जीएम विनीत मौर्या के खिलाफ एक कर्मचारी ने किये बड़े खुलासे, प्रिंटिंग मशीन से रोज होता है रद्दी के नाम पर बड़ा घोटाला

आरपी सिंह की नियुक्ति के बाद प्रधान संपादक डा. सुभाष राय और लखनऊ एडीशन के जीएम विनीत मौर्या खासे नाराज और सकते में भी हैं क्योंकि उन्हें संस्थान की भलाई रास नहीं आती। प्रधान संपादक के बड़े करीबी रहे वर्तमान एनई पर जिला के रिपोर्टरों ने एक से बढ़कर एक आरोप लगाए तो वहीं जीएम विनीत मौर्या के खिलाफ मशीन पर कार्य कर रहे एक कर्मचारी ने भी नाम न छापने की स्थिति में बहुत बड़े-बड़े खुलासे कर डाले। अगर उस कर्मचारी की मानें तो जीएम प्रिंटिंग मशीन पर एक से बढ़कर एक धांधली कर रहे हैं। अखबार का छपना और लगभग 52 से 57 प्रतिशत रद्दी बताना और उस रद्दी का संस्थान के पास कोई हिसाब न होना यह बहुत बड़ा खेल है।

जनसंदेश टाइम्स लखनऊ एडीशन के जीएम विनीत मौर्या

जनसंदेश टाइम्स तमाम उठापटक और सुधार की स्थिति से गुजर रहा है। जाहिर है जब संस्थान में सुधार की व्यवस्था की जाती है तो कोई खुश होता है, कोई दुखी होता है और कोई नाराज होता है। संस्थान में जबसे सीईओ के पद पर आरपी सिंह की नियुक्ति हुई है तभी से संस्थान में तमाम तरह के बदलाव देखने को मिले हैं और ये बदलाव काफी हद तक सुधारात्मक हैं। आरपी सिंह की नियुक्ति के बाद प्रधान संपादक डा. सुभाष राय और लखनऊ एडीशन के जीएम विनीत मौर्या खासे नाराज और सकते में भी हैं क्योंकि उन्हें संस्थान की भलाई रास नहीं आती। प्रधान संपादक के बड़े करीबी रहे वर्तमान एनई पर जिला के रिपोर्टरों ने एक से बढ़कर एक आरोप लगाए तो वहीं जीएम विनीत मौर्या के खिलाफ मशीन पर कार्य कर रहे एक कर्मचारी ने भी नाम न छापने की स्थिति में बहुत बड़े-बड़े खुलासे कर डाले। अगर उस कर्मचारी की मानें तो जीएम प्रिंटिंग मशीन पर एक से बढ़कर एक धांधली कर रहे हैं। अखबार का छपना और लगभग 52 से 57 प्रतिशत रद्दी बताना और उस रद्दी का संस्थान के पास कोई हिसाब न होना यह बहुत jansandeshबड़ा खेल है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ रद्दी पर ही खेल हो रहा है। प्रयोग की गई प्लेट कहां गायब हो जाती हैं उसका भी कोई रिकार्ड नहीं है। इतना ही नहीं जिलों में पहुंचने वाले अखबार जिन गाडिय़ों से जाते हैं उनके तेल में भी जबरदस्त हेराफेरी होती है। सूत्रों की मानें तो मशीन पर जिन-जिन लोगों ने जीएम विनीत मौर्या की इन कारगुजारियों का विरोध किया, एक-एक करके जीएम साहब ने उनको बाहर का रास्ता दिखा दिया। मजेदार बात यह है कि सारे पुराने लोग बाहर हो गए और सीनियर अथारिटी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह लोग किन कारणों से बाहर किए गए। सूत्र बताते हैं कि एक तरफ प्रधान संपादक संस्थान में संपादकी विभाग में जहां सिर्फ अपने लोगों को जगह देना चाहते हैं वैसे ही मशीन पर जीएम साहब ने नए सिरे से अपने लोगों की भर्ती करके अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। जनसंदेश ने काफी नए स्तर की मशीन खरीदी थीं जो कास्टली भी है और इस मशीन से रद्दी की स्थिति बहुत कम होती है। बावजूद इसके 52 से 57 प्रतिशत रद्दी शो करना और उस रद्दी का हिसाब न देना एक बड़े घोटाले को दर्शाता है। देखना है कि संस्थान के मालिकान अपनी निद्रा कब तोड़ते हैं और कब इस तरफ देखते हैं।

इतना ही नहीं जीएम विनीत मौर्या ने संस्थान में गमले लगाने के नाम पर संस्थान के हर कर्मचारी से पैसे लिए लेकिन संस्थान में कहीं कोई गमला नहीं दिखाई देता। जीएम साहब बतायेंगे की संस्थान के कर्मचारियों का पैसा कहा गया। इस मुद्दे का खुलासा जल्द किया जायेगा।

आने वाले समय में इन मुद्दों पर भी होंगे खुलासे

1.संस्थान के कर्मचारियों का पीएफ का पैसा भी दबाए बैठें हैं जीएम विनीत मौर्या

2. मार्केटिंग विभाग में भी विनीत मौर्या की चल रही धांधली।

3. सैलरी बांटने में अपनों का रखते हैं विशेष ध्यान बाकी रहते परेशान।

4. एक ही नंबर के बनते हैं कई सारे बिल और उनके भुगतान में होता है खेल

 

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