ब्रेकिंग मिश्रा उर्फ़ ब्रजेश मिश्रा का नेशनल वायस से रिश्ता टुटा अब भारत-समाचार जुड़ने की मिली सूचना

बहुत तेज-तर्रार होना भी बहुत ज्‍यादा समझदार होने की इकलौती शर्त नहीं होती है। किसी भी संविधान में नहीं लिखा है कि बाज-चील जमीन पर नहीं उतरेगा। बिलकुल उतरेगा। ठीक उसी तरह, जैसे पत्रकार ब्रजेश मिश्र। ईटीवी-फेम वाले ब्रजेश मिश्र। उनके साथ फिर एक नया गच्‍चा हो गया। बहरहाल, बाकी बात बाद में होगी, पहले यह समझ लीजिए कि ब्रजेश मिश्र अब भारत समाचार चैनल में दिखायी पड़ेंगे।

तो साहब, पत्रकारिता में एक बड़ा नाम है ब्रजेश मिश्र का। हालांकि अमर उजाला से पत्रकारिता में अपनी पारी खेलने वाले ब्रजेश ने कई संस्‍थान बदले, लेकिन उनका डंका बजा तो सिर्फ ईटीवी में। यहां वे सीनियर एडीटर के पद तक पहुंचे और यूपी के साथ ही उत्‍तरांचल भी सम्‍भालते रहे। हाल ही कुछ महीना पहले ही अचानक ब्रजेश मिश्र ने ईटीवी छोड़ दिया। वजह यह कि इस चैनल को मुकेश अम्‍बानी ने हासिल कर लिया था और इसके बाद से ही सेवा शर्तों और कामधाम के बंटवारे को लेकर बनी नहीं, बल्कि सही कहें तो ठन गयी। नतीजा, ब्रजेश ने इस्‍तीफा दे दिया।

इसके बाद ही यूपी-टीवी के नाम से ब्रजेश ने एक नया चैनल दिखाया। मगर अचानक यह क्‍या, अभी एक महीना ही हुआ था कि अचानक इस यूपी-टीवी की होर्डिंग्‍स उतर गयीं, दूकान बंद हो गयी। मगर इसके कि पहले ब्रजेश बेरोजगार हो जाते, ब्रजेश ने अतुल गुप्‍ता के जल्‍दी ही शुरू हुए नेशनल वायस की उंगली पकड़ ली। लेकिन इस चैनल को ऊपरी तौर पर ब्रजेंद्र सिंह ही थामते थे। इसमें ब्रजेश मिश्र के पहले तक प्रभु चावला इतराया करते थे। प्रभु चावला वही, जिन्‍हें लोग बाग फीकी-बात के नाम से पुकारते हैं।

नेशनल वायस में ब्रजेश ने बंटवारे के हिसाब से काम शुरू किया। लेकिन आज फिर गच्‍चा हो गया।

खबर आयी है कि ब्रजेश मिश्र ने नेशनल वायस का पिण्‍ड छोड़ दिया है। अब वे भारत समाचार नामक चैनल शुरू करने जा रहे हैं। ब्रजेश मिश्र ने मेरी बिटिया डॉट कॉम को स्‍वीकार किया कि उन्‍होंने नेशनल वायस छोड़ दिया है, वे कहते हैं कि वे अब भारत समाचार में दिखेंगे। उन्‍होंने बताया कि सम्‍भवत: एक सप्‍ताह में ही यह चैनल ऑन-एयर हो जाएगा।

लेकिन हैरत की बात यह है कि आखिर छह महीने में तीन चैनल बदलने का अर्थ क्‍या है। वैसे इस तरह के उठापटक को लेकर कानाफूंसी शुरू हो गयी है। लोग कहने लगे हैं कि ताश की गड्डी की तरह फेंटने की शैली से साफ हो गया है कि ब्रजेश मिश्र की रंगत खासी फीकी हो चुकी है।

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