सहारा वाराणसी के खिलाफ पीएफ का मामला भी उठा, जाँच के आदेश
मजीठिया वेज बोर्ड की माँग को लेकर जनवरी 2015 से सक्रिय राष्ट्रीय सहारा वाराणसी में कार्यरत चीफ़ रिपोर्टर सुभाष पाठक ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने के साथ ही अब स्थानीय श्रम कार्यालय में भी लिखित शिकायत की है। पाठक ने ऐसा मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के दौरान 28 अप्रैल 2015 को जारी आदेश के मद्देनजर किया है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत राय सहारा जयब्रत राय एवं सुशांतो राय को पार्टी बनाया है । इसके अलावा पाठक ने प्रोविडेंड फंड मामले में सहारा इंडिया मास कम्युनिकेशन सहारा इंडिया मीडिया के विरुद्ध अपर आयुक्त भविष्यनिधि, वाराणसी को लिखित आवेदन दिया है। पाठक का कहना है कि बार-बार मांगे जाने के बाद भी संस्थान उन्हें पी एफ का विवरण नहीं दे रहा है। जबकि केंद्र सरकार ने काफी समय पूर्व ही सभी नियोक्ताओं को कर्मचारियों का पी एफ विवरण ऑन लाइन करने के निर्देश दिये हैं । पाठक के आवेदन पर अपर आयुक्त भविष्यनिधिए वाराणसी ने जाँच के आदेश दे दिये हैं। वर्ष 1993 से सहारा इंडिया परिवार राष्ट्रीय सहारा से जुड़े सुभाष पाठक तेज तर्रार व ईमानदार पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं । राष्ट्रीय सहारा में बरेली ब्यूरो से पारी शुरू करने वाले पाठक 1997 से आजमगढ़ ब्यूरो चीफ़ रहे। इसके बाद लखनऊ यूनिट में रिपोर्टिंग और ब्यूरो को आर्डिनेशनए कानपुर यूनिट में रिपोर्टिंग और ब्यूरो को.आर्डिनेशन तथा वाराणसी यूनिट में ब्यूरो को.आर्डिनेटर एवं डेस्क को.आर्डिनेटरध्प्रभारी एसएनबी ;सहारा न्यूज़ ब्यूरोद्ध के पद पर अपनी सेवाएं देते रहे हैं। अपने कर्तव्य निर्वहन के दौरान पाठक ने ब्यूरो में डग्गामारी और आर्थिक अनियमितताओं के कई मामले उजागर किए थे, जिसके चलते वह संस्थान में सदैव एक गुट विशेष के निशाने पर रहे । उन्होंने सहारा में की जा रहीं डग्गामारी और आर्थिक अनियमितता की रिपोर्ट्स यूनिट अधिकारियों के अलावा उच्च अधिकारियों को भी ऑन रिकार्ड दीं लेकिन मामले दबाये जाते रहे। उल्टे पाठक को ही परेशान किया जाने लगा। सहारा के कुछ अधिकारी जो जिलों में तथा यूनिटस में कार्यरत गुर्गों को प्रश्रय देते थे और उनके माध्यम से अपने हित साधते थे, वे पाठक को अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर रखते थे। सहारा में लंबे संघर्ष के बाद पाठक का मोह भंग होने लगा। इस बीच अस्वस्थता के कारण पहली जनवरी 2014 से वह अवकाश पर चले गये । लीव पर रहने के दौरान ही उनका वाराणसी से पटना ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि उन्होंने अपनी बीमारी का हवाला देते हुये पटना जाने से मना कर दिया । वह अभी भी लीव पर हैं और उन्होंने मजीठिया वेज प्राप्त करने के लिए कमर कस ली है । वह जनवरी 2015 से मजीठीया की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब उन्होंने पीएफ का मामला भी उठा दिया है। पाठक ने वाराणसी के श्रम आयुक्त, उप श्रम आयुक्त और सहायक श्रम आयुक्त को अपने लिखित पत्र में बताया है कि वह हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सहारा वाराणसी में चीफ रिपोर्टर के पद पर कार्यरत हैं। सहारा इंडिया मास कम्युनिकेशन सहारा इंडिया हेड आफिस नोएडा द्वारा संचालित राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र में प्रार्थी वर्ष 1993 से (लगभग 23 वर्ष) स्थायी कर्मचारी के रूप में अनवरत कार्यरत है। प्रार्थी का इ. कोड 54202 है। वर्तमान में प्रार्थी अस्वस्थता के चलते अवकाश पर है। श्रम अधिकारियों को 03 जुलाई 20015 को दिए प्रार्थनापत्र में उन्होंने अवगत कराया है कि केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर समाचार पत्र के विभिन्न संस्थानों में कार्य कर रहे कर्मचारियों को मजीठिया वेतनमान दिये जाने के निर्देश दिये थे। इसके बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न याचिकाओं का निस्तारण करते हुये मजीठिया वेज दिये जाने के निर्देश दिये। उक्त के क्रम में प्रार्थी अपने संस्थान से मजीठीया वेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत वेतन दिये जाने तथा पूर्व का एरिअर दिये जाने की माँग कर रहा है लेकिन प्रार्थी को न तो मजीठीया बेज बोर्ड की सिफारिशों के तहत वेतन दिया गया और न ही पूर्व का एरिअर भुगतान किया गया है। अनुरोध है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना तथा सर्वोच्च न्यायालय के के निर्देश के मद्देनजर प्रार्थी को मजीठिया वेतनमान दिलाया जाए । उन्होंने श्रम अधिकारियों को यह भी बताया है कि वर्तमान में प्रार्थी अस्वस्थता के कारण पहली जनवरी 2014 से अवकाश पर है। वह इस संबंध में समय.समय पर अपने संस्थान को अवगत कराता रहा है। माँगे जाने पर चिकित्सीय प्रपत्रों की छाया प्रतियां रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित की हैं तथा चिकित्सीय प्रपत्रों की मूल प्रतियां स्केन कर मेल द्वारा प्रेषित की जाती रही हैं। 31 दिसंबर 2013 तक प्रार्थी की संस्थान पर सीएल और पीएल के अलावा लगभग 180 मेडिकल लीवए 90 ईएल बकाया थीं। प्रार्थी द्वारा संस्थान को लगातार अपनी अस्वस्थता की सूचना दिये जाने तथा प्रार्थी के बकाया विभिन्न अवकाशों के तहत अर्जित अवकाशों का समायोजन कर वेतन भुगतान किए जाने की माँग की जाती रही लेकिन प्रार्थी को वेतन का भुगतान नहीं किया गया बल्कि प्रार्थी को प्रताड़ित करने के लिए अनावश्यक नोटिस जारी किये जाते रहे। बार.बार अनुरोध के बावजूद प्रार्थी को उसके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। प्रार्थी को धन की बेहद आवश्यकता है। उक्त के संबंध में आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध है।