विवादों के यशस्वी को लखनऊ की कमान

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लखनऊ. राजधानी में बढ़ रहे अपराध और लखनऊ महोत्सव में हुए विवाद की गाज एसएसपी प्रवीण कुमार पर गिरी है। उनकी जगह विवादों से चोली दामन की तरह लिपटे रहने वाले महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी यशस्‍वी यादव को लखनऊ का नया एसएसपी बनाया गया है। वे सूबे के मुखिया अखिलेश यादव के खास हैं। उनकी सरकार बनते ही यूपी में प्रतिनियुक्ति पर आए थे। ये साल 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
बताते चलें, सपा सरकार से यशस्वी यादव के परिवार का यारां एक पीढ़ी पुराना है। सूत्रों की मानें तो, राजधानी में बढ़ रहे अपराधों पर नियंत्रण में नाकाम रहने और बीते दिनों लखनऊ महोत्सव में गायक अरिजीत सिंह के कार्यक्रम में हुए लाठीचार्ज से सरकार की किरकिरी हुई है। इसी वजह से प्रवीण कुमार को एसएसपी के पद से हटाते हुए पुलिस मुख्यालय अटैच किया गया है और प्रतीक्षित यशस्वी यादव को मौका दिया गया है।

कौन है यशस्वी यादव

यशस्वी यादव मुख्यतया फतेहपुर के रहने वाले हैं। वह साल 2000 में महराष्ट्र कैडर से भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए थे। साल 2012 में जब यूपी में सपा की सरकार आई थी तो अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें प्रतिनियुक्त पर यूपी में बुला लिया और कानपुर का एसएसपी बनाया गया।

विवादों से रहा है गहरा नाता

कानपुर के एसएसपी बनते ही सपा विधायक इरफान सोलंकी के साथ कानपूर हैलट अस्पताल के डॉक्टरों से हुए विवाद के बाद इन पर सपा समर्थकों की तरह काम करने के आरोप लगे थे। इसके बाद वहां के डॉक्टरों ने एसएसपी यशस्वी यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर डॉक्टरों ने सूबे में जगह-जगह हड़ताल की थी। इस पूरे प्रकरण में पूरे राज्‍य में इलाज के अभाव में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

हटाने के लिए कोर्ट को देना पड़ा था दखल

इस मामले में सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने और इलाज के आभाव में दम तोड़ते मरीजों को देखते हुए आखिरकार हाईकोर्ट ने पूरे मामले स्वत: संज्ञान लि‍या और राज्य सरकार को फटकारते हुए न्यायिक जांच के आदेश दिए। इसके अलावा मानवीय आधार पर डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील की और कानपुर रेंज के आईजी, डीआईजी और एसएसपी को हटाने का आदेश दिया तब जाकर उन पर कार्रवाई हुई। इस पूरे प्रकरण ने सीएम अखिलेश यादव और उनके बीच की दोस्ती पर मुहर लगा दी थी।

दो बार बर्खास्तगी की हो चुकी है सिफारिश
हालिया विवाद के पहले भी यशस्वी महाराष्ट्र के अपने मूल कैडर में भी बहुत विवादित रहे हैं। साल 2005 में तो वह नागपुर में तैनाती के दौरान बर्खास्त होते-होते बचे थे। इसमें यशस्वी यादव का कहना था कि सभी जांचों में वह निर्दोष साबित हुए और अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने पर ही उन्हें यूपी में प्रतिनियुक्ति मिली।

जब महिला प्रशिक्षुओं से रेप का लगा था आरोप

साल 2000 बैच के आईपीएस यशस्वी राजनीतिक पहुंच के बल पर यूपी में प्रतिनियुक्ति पा गए। महाराष्ट्र में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नजदीकियों के चलते उनकी ठसक कम नहीं थी। कोल्हापुर पुलिस प्रशिक्षण कैंप में हुए एक सेक्स स्कैंडल के आरोपों से भी वह घिरे थे। उन पर और उनके अधीनस्थ अधिकारियों पर कुछ महिला प्रशिक्षुओं से रेप करने का आरोप लगा। क्षेत्रीय पुलिस प्रशिक्षण स्कूल, कोल्हापुर में हुई मेडिकल जांच में एक अविवाहित प्रशिक्षु गर्भवती पाई गई थी। जांच के बाद यादव समेत कई अफसर निलंबित किए गए। इसके अलावा नागपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने तो उनके खराब आचरण की 17 रिपोर्ट विभाग को सौंपते हुए उनकी फौरन बर्खास्तगी की सिफारिश भी की थी।

एक पीढ़ी पुराना है संबंध

सूत्रों की मानें तो, यशस्वी यादव अखिलेश के चहेते अफसरों में गिने जाते हैं। सपा के साथ इस अफसर का जुड़ाव एक पीढ़ी पार कर चुका है। इससे पहले इनके  पिता धरम सिंह यादव भी मुलायम सिंह के खासम-खास अफसर माने जाते थे। मुलायम ने अपनी दोस्ती निभाते हुए रिटायरमेंट के बाद धरम सिंह को ‘लेबर ट्रिब्यूनल’ का प्रशासक बना दिया था। वे 1980 में केडीए के सचिव रह चुके हैं।

कंप्यूटर के है मास्टर

वन मैन आर्मी की तरह काम करने वाले यशस्वी यादव सिर्फ अपने मनमाने रवैये के लिए ही नहीं बल्कि कुछ काबलियत के लिए भी जाने जाते हैं। उनके कई साथी उनके कंप्यूटर दक्षता और साहसी होने जैसे गुणों की चर्चा करते नहीं थकते। हालांकि, वे यह कहना भी नहीं भूलते कि मनमाने तौर-तरीकों के कारण वह इन्हें व्यापक फलक नहीं दे सके।

क्या कहते हैं लक्ष्मीकांत वाजपेयी

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कानपुर मेडिकल कॉलेज में डाक्टरों की पिटाई के मामले और बीजेपी समर्थकों की पिटाई करने के कारण कहा था कि उन्हें कानपुर के कप्तान की वर्दी छोड़ कर अब सपा की टोपी पहन लेनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि यशस्वी को नागिन कि तरह आंखों में उतार लिया है। इससे उनकी काफी आलोचनाएं भी हुई थीं।

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