2024 ने दिखाया क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट का अभूतपूर्व उभार: ब्रजेश मिश्रा
2024 भारतीय मीडिया के लिए डिजिटल युग का एक और मील का पत्थर रहा। स्मार्टफोन और इंटरनेट की आसान पहुंच ने दर्शकों और पाठकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर खींचा।
“सत्यं ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यं अप्रियम।” मीडिया का यही आदर्श वाक्य होना चाहिए, लेकिन 2024 ने इस आदर्श को कई बार कठिन चुनौती के रूप में देखा। डिजिटल युग में सत्य और प्रियता का संगम बनाना जितना जरूरी है, उतना ही कठिन भी। 2024 में मीडिया ने जहां तकनीक के नए आसमान छुए, वहीं कई बार फेक न्यूज़ और गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता की दलदल में भी फंस गया।
2024: मीडिया का डिजिटल सफर
2024 भारतीय मीडिया के लिए डिजिटल युग का एक और मील का पत्थर रहा। स्मार्टफोन और इंटरनेट की आसान पहुंच ने दर्शकों और पाठकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर खींचा। लेकिन सवाल यह है कि इस तेज रफ्तार मीडिया हाईवे पर सत्य कहां खड़ा है? सोशल मीडिया ने हर किसी को “रिपोर्टर” बना दिया। हर व्यक्ति अब एक “स्टोरी” का सूत्रधार है, लेकिन यह सूत्रधार कई बार सत्य से कोसों दूर रहता है। फेक न्यूज ने 2024 में सूचना को दुष्प्रचार का शिकार बनाया।
इसी बीच, कुछ मीडिया संस्थानों ने उम्मीद की किरण भी दिखाई। “सत्य हमेशा प्रासंगिक रहेगा” – यह सोचकर कई मीडिया हाउस ने फैक्ट-चेकिंग को प्राथमिकता दी। ऐसे प्रयास इस बात का संकेत हैं कि मीडिया अभी भी अपनी जिम्मेदारी को समझता है।
2025: भविष्य के आयाम
“जो सत्य है वही सुंदर है, और वही टिकेगा।”
2025 का मीडिया इस दर्शन पर चले, तो वह न केवल नई ऊंचाइयों को छुएगा, बल्कि समाज के प्रति अपनी भूमिका को भी सार्थक करेगा।
1. तकनीक और जिम्मेदारी का मेल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसे उपकरण मीडिया के हर क्षेत्र को नया आकार देंगे। लेकिन तकनीक के साथ नैतिकता और विश्वसनीयता का संतुलन जरूरी होगा।
2.लोकल का ग्लोबल कनेक्शन: 2024 ने दिखाया कि क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट का उभार अभूतपूर्व है। 2025 में यह उभार और बढ़ेगा। “लोकल इज ग्लोबल” की धारणा मीडिया को नए दर्शकों से जोड़ेगी।
3. पॉडकास्ट और वॉइस कंटेंट: 2025 का मीडिया शायद “कानों का खेल” बन जाए। लोग अब लंबी खबरों के बजाय पॉडकास्ट और वॉइस-नरेटिव्स सुनना पसंद कर रहे हैं।
आखिरी बात: भरोसे की नई इबारत
“पत्रकारिता केवल सूचनाओं का संग्रहण नहीं, बल्कि समाज का दर्पण है।”
2025 में मीडिया को यह दर्पण और स्पष्ट बनाना होगा। सत्य, प्रामाणिकता और समाज की आवाज़ को प्राथमिकता देकर भारतीय मीडिया न केवल खुद को पुनर्परिभाषित करेगा, बल्कि दुनिया में एक नई पहचान भी बनाएगा।
तो आइए, 2025 का स्वागत करें और इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ें कि यह नया साल मीडिया को “माध्यम” से “मार्गदर्शक” बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।