4 पीएम के सम्पादक, प्रकाशक और तो और हॉकर संजय शर्मा ठेके पर हासिल एक चैनल पर अपने नाम की पिपहरी बजाने की कोशिश की
यह शख्स एक चौपतिया अखबार निकालता है। यह अखबार बेचने के लिए नहीं, बल्कि फ्री-फण्ड में बांटता है। वह भी सिर्फ सचिवालय में अफसरों के दफ्तरों में, या फिर बची प्रतियां और समाजवादी पार्टी जैसे चंद बंगला-नुमा दफ्तरों में जुटी भीड के बीच। नि:शुल्क। लेकिन अब यह शख्स अब नीरा यादव की बेईमानी के खुलासे का मक्खनी-मटकी अपने हम में झटकने की जुगत में है। हाल ही एक ठेके पर हासिल एक चैनल पर अपने नाम की पिपहरी बजाने की कोशिश की। मकसद सिर्फ यह कि उसे बड़े पत्रकार की श्रेणी में खड़ा किया जा सके। इसके लिए खासा माल भी थमाया गया।
जी हां, इस चौपतिया अखबार का नाम है 4 पीएम, और उसका सम्पादक से लेकर प्रकाशक और हॉकर तक है संजय शर्मा। हाल ही संजय और उसके गुण्डे साथियों ने अपने पड़ोसी को बुरी तरह पीटा, और फिर उसे मुकदमे में फंसाने की कोशिश की। इसके लिए संजय ने अपने चेले-चापड़ नुमा कई पत्रकारों को एकजुट किया और सचिवालय में हंगामा करवा दिया। एक डेलीगेशन बना कर भी अफसरों पर दबाव बनाया गया। नौटंकी इतनी हुई कि लखनऊ का बड़ा दारोगा भी हड़बड़ा कर खड़ा हो गया। लेकिन तब तक डीजीपी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को असलियत का पता चल गया, और संजय की साजिशें बेपर्दा हो गयीं। सब को पता चल गया कि संजय ने यह झूठा हंगामा तैयार किया था। यह खुलासा हो जाने के बाद उस डेलीगेशन में शामिल उन पत्रकारों ने संजय से अपना पिण्ड छुड़ा लिया, जो उस बवाल में फंसा लिये गये थे।
अब ताजा खबर यह है कि मुख्य सचिव रहीं नीरा यादव को हुई सजा के प्रकरण को यह सम्पादक अपने कोशिशों के तौर पर पेश कर उसका क्रेडिट अपने सिर पर बांधने की साजिशें में है। इसके लिए संजय ने अपने एक चेले को लगाया है, जो ठेके में एक चैनल के धंधे में लिप्त है। नाम है ब्रजमोहन सिंह। यह चैनल उस चैनल के दर्जनों चीथड़ों में से एक फटे-चीथड़े में शामिल है, जो अब सिर्फ फ्रेंचाइजी यानी ठेके की पत्रकारिता का धंधा करता है। म है साधना चैनल। आपको बता दें कि साधना के नाम पर इस समय बाजार में बेहिसाब चैनल चला कर लोग अपना धंधा चौचक कर रहे हैं।
तो जनाब, इसी ब्रजमोहन और संजय ने मिल कर अब संजय की दूकान चमकाने का धंधा शुरू कर दिया। केवल पैसा उगाह कर खबरों को प्लांट करने वाले इस अपने चैनल में ब्रजमोहन ने नीरा यादव को सजा कराने का श्रेय संजय शर्मा को थमा दे दिया। इस पर आधा घंटा का कार्यक्रम आयोजित कर खूब झूठे-सच्चे किस्से कढ़े गये। और साबित यह कर दिया गया कि नीरा की सजा दिलाने का काम केवल संजय शर्मा ने किया। अगर संजय नहीं होते तो नीरा जेल में नहीं होतीं।