महान शोभना भरतिया की कंपनी की शर्मनाक कहानी

sobhana

इस सीरिज में सबसे पहले हम हिन्दु्स्तान टाइम्स. और हिन्दुस्तान की मालकिन श्रीमती शोभना भरतिया का जिक्र कर रहे हैं। श्रीमती भरतिया का इसलिए कि दयालु हृदय पिता की वह कठोर दिल पुत्री हैं। राष्‍ट्रपति (सरकार) ने उनका मनोनयन राज्यसभा में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में किया था और इसलिए भी कि वह इस सीरिज की अकेली महिला सदस्य भी हैं। श्रीमती भरतिया ने राज्यसभा में 7 दिसंबर 2011 को सरकार से पूछा था कि पिछले तीन सालों के दौरान राज्यवार बेरोजगारी की दर की प्रवत्ति क्या रही। हम समझते हैं मजदूरों के हालात पर राज्यसभा के वातानुकूलित हॉल में सवाल पूछने से पहले अपने अधिकारियों से भी पूछ लिया होता कि हर साल उनकी कंपनी से कितने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। उन्हेंं यह भी पता होना चाहिए था कि इससे कुछ साल पहले ही थोक के भाव में निकाले गए हिन्दुस्‍तान टाइम्स के कर्मचारियों के बाल-बच्चे कैसे गुजर–बसर कर रहे होंगे। इनमें से कई आज भी अपने अधिकारों के लिए हिन्दुतान टाइम्स के बाहर धरने पर बैठे हैं। लेकिन रातों रात कंपनी का नाम बदलकर हिन्दुतान टाइम्स को मिटाने वाली श्रीमती शोभना भरतिया और उनके कारकूनों को न तो कानून की चिंता है न मानवता की। मालकिन और प्रबंधन दोनों पैसों के पीछे पागल हैं। मानवता की प्रतिमूर्ति बनने की शोभना मैडम ने और कोशिश की है। एनसीबी का हवाला देते हुए पूछा है कि 1995 से 2010 तक कोई 2.5 लाख किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबर है। क्या 7-8 सालों में किसानों में आत्मतहत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।यह सवाल उन्होंने 2 दिसंबर 2011 को पूछा था। माननीया महोदया को हम याद दिलाना चाहते हैं कि आपकी कंपनी के एक पत्रकार श्री प्रदीप संगम का हृद्याघात से निधन हो गया । शायद आप जैसे व्यरस्त लोगों को पता न चला हो। हम बताते हैं – श्री संगम पहाड़ घूमने गए थे। वहीं उनको बताया गया कि उनकी नौकरी खत्म कर दी गई। किसानों का हाल चाल लेकर वाहवाही लूटने की कोशिश करनेवाली शोभना मैडम अपनी कंपनियों में हो रहे अन्यााय और अमानवीय कार्यों पर आपकी नजर कब जाएगी। राज्यसभा में 5 अगस्त 2011 को माननीया सदस्याऔ श्रीमती शोभना भरतीया ने सरकार को आगाह करते हुए पूछा कि क्या् सरकार को पता है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में छात्रों ने नामांकन करवाया है। श्रीमती ने विशेष रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय का जिक्र किया है। उच्च शिक्षा में इस तरह की धांधली और फर्जीवाड़े पर शोभना भरतिया जैसी सामाजिक हस्तीा की चिंता जायज है। लेकिन एक ऐसे ही फर्जीवाड़े के बारे में हम यहां बताने जा रहे हैं जो सालों तक श्रीमती भरतीया जी के संस्थाफन एचटी मीडिया लिमिटेड (एचटीएमएल) में मालिकों और अधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जता रहा। सीटीसी के तहत कर्मचारियों को जो वेतन दिया गया उसका एक हिस्साा उन्हें मेडिकल भत्ते के रूप में दिया गया। हर महीने वेतन के हिस्से को लेने के लिए कर्मचारियों से फर्जी मेडिकल बिल मंगवाए गए। पहले यह भत्ता साल में एकमुश्तफ दो किस्तों में उठाया जाता था। इसी तरह एलटीए और बोनस का भी हाल था। हम यहां किसी भी तरह के फर्जीवाड़े के पक्ष में नहीं है लेकिन एचटीएमएल कर्मचारियों को मूर्ख बनाकर उनके साथ यह खेल खेलती रही। शोभना जी को शायद इसका पता हो या न हो। अगर पत्रकारिता में नई खोज पर नोबेल पुरस्कार देने का प्रावधान होता तो हम यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि दुनिया की सबसे नायाब ‘पेड न्यूाज’ की खोज के लिए भारतीय अखबार इस पुरस्कार के एकमात्र हकदार होते। भारतीय अखबारों की इस खोज पर हमारी माननीया पूर्व सांसद ने पूछा था कि क्या सरकार को पेड न्यू ज की बढ़ती घटनाओं की जानकारी है। माननीया पूर्व सांसद को हम यहां यह बताना चाहते हैं कि सरकार और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इसकी खबर थी या नहीं लेकिन यह सच है कि उनकी कंपनी में बकायदा पेड न्यूज छापने के लिए एक संपादक की नियुक्ति की गई थी। और चुनावों के दौरान पेड न्यूयजसे भरा यह बुकलेट मुख्य अखबार दैनिक हिन्दुस्तान के साथ बाजार में भेजा जा रहा था। इतना ही नहीं जब सांसद महोदया 4 मार्च 2011 को संसद में यह सवाल कर रही थीं, उनके संस्कारित और बहुसंस्करणीय अखबारों का नाम पेड न्यूज प्रकाशित करने वालों में आधिकारिक रूप से निर्वाचन आयोग सूचीबद्ध कर रहा था। मजीठिया मंच के पास उस सूची की कॉपी है। पेड न्यूूज पर श्रीमती भरतिया ने दो बार सवाल उठाए थे। काश एक बार अपने घर में भी झांक कर देख लिया होता। …………..जारी

मजीठिया मंच के फेसबुक वॉल से सभार

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