश को सही बताया था. इसके बाद सीतापुर के ही कुछ अन्य बच्चों ने डबल बेंच में याचिका लगाई थी. जिसके बाद कोर्ट ने सीतापुर के 210 में से 14 विद्यालयों के मर्जर पर रोक लगा दी थी.
मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हमारी सरकार शिक्षक भर्ती के खिलाफ नहीं है. बेसिक शिक्षा की नियमावली के अनुसार एक विद्यालय में छात्र शिक्षक अनुपात के अनुसार 50 छात्रों वाले स्कूल में दो सहायक टीचर और एक सब्जेक्ट टीचर को नियुक्त किया जाएगा. इस मानक को पूरा करने के लिए आवश्यक हुआ तो खाली पदों की भर्ती प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही शिक्षकों एवं रसोईयों के पद कम अथवा समाप्त नहीं किए जा रहे हैं. पेयरिंग का उद्देश्य यह भी है कि 50 तक के छात्र नामांकन वाले विद्यालयों में 3 शिक्षक (शिक्षामित्र सहित) की तैनाती सुनिश्चित कराई जा रही है. मर्जर से खाली हुए स्कूलों में महिला एवं बाल विभाग के सहयोग से बाल वाटिका चलाई जाएगी. बाल वाटिका में कक्षा 3 से 6 साल के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है.
बाल वाटिका के लिए करीब 18000 एजुकेटर की भर्ती जेम्स पोर्टल के माध्यम से की जाएगी. स्कूलों का मर्जर छात्र हित में किया गया है, ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा और संसाधन मिल सके. कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा और शिक्षक के एक भी पद को समाप्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रदेश में बिना मान्यता के संचालित स्कूलों को जिलेवार अभियान चलाकर बंद कराया जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी लगातार विद्यालयों के मर्जर का विरोध कर रही है. उनकी सरकार में शिक्षण व्यवस्था स्ट्रेचर पर आ गई थी. स्कूलों में शिक्षक नहीं थे, भवन भी जर्जर थे.
मंत्री ने कहा कि 2017 के बाद स्कूलों के हालात सुधारने के प्रयास किए गए. जिसके परिणामस्वरूप आज प्रदेश के 96 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के लिए पीने का पानी, शौचालय और सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. उत्तर प्रदेश कोई पहला राज्य नहीं है, जहां पर स्कूलों की पेयरिंग (विलय) की जा रही है.
इसके पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा जैसे राज्यों में यह प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है. संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल और बच्चों के भविष्य को और बेहतर कैसे बना सकते हैं इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है. राजस्थान में 2014 में इस प्रक्रिया के तहत 20 हजार स्कूलों का विलय किया गया.
मध्य प्रदेश में 2018 में पहले चरण में 36 हजार विद्यालयों को और लगभग 16 हजार समेकित परिसरों को निर्मित किया गया. उड़ीसा में 2018-19 में 1800 विद्यालयों को पेयर किया जा चुका है. हिमाचल प्रदेश में भी 2022 व 2024 में चरणबद्ध तरीके से पेयरिंग की प्रक्रिया को पूर्ण किया गया है.
