10 वजहें जिनकी वजह से मैं NDTV पर बैन को गलत नहीं मानता..
1- NDTV ने वास्तव में आतंकी हमले के दौरान रिपोर्टिंग के लिए जारी गाइडलाइंस का उद्घाटन किया है..मैं नीचे लिंक दे रहा हूं आप भी पढ़ सकते हैं..इस मामले में NDTV की सफाई पढ़ लीजिए..स्पष्टीकरण में कहीं नहीं लिखा है कि हमने गाइडलाइंस का उल्लंघन किया है..वो ये कह रहे हैं कि हमने वही किया जो बाकी चैनलों ने किया..तो फिर दूसरे चैनलों के वो तथ्य सामने लाइये..या कोर्ट में चैलेंज करिए..याद रखिए इमरजेंसी, अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने जैसी लफ्फाजी और जुमलेबाजी वही करते हैं जिनके तथ्य कमज़ोर हैं और जो कोर्ट में नहीं टिक सकते..
http://www.opindia.com/…/exclusive-the-exact-reason-why-ib…/
2 – ये घटना तो तात्कालिक कारण है..आप परिस्थितिजन्य सबूत देख लीजिए..NDTV ने शायद ही कभी खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ रिपोर्टिंग की हो..तब भी नहीं जब उरी में 18 सैनिक शहीद हुए थे..कानून की भाषा में एक शब्द होता है “corroborative evidence”..यानि वो सबूत का वो सिलसिला जो ये साबित करता है कि अपराध में इनकी भूमिका थी..आप NDTV की हिस्ट्री देख लीजिए..कई बार ऐसी रिपोर्टिंग हुई है जो वास्तव में राष्ट्रीय हितों के खिलाफ थी..
3- करगिल युद्ध के वक्त बरखा दत्त मैदान-ए-जंग से लाइव रिपोर्टिंग कर रही थी..बंकर पर कैमरे की फ्लैश लाइट जला दी..पाकिस्तानी सेना को पता चला और बाद में वहां गोले बरसा दिए..कुछ सैनिक मारे गए..26/11 मुंबई हमले के दौरान भी बरखा दत्त ने होटल ताज में फंसे बंधकों की लोकेशन बताई..कुछ बंधक मारे गए..बाद में बरखा ने भी माना था कि रिपोर्टिंग में कुछ गलती थी..सुप्रीम कोर्ट ने भी 26/11 की मीडिया कवरेज पर खासी फटकार लगाई थी..
4 – NDTV आज अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात कर रहा है..26/11 की कवरेज को लेकर एक ब्लॉगर चैतन्य कुंते ने जब सवाल उठाए तो NDTV ने लीगल नोटिस देकर उसे धमकाया..चैतन्य को ब्लॉग बंद करना पड़ा..नीचे लिंक दे रहा हूं
जिसमें सुप्रीम कोर्ट की फटकार और चैतन्य कुंते दोनों की खबर है..
http://centreright.in/…/chaitanya-kunte-vindicated-but-ha…/…
https://wikileaks.org/…/NDTV_censored_blogger_over_criticis…
5 – NDTV की कश्मीर की रिपोर्टिंग देख लीजिए..जिस भड़काऊ रिपोर्टिंग की वजहों से कश्मीर घाटी के उर्दू अखबार बंद किए गए थे..वही रिपोर्टिंग NDTV खासकर NDTV 24×7 कर रहा था
6 – तिल का ताड़ बनाने में माहिर है..इमरजेंसी ना तब थी जब स्क्रीन काली हुई थी..ना अब आपातकाल है जब एक दिन का बैन लगा है..इसे इमरजेंसी वहीं बता रहा है जो या तो आपातकाल के बारे में नहीं जानता है या जिनके अपने Vested Intrest है
7 – चर्च पर चिरकुट चोरों के हमलों को ईसाई समुदाय पर हमला, अखलाक की हत्या को मुस्लिमों पर हमला और उना में दलित की पिटाई को समूचे दलित समाज पर अत्याचार बताने का काम तो शुरुआती दौर में कई चैनलों ने किया,लेकिन सच्चाई सामने आई तो दूसरे चैनलों ने खबर ड्रॉप कर दी,लेकिन NDTV इसे एजेंडे के तौर पर चलाता रहा..
8- निष्क्रिय नियामक संस्थाएं – टीवी चैनल जितनी गलतियां करते हैं उस पर अगर स्वयं संज्ञान लेते हुए नियामक संस्थाएं (BEA, Editors Guild, NBSA) काम करती तो ये नौबत ना आती..हकीकत यही है कि मीडिया उच्छंखृल हो गया है..गलतियां करना और फिर माफी ना मांगना स्वभाव हो गया है..
9 – संविधान में जिस तरह आम लोगों को 19(1) के तहत बोलने की आज़ादी है..वही मीडिया को भी है..अगर आम लोग गलती करते हैं और उन पर कार्रवाई होती है तो मीडिया पर क्यों नहीं..मीडिया को अलग से कोई कवच नहीं मिला है..
10 – स्वयंभू चौथा स्तंभ होने का दावा करने से कुछ नहीं होता..मीडिया को लोकतंत्र के चौथे खंबे के रूप में संविधान में कहीं नहीं कहा गया है..आखिर मीडिया को सबक सिखाना ज़रूरी था और NDTV ने पठानकोट आतंकी हमले मामले में मौका मुहैया करा दिया
नोट – मुझे नहीं लगता कि मोदी विरोध और कांग्रेस, आप और वामपंथियों के एजेंडे को आगे बढ़ाने की वजह से NDTV पर कार्रवाई हुई होगी..सभी चैनल More or Less किसी ना किसी का एजेंडा बढ़ाते हैं..कुछ खुलेआम…और जहां तक NDTV पर कार्रवाई की बात है..सूत्रों की माने तो हवाला मामले में NDTV गले तक इतना डूबा है कि PMO जब चाहे बड़ी कार्रवाई कर सकता है क्योंकि ठोस सबूतों वाली फाइल PMO में पड़ी है..