जनसंदेश टाइम्स के समूह संपादक सुभाष राय और उनके खासमखास हरे प्रकाश उपाध्याय के बीच खिंची तलवार
संस्थान में कार्यरत एक पत्रकार और सूत्रो से मिली जानकारी के आधार एक तरफ जहां जनसंदेश में बड़े-बड़े बदलाव हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर पैसों को लेकर लखनऊ जनसंदेश टाइम्स में समूह संपादक डा. सुभाष राय और उनके सबसे खासमखास कहे जाने वाले फीचर एडिटर हरे प्रकाश उपाध्याय के बीच जबरदस्त मनमुटाव चल रहा है। या यूं कहें कि दोनों के बीच में पैसे के लेनदेन को लेकर तलवारें खिंच गई हैं। कार्यालय में ही दोनों आपस में भिड़ गए परिणामस्वरूप या तो हरे प्रकाश उपाध्याय ने संस्थान छोड़ दिया है या फिर उन्हें संस्थान से निकाल दिया गया है। क्योंकि वह 2 दिसम्बर से कार्यालय आना बंद कर दिए हैं। डा. सुभाष राय और हरे प्रकाश उपाध्याय मिलकर जनसंदेश के अलावा एक और मैग्जीन निकालते हैं। जिसको लेकर ही दोनों में जबरदस्त मतभेद बना। ऐसा माना जा रहा है कि जनसंदेश के समूह संपादक डा. सुभाष राय यह नहीं चाह रहे कि हरे प्रकाश उपाध्याय संस्थान छोड़ें बावजूद इसके हरे प्रकाश का संस्थान न आना यही बताता है कि संभवत: उन्होंने नौकरी छोड़ दी है। इन दोनों के बारे में सबका यही मानना था कि यह दोनों लोग एक ही थाली में खाते हैं, एक ही लोटे में पीते हैं। फिर भी पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद गहरा गया है। सही कहा गया है भइया पैसा न कोई रिश्ता देखता है न कोई नाता देखता है, पैसा तो बस पैसा देखता है। संस्थान का हर व्यक्ति हमेशा से यही चाहता था कि कब वह समय आएगा जब सुभाष राय और हरे प्रकाश का मनमुटाव होगा। यह मनमुटाव कहां तक जाएगा यह तो बात की बात है लेकिन इतना तय है कि संस्थान में खुशी का माहौल है।